GST on Insurance Premium: हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर आम लोगों को राहत मिलने का इंतजार फिलहाल और लंबा खिंच गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि अधिकारियों के मुताबिक जीएसटी काउंसिल ने इन पर जीएसटी की दरों में कटौती के फैसले को स्थगित कर दिया है। न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा इसलिए क्योंकि इस पर आम सहमति नहीं बन पाई। बता दें कि अगर यह राहत मिल जाती तो आम लोगों को प्रीमियम कम देना पड़ता लेकिन वहीं दूसरी तरफ जीएसटी काउसिंल के सूत्रों के मुताबिक सरकार को हर साल करीब 2600 करोड़ रुपये की चपत लगती। काउंसिल की आज 55वीं बैठक जैसलमेर में हो रही है।
क्यों नहीं बन पाई आम सहमति?
इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी की दरों में कटौती को लेकर कई राज्य सहमत नहीं हैं। उनको डर है कि ऐसा हुआ तो, उनका रेवेन्यू कम हो जाएगा। वित्त वर्ष 2024 में लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पर केंद्र और राज्यों को करीब 16400 करोड़ रुपये की जीएसटी रेवेन्यू हासिल हुआ था। अब जीएसटी काउंसिल के मुताबिक अगर टैक्स रेट में कटौती की जाती है तो इससे सालाना 2500 करोड़ रुपये का झटका लगने की आशंका है। अब इसे लेकर ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GoM) के प्रमुख बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा इस पर फैसला लेने के लिए जीओएम की एक और बैठक करनी होगी और अगली बैठक जनवरी में है।
सीएनबीसी-टीवी18 को सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिली थी, उसके मुताबिक हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी को मौजूदा 18 फीसदी से 5 फीसदी करने का प्रस्ताव था। सूत्रों ने यह भी बताया था कि ब्याज दरों से जुड़ी कमेटी इस प्रीमियम पर जीएसटी खत्म करने के पक्ष में नहीं थी। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अगुवाई में मंत्रियों के एक समूह ने हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने की सिफारिश की थी। इसके अलावा ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने तो सीनियर सिटीजंस के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी को हटाने का प्रस्ताव रखा था जिस पर अभी 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगती है। वहीं जो सीनियर सिटीजंस नहीं हैं, उनके लिए सालाना 5 लाख रुपये तक के कवर पर भी जीएसटी नहीं लगाने की सिफारिश की थी। प्योर टर्म इंश्योरेंस को तो पूरी तरह जीएसटी से फ्री करने को कहा गया था जिस पर अभी 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगती है। हालांकि राज्यों के बीच इस पर सहमति नहीं बन पाई।