सर्दियां शुरू होते ही दिल्ली-एनसीआर और भारत के कुछ अन्य हिस्सों में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। जिसके कारण गले में खराश और सांस लेने में कठिनाई जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इस वजह से सांस संबंधी बीमारियां और अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), निमोनिया और सांस या ब्रोन्कियल रुकावट के गंभीर मामले भी हो सकते हैं। ऐसे खर्चों को कवर करने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस महत्वपूर्ण हो जाता है। भारत में अधिकांश स्टैंडर्ड हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी प्रदूषण-संबंधी बीमारियों को कवर करती हैं। यह योजनाएं आम तौर पर अस्थमा या सीओपीडी जैसे सांस संबंधी बीमारियों के लिए इमरजेंसी के दौरान अस्पताल में भर्ती होने को कवर करती हैं, जिनके लिए आईसीयू या गंभीर देखभाल की आवश्यकता होती है।