इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने की डेडलाइन बढ़ गई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि डेडलाइन बढ़ने के बावजूद टैक्सपेयर्स को अपनी तैयारी पूरी कर लेनी चाहिए। हालांकि, सैलरीड टैक्सपेयर्स तब तक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं कर सकते, जबतक उन्हें फॉर्म 16 नहीं मिल जाता। एंप्लॉयर्स अपने एंप्लॉयीज को फॉर्म 16 इश्यू करते हैं। यह इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए जरूरी है। इसमें एंप्लॉयीज की सैलरी इनकम, टीडीएस और डिडक्शंस की जानकारी होती है।
इस साल आईटीआर फॉर्म्स में कई बदलाव
इस साल Income Tax Return फॉर्म्स में कुछ बदलाव किए गए हैं। पिछले साल जुलाई में पेश यूनियन बजट में सरकार ने कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में बदलाव किया था। फिर इस साल फरवरी में पेश बजट में सरकार ने इनकम टैक्स की नई रीजीम में टैक्स स्लैब्स में बदलाव किए थे। इसलिए इनकम टैक्स फॉर्म्स में बदलाव करना जरूरी हो गया था। उदाहरण के लिए पछले साल तक ऑर्डिनरिली रेजिडेंट इंडियन टैक्सपेयर्स ITR-1 (सहज) का इस्तेमाल तब कर सकते थे, जब उनकी सोर्स सिर्फ सैलरी/पेंशन, एक हाउस प्रॉपर्टी, सेविंग्स/फिक्स्ड डिपॉजिट से इंटरेस्ट, डिविडेंड और 5,000 रुपये से कम एग्रीकल्चर इनकम थी।
अब एलटीसीजी पर भी कर सकते हैं आईटीआर-1 का इस्तेमाल
इस साल अगर किसी टैक्सपेयर को लिस्टेड शेयरों या म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीम की यूनिट्स को बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस होता है तो भी वह ITR-1 फॉर्म का इस्तेमाल कर सकता है। शर्त सिर्फ यह है कि कैपिटल गेंस FY25 में 1.25 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इस तरह सरकार ने आईटीआर-1 यानी सहज फॉर्म के इस्तेमाल का दायरा बढ़ा दिया है। यह टैक्सपेयर्स खासकर सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए अच्छी खबर है।
आईटीआर-1 का इस्तेमाल सबसे आसान
ITR-1 फॉर्म सबसे आसान फॉर्म है। यह ऐसे सैलरीड या पेंशन पाने वाले टैक्सपेयर्स के लिए है, जिनकी इनकम के बहुत ज्यादा स्रोत नहीं होते हैं। इस फॉर्म में कई जानकारियां पहले से भरी होती हैं। जैसे इनकम की डिटेल और फाइनेंशियल ट्रांजेक्शंस की जानकारियां पहले से भरी होने से रिटर्न फाइल करना बहुत आसान हो जाता है। टैक्सपेयर्स ITR-1 फॉर्म के डेटा को फॉर्म 16, AIS और फॉर्म 26एएस के डेटा से चेक कर सकते हैं।
आईटीआर-1 के इस्तेमाल की शर्तें
सहज यानी आईटीआर-1 फॉर्म का इस्तेमाल सिर्फ ऐसे इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स कर सकते हैं जिनकी सालाना इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है। उनकी इनकम के स्रोत सिर्फ सैलरी/पेंशन, एक हाउस प्रॉपर्टी, सेविंग्स/फिक्स्ड डिपॉजिट से इंटरेस्ट, डिविडेंड और 5,000 रुपये से कम एग्रीकल्चर इनकम होनी चाहिए। इस साल से ऐसे टैक्सपेयर्स भी इस फॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिन्हें शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स बेचने पर 1.25 लाख रुपये से कम का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस हुआ है।
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आईटीआर-2 का इस्तेमाल इन स्थितियों में
अगर किसी टैक्सपेयर्स की सालाना इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा है तो वह आईटीआर-1 का इस्तेमाल नहीं कर सकता। अगर किसी टैक्सपेयर का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस एक वित्त वर्ष में 1.25 लाख रुपये से ज्यादा है तो वह आईटीआर-1 का इस्तेमाल नहीं कर सकता। अगर कोई टैक्सपेयर किसी कंपनी में डायरेक्टर है तो वह आईटीआर-1 का इस्तेमाल नहीं कर सकता। अगर किसी टैक्सपेयर्स के पास गैर-लिस्टेड कंपनी के शेयर्स हैं तो वह आईटीआर-1 का इस्तेमाल नहीं कर सकता। अगर विदेश से इनकम हुई है तो भी आईटीआर-1 का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। ऐसी स्थितियों में टैक्सपेयर्स को ITR-2 फॉर्म का इस्तेमाल करना होगा।