ITR Filing 2025: नई टैक्स व्यवस्था में पुराने टैक्स सिस्टम के कई डिडक्शन खत्म कर दिए गए हैं। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं कि टैक्स बचाने के रास्ते बंद हो गए हैं। वित्त वर्ष 2025-26 में नई व्यवस्था चुनने वाले सैलरीड कर्मचारियों के पास अब भी कुछ स्मार्ट विकल्प मौजूद हैं। जानिए किन 5 तरीकों से आप अपनी टैक्स देनदारी को कम कर सकते हैं।
अपनी CTC स्मार्ट तरीके से डिजाइन करें
नई टैक्स व्यवस्था में कुछ खास खर्चों पर छूट मिलती है। इसमें किताबें और पत्रिकाएं, लर्निंग और स्किल कोर्स, ऑफिस के लिए मोबाइल-ब्रॉडबैंड, कंपनी कार लीज और मील वाउचर जैसी चीजें शामिल हैं। इन खर्चों की री-इंबर्समेंट का फायदा लेने के लिए कर्मचारियों को सही बिल देना जरूरी है। अगर आपके नियोक्ता की पॉलिसी में ये खर्च पहले से शामिल हैं, तो यह आपके लिए टैक्स बचाने का सीधा तरीका है।
नियोक्ता की ओर से NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) में होने वाला योगदान नई टैक्स व्यवस्था में सेक्शन 80CCD (2) के तहत टैक्स-फ्री है। नियम के मुताबिक नियोक्ता बेसिक सैलरी का 14% तक NPS खाते में डाल सकता है। 60 साल की उम्र पर NPS की 60% राशि टैक्स फ्री निकाली जा सकती है और बाकी 40% से एन्युटी खरीदनी होती है।
EPF और VPF में अतिरिक्त योगदान
कर्मचारियों के भविष्य निधि (EPF) में नियोक्ता का योगदान टैक्स फ्री है। कर्मचारी चाहें तो वॉलंटरी प्रोविडेंट फंड (VPF) के जरिए अपना योगदान भी बढ़ा सकते हैं।
ध्यान रहे कि NPS और EPF में नियोक्ता का कुल योगदान सालाना 7.5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए। वहीं कर्मचारी के अपने EPF योगदान की सीमा 2.5 लाख रुपये है। इससे ज्यादा होने पर टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलेगा।
आर्बिट्राज फंड और कैपिटल गेन हार्वेस्टिंग
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) के बजाय आर्बिट्राज फंड में निवेश पर विचार किया जा सकता है। ये फंड FD जैसी रिटर्न देते हैं, लेकिन टैक्स का तरीका अलग होता है। FD पर ब्याज आपकी इनकम स्लैब के हिसाब से टैक्सेबल है, जबकि आर्बिट्राज फंड में एक साल बाद मिलने वाला लॉन्ग टर्म गेन 12.5% टैक्स दर पर आता है।
सैलरीड कर्मचारी सालाना 1.25 लाख रुपये तक का लॉन्ग टर्म गेन बुक करके दोबारा निवेश करके टैक्स ऑप्टिमाइज कर सकते हैं।
किराए पर दी गई संपत्ति से टैक्स बचत
नई टैक्स व्यवस्था में हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और होम लोन ब्याज पर मिलने वाली छूट हटा दी गई है। लेकिन अगर आपने कोई प्रॉपर्टी किराए पर दी है, तो उस पर टैक्स छूट का लाभ अब भी मिल सकता है।
अगर प्रॉपर्टी Let-out (किराए पर) है, तो उस पर लिए गए होम लोन के ब्याज की कटौती मिल सकती है। हालांकि, यह छूट सिर्फ किराए से हुई सालाना आमदनी की सीमा तक ही मिलती है।