इनकम टैक्स के मामले में नॉन-रेजिडेंट इंडियंस (एनआरआई) के लिए अलग नियम हैं। एनआरआई के लिए इनके बारे में जानना जरूरी है। इंडिया में इंडिविजुअल्स के लिए टैक्स रेजिडेंसी को तीन कैटेगरी में बांटा गया है। इनमें ऑर्डिनरी रेजिडेंट, रेजिडेंट बट नॉट ऑर्डिनरी रेजिडेंट (आरएनओआर) और नॉन-रेजिडेंट (एनआरआई) शामिल है। किसी व्यक्ति को विदेश में हुई इनकम पर इंडिया में तभी टैक्स लगता है जब वह आर्डिनरी रेजिडेंट की कैटेगरी में आता है।
इंडिया में रेजिडेंट के लिए क्या शर्तें हैं?
किसी व्यक्ति के रेजिडेंट ऑफ इंडिया की कैटेगरी में आने के लिए कुछ शर्तें तय हैं। पहला, उसका फाइनेंशियल ईयर के दौरान इंडिया में 182 दिन या इससे ज्यादा रहना जरूरी है। यह एक साथ या अलग-अलग हिस्सों में हो सकता है। पहले के चार वित्त वर्षों में उसका इंडिया में 365 दिन या उससे ज्यादा रहना जरूरी है। अगर कोई व्यक्ति ये शर्तें पूरी नहीं करता है तो उसे टैक्स के मामले में नॉन-रेजिडेंट माना जाएगा भले ही वह भारत का नागरिक है या एक OCI (ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया) है।
NRI पर टैक्स के कौन से नियम लागू होते हैं?
इसके अलावा कुछ और शर्तें हैं, जिससे यह तय होता है कि आप आर्डिनरी रेजिडेंट ऑफ इंडिया है या रेजिडेंट हैं लेकिन ऑर्डिनरी रेजिडेंट नहीं हैं। अगर कोई व्यक्ति नॉन-रेजिडेंट की कैटेगरी में आता है तो उसकी इनकम पर इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 9 के प्रावधान के मुताबिक टैक्स लगेगा। इसमें यह कहा गया है कि इंडिया में हुई इनकम या इंडिया में कनेक्शन या एस्टैब्लिश्मेंट हुई इनकम पर इंडिया में टैक्स लगेगा।
डबल टैक्सेशन के नियम क्या हैं?
क्या इंडिया में हुई इनकम पर इंडिया में टैक्स चुकाने के अलावा आपको उस देश में भी टैक्स चुकाना पड़ेगा जहां आप रहते हैं? इसका जवाब हां है। अगर आप किसी दूसरे देश के टैक्स रेजिडेंट हैं तो वह देश आपकी ग्लोबल इनकम पर टैक्स लगाएगा। मान लीजिए आप एनआरआई हैं और आपने इंडिया में अपने पुरखों की प्रॉपर्टी बेची है। ऐसे में भले ही आप दूसरे देश में रहते हैं इस इनकम पर आपको इंडिया में टैक्स चुकाना होगा। आपको उस देश में भी इसके कैपिटल गेंस पर टैक्स चुकाना पड़ सकता है, जहां आप रहते हैं। इस तरह एक ही इनकम पर दो बार टैक्स लगता है। इसे डबल टैक्सेशन कहते हैं।
डबल टैक्सेसेशन की प्रॉब्लम को दूर करने के लिए भारत सरकार दूसरे देशों के साथ समझौता करती है। इसके प्रावधान DTAA में दिए गए हैं। इसे Double taxation avoidance agreement कहा जाता है। डीटीएए के तहत टैक्स बेनेफिट का फायदा उठाने के लिए आपको उस देश के टैक्स डिपार्टमेंट से टैक्स रेजिडेंसी सर्टिफिकेट हासिल करना जरूरी है, जिस देश में आप रहते हैं।
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क्या सभी देशों के साथ इंडिया का डीटीएए हैं?
इसका मतलब यह है कि इंडिया में किसी व्यक्ति की इनकम टैक्स लायबिलिटी इस बात से तय होती है कि उसकी इनकम का स्रोत क्या है और उसका टैक्स रेजिडेंसी स्टेटस क्या है। अगर आप दूसरे देश में पोस्टेड हैं तो वहां आपको टैक्स चुकाना पड़ सकता है। लेकिन, इससे बचने के लिए आप DTAA के बेनेफिट का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन, आपको यह पता करना होगा कि जिस देश में आप रहते हैं उसके साथ इंडिया का डीटीएए है या नहीं।