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ITR Filing Deadline: आज रिटर्न भरने जा रहे हैं तो पहले इन 8 टिप्स को जान लें, आगे किसी झंझट में नहीं फंसेंगे

ITR Filing 2024: इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन बहुत नजदीक आ गई है। आज रिटर्न फाइल करना जरूरी है। अंतिम समय में रिटर्न फाइल करने में गलती होने की आशंका ज्यादा रहती है। आज रिटर्न भरने से पहले कुछ जरूरी टिप्स को जान लेना जरूरी है

अपडेटेड Jul 29, 2024 पर 12:18 PM
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ऐसे टैक्सपेयर्स को अंतिम समय में रिटर्न फाइल करने से बचना चाहिए, जिनकी इनकम के एक से ज्यादा स्रोत हैं।

कल, परसों का इंतजार नहीं करें। आज जरूर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर दें। अंतिम दिन यानी 31 जुलाई को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर लोड बढ़ सकता है। इसके अलावा अंतिम समय में रिटर्न भरने में गलती होने की आशंका ज्यादा होती है। गलती होने का मतलब है कि आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस मिल सकता है। खासकर ऐसे टैक्सपेयर्स को अंतिम समय में रिटर्न फाइल करने से बचना चाहिए, जिनकी इनकम के एक से ज्यादा स्रोत हैं। कई टैक्सपेयर्स को सैलरी के अलावा, घर के किराए, कैपिटल गेंस, विदेश में निवेश से इनकम, क्रिप्टकरेंसी से गेंस से इनकम होती है।

आज रिटर्न भरने जा रहे हैं तो पहले इन टिप्स के बारे में जान लें। इससे आपके रिटर्न के रिजेक्ट होने का डर नहीं रहेगा। साथ ही आपका रिफंड भी जल्द आपके बैंक अकाउंट में आ जाएगा।

1. विदेशी इनकम की जानकारी

कई एंप्लॉयीज खासकर आईटी सेक्टर में काम करने वाले लोगों की पोस्टिंग विदेश में होती है। इससे उन्हें अपनी पोस्टिंग की जगह बैंक अकाउंट ओपन करना पड़ता है। लेकिन, कई एंप्लॉयीज विदेशी पोस्टिंग खत्म होने के बाद इंडिया लौटने पर अपनी इनकम में विदेश में अपने अकाउंट के बारे में रिटर्न में नहीं बताते हैं। इसी तरह अगर विदेशी कंपनी से स्टॉक ऑप्शंस के जरिए स्टॉक्स एलॉट हुए हैं तो उसके बारे में भी बताना जरूरी है। विदेशी एसेट्स की जानकारी नहीं देने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट 10 लाख रुपये की पेनाल्टी लगा सकता है।


2. फॉर्म-16 और फॉर्म 26एएस के डेटा को मैच कराना

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट से फॉर्म 26एएस और एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) डाउनलोड करना जरूरी है। इनमें दिए टीडीएस के डेटा को अपने फॉर्म-16 के डेटा से मैच कराना होगा। इसके अलावा एआईएस से डिविडेंड और हाई वैल्यू दूसरे ट्रांजेंक्शन की जानकारी मिल जाएगी। किसी तरह के गलत डेटा के मिलने पर उसे ठीक कराने का प्रोसेस शुरू किया जा सकता है।

3. सही आईटीआर फॉर्म का चुनाव

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए गलत फॉर्म का चुनाव आपको मुश्किल में डाल सकता है। उदाहरण के लिए अगर आपके लिए सही फॉर्म आईटीआर-1 था और आपने आईटीआर-2 का इस्तेमाल रिटर्न भरने के लिए किया है तो आपका रिटर्न रिजेक्ट हो सकता है। दरअसल, इनकम के स्रोत के आधार पर आईटीआर फॉर्म का चुनाव करना पड़ता है। उदाहरण के लिए अगर आपको शेयरों की बिक्री से कैपिटल गेंस हुआ है या FY24 में आपका विदेश में बैंक अकाउंट था तो आप आईटीआर-1 का इस्तेमाल नहीं कर सकते।

4. पिछले एंप्लॉयल से हुई इनकम की जानकारी

कई लोग नौकरियां बदलते हैं। अगर आपने नौकरी बदली है तो रिटर्न फाइल करने में आपको सावधानी बरतनी होगी। ऐसे टैक्सपेयर्स के पास दो फॉर्म-16 होते हैं। ऐसे में आपको पहले और दूसरे दोनों ही एंप्लॉयर से हुई इनकम को बताना होगा। अगर आपके आईटीआर फॉर्म में दोनों इनकम की जानकारी नहीं होगी तो माना जाएगा कि आपने अपनी कुल इनकम डिसक्लोज नहीं की है। ऐसे में आपको इनकम टैक्स डिपार्टमें का नोटिस आ सकता है।

5. सिर्फ फॉर्म-16 के डेटा पर भरोसा करना

सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए फॉर्म-16 रिटर्न फाइल करने के लिए सबसे अहम डॉक्युमेंट है। लेकिन, यह ध्यान में रखना होगा कि इस फॉर्म में सभी तरह की इनकम और ट्राजैंक्शन शामिल नहीं होती है। उदाहरण के लिए सेविंग बैंक अकाउंट में जमा पैसे पर इंटरेस्ट मिलता है। सिर्फ 10,000 रुपये की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स से छूट हासिल है। इससे ज्यादा इंटरेस्ट इनकम पर टैक्स लगता है। यह इनकम आपके फॉर्म 16 में नहीं दिखेगी। इसी तरह शेयरों या म्यूचुअल फंड की यूनिट्स को बेचने पर हुए कैपिटल गेंस की जानकारी फॉर्म-16 में नहीं मिलेगी।

6. गलत डिडक्शन क्लेम करना

डिडक्शन क्लेम करने में सावधानी जरूरी है। ऐसा कोई डिडक्शन आपको क्लेम करने से बचना चाहिए, जिसके आप हकदार नहीं हैं। कई टैक्सपेयर्स टैक्स बचाने के लिए सेक्शन 80जी के तहत डिडक्शन क्लेम करते हैं। यह डिडक्शन चैरिटेबल ऑर्गेनाइजेशन को किए गए दान पर मिलता है। इसी तरह कुछ टैक्सपेयर्स 80यू के तहत डिडक्शन क्लेम करते हैं, जो विकलांगता पर मिलता है। गलत डिडक्शन क्लेम करने से आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस मिल सकता है।

7. बैंक अकाउंट की सही जानकारी

अगर आपने बैंक अकाउंट को प्री-वैलिडेट नहीं किया है तो रिफंड में दिक्कत होगी। इसलिए अपने बैंक अकाउंट को वैलिडेट करना जरूरी है। आपको इनकम टैक्स रिटर्न को सब्मिट करने से पहले बैंक का अकाउंट नंबर, आईएफएसी, बैंक की ब्रांच आदि से जुड़ी जानकारी वैलिडेट करना जरूरी है।

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8. रिटर्न को वेरिफाइ करना

इनकम टैक्स रिटर्न को सब्मिट करने के बाद उसे वेरिफाइ करना जरूरी है। इसे आधार ओटीपी, नेट बैंकिंग आदि के जरिए आसानी से ऑनलाइन वेरिफाइ किया जा सकता है। इसके लिए फॉर्म सब्मिट करने के बाद 30 दिन का समय मिलता है। अगर आप 30 दिन के अंदर वेरिफाइ नहीं करते हैं तो वेरिफिकेशन के डेट को रिटर्न फाइलिंग की डेट मानी जाएगी। ऐसे में अगर आप 30 जुलाई के बाद फॉर्म वेरिफाय करते हैं तो उसे डेडलाइन के बाद फाइल किया गया रिटर्न माना जाएगा।

MoneyControl News

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First Published: Jul 29, 2024 12:03 PM

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