Kisan Vikas Patra: कैसा है केवीपी, क्या सरकार की इस स्कीम में आपको निवेश करना चाहिए?

Kisan Vikas Patra की शुरुआत 1988 में हुई थी। सरकार ने लोगों को लंबी अवधि के निवेश के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से यह स्कीम लॉन्च की थी। इस स्कीम में पोस्ट ऑफिस में इनवेस्ट किया जा सकता है

अपडेटेड Aug 19, 2025 पर 9:41 AM
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इस स्कीम में सिर्फ 1,000 रुपये से निवेश किया जा सकता है। मैक्सिमम निवेश के लिए कोई लिमिट नहीं है।

क्या आप निवेश पर रिस्क नहीं लेना चाहते? अगर हां तो आपके लिए किसान विकास पत्र (केवीपी) निवेश का अच्छा ऑप्शन है। इस स्कीम को सरकार का सपोर्ट हासिल है। इसलिए इसमें निवेश पूरी तरह सुरक्षित है। इसमें रिटर्न की गारंटी है। आपका पैसा 115 महीनों में दोगुना हो जाता है। सवाल है कि क्या आपको इस स्कीम में निवेश करना चाहिए?

1988 में शुरु हुई थी यह स्कीम

Kisan Vikas Patra की शुरुआत 1988 में हुई थी। सरकार ने लोगों को लंबी अवधि के निवेश के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से यह स्कीम लॉन्च की थी। इस स्कीम में पोस्ट ऑफिस में इनवेस्ट किया जा सकता है। इसलिए देश के दूर-दराज के लोगों के लिए इस स्कीम में निवेश करना काफी आसान है। खास बात यह है कि इस स्कीम में सिर्फ 1,000 रुपये से निवेश किया जा सकता है। मैक्सिमम निवेश के लिए कोई लिमिट नहीं है।


सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन की इजाजत नहीं

सरकार हर तिमाही केवीपी के इंटरेस्ट रेट को रिव्यू करती है। अभी इसका इंटरेस्ट रेट सालाना 7.5 फीसदी है। यह बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम के इंटरेस्ट रेट्स से थोड़ा ज्यादा है। अगर टैक्स की बात की जाए तो यह स्कीम इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत नहीं आती है। इसका मतलब है कि इस स्कीम में इनवेस्ट करने पर टैक्स डिडक्शन क्लेम नहीं किया जा सकता है। इस वजह से इस स्कीम में टैक्स-सेविंग्स का बेनेफिट नहीं है।

इंटरेस्ट टीडीएस के दायरे में आता है

केवीपी में आपके इनवेस्टमेंट पर हर साल इंटरेस्ट मिलता है, जो प्रिंसिपल में जुड़ जाता है। इस इंटरेस्ट पर 10 फीसदी टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स (TDS) लागू होता है। मैच्योरिटी पर मिलने वाले पैसे पर आपको टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है। इसकी वजह यह है कि हर साल इंटरेस्ट पर टीडीएस कटता है। यह स्कीम 115 महीने में मैच्योर करती है। इसमें लॉक-इन पीरियड 30 महीने है। इसका मतलब है कि इस दौरान आप स्कीम से पैसे नहीं निकाल सकते। इनवेस्टर की मौत की स्थिति में जल्द पैसे निकालने की इजाजत है।

30 महीने से पहले पैसे निकालने की इजाजत नहीं

टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि चूंकि केवीपी का इंटरेस्ट टीडीएस के दायरे में आता है, जिसका असर स्कीम के रियल रिटर्न पर पड़ता है। दूसरा, इस स्कीम में 30 महीने से पहले पैसे निकालने की इजाजत नहीं है। अगर किसी इनवेस्टर को अचानक पैसे की जरूरत पड़ जाती है तो लॉक-इन पीरियड में पैसे नहीं निकाल सकता। तीसरा, इस स्कीम में सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन क्लेम करने की भी इजाजत नहीं है।

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थोड़ा रिस्क लेने पर ज्यादा रिटर्न वाले ऑप्शन

इन वजहों से इस स्कीम का अट्रैक्शन घट जाता है। अगर आप थोड़ा रिस्क ले सकते हैं तो आप इक्विटी म्यूचुअल फंड या ईटीएफ में इनवेस्ट कर सकते हैं। इनमें आपको रिटर्न ज्यादा मिलेगा। अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं तो रिस्क कम हो जाता है। साथ ही जरूरत पड़ने पर आप कभी भी पैसे निकाल सकते हैं।

Rakesh Ranjan

Rakesh Ranjan

First Published: Aug 19, 2025 9:29 AM

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