Labour Code Law: अब 300 तक कर्मचारियों वाली कंपनियां बिना सरकारी अनुमति के कर्मचारियों की छंटनी, रिट्रेंचमेंट या फैक्ट्री, ऑफिस यूनिट बंद कर सकती हैं। ये लिमिट पहले सिर्फ 100 कर्मचारियों तक सीमित थी। यह तीन गुना बढ़ा हुई लिमिट इंडस्ट्री के लिए सबसे बड़ा तोहफा साबित हो सकती है। लेकिन कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ी टेंशन बन सकती है।
इंडस्ट्री को मिलेगी राहत, कर्मचारियों में चिंता
इंडस्ट्री लंबे समय से यह मांग कर रही थी कि 100 वर्कर्स की सीमा पुरानी हो चुकी है और इससे कंपनियों को बढ़ने में दिक्कत आती है। नया कोड मिड-साइज यूनिट्स के लिए सबसे बड़ा फायदे का सौदा माना जा रहा है। नया नियम कर्मचारियों के लिए चिंता बढ़ाने वाला है, क्योंकि अब कंपनियां आसानी से छंटनी कर सकेंगी। हालांकि सरकार ने दावा किया है कि श्रमिकों की सुरक्षा के लिए मुआवजे की व्यवस्था की गई है। हालांकि, इससे अब नौकरी की स्थिरता पर असर पड़ेगा।
कर्मचारियों को मिलेगा फिक्स्ड टर्म इम्प्लॉयमेंट
नए कोड में Fixed-Term Employment (FTE) को आधिकारिक रूप से लागू किया गया है। इसका मतलब है कि कंपनियां सीधे कर्मचारियों को लिखित कॉन्ट्रैक्ट पर रख सकेंगी और पीरियड पूरा होते ही बिना झंझट कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर सकेंगी।
हड़ताल की परिभाषा भी हुई सख्त, मास कैजुअल लीव भी स्ट्राइक
फ्लैश स्ट्राइक रोकने के लिए सरकार ने स्ट्राइक की नई परिभाषा दी है। अब अगर 50% से अधिक कर्मचारी एक ही दिन casual leave ले लेते हैं, तो इसे भी हड़ताल माना जाएगा। इंडस्ट्री इसे सकारात्मक बताती है, जबकि यूनियन इसे कर्मचारियों की आवाज दबाने का तरीका मान रही हैं।
छंटनी पर कर्मचारी को क्या मिलेगा?
ले-ऑफ की स्थिति में कर्मचारी को 50% बेसिक वेतन + DA मिलेगा।
Retrenchment पर हर साल की सर्विस के हिसाब से 15 दिन का औसत वेतन देना होगा।
Closure यानी पूरी यूनिट बंद करने की स्थिति में 60 दिन पहले नोटिस जरूरी है और compensation भी retrenchment जैसा ही देना होगा।
क्या नया कोड सुधार है या जोखिम?
सरकार का दावा है कि यह कदम भारत को सेफ वर्कप्लेस देगा। लेकिन कर्मचारी संगठनों का मानना है कि इससे इजी लेऑफ कल्चर बढ़ेगा। असली असर आने वाले महीनों में ही दिखाई देगा।