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Life Insurance Policy सरेंडर करने पर मिलेंगे ज्यादा पैसे, IRDAI का फैसला

स्पेशल सरेंडर वैल्यू के इरडा के प्रस्ताव का लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों ने विरोध किया था। उनकी शिकायत थी कि इसके लागू होने पर उन्हें काफी लॉस होगा। लेकिन, अब IRDAI ने कुछ बदलाव के साथ ज्यादातर प्रस्तावों को अपनी मंजूरी दे दी है

अपडेटेड Jun 13, 2024 पर 12:06 PM
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इंश्योरेंस रेगुलेटर आईआरडीएआई ने एन्डॉमेंट पॉलिसीज के लिए हायर स्पेशल सरेंडर वैल्यू (एसएसवी) के ज्यादातर प्रस्ताव मान लिए हैं।

लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के ग्राहकों के लिए अच्छी खबर है। कोई ग्राहक पॉलिसी खरीदने के कुछ महीनों या बाद उसे बंद करने का फैसला करता है तो अब उसे बीमा कंपनी से ज्यादा पैसे मिलेंगे। इंश्योरेंस रेगुलेटर आईआरडीएआई ने एन्डॉमेंट पॉलिसीज के लिए हायर स्पेशल सरेंडर वैल्यू (एसएसवी) के ज्यादातर प्रस्ताव मान लिए हैं। इसे पिछले महीने पेश किया गया था। लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों ने इन प्रस्तावों का विरोध किया था।

शुरुआती सालों में सरेंडर करने पर ज्यादा फायदा

IRDAI के इस फैसले का मतलब यह है कि लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से पॉलिसी खरीदने के बाद अगर ग्राहक को यह लगता है कि पॉलिसी ठीक नहीं है या किसी वजह से वह प्रीमियम चुका नहीं पाता है तो उसे पॉलिसी सरेंडर करने पर ज्यादा पैसे मिलेंगे। अभी तक जो नियम लागू था, उसमें एक या दो साल बाद पॉलिसी बंद कराने पर उसे बहुत नुकसान होता था। ग्राहक ने जो प्रीमिमय चुकाया था, उसका नाममात्र हिस्सा ही उसे वापस मिलता था।


ज्यादातर पॉलिसीहोल्डर्स शुरुआती सालों में पॉलिसी बंद करा देते हैं

एक प्राइवेट लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के एग्जिक्यूटिव ने बताया, "अब पॉलिसीहोल्डर्स को पॉलिसी सरेंडर करने पर पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे मिलेंगे। यह देखा गया है कि बड़ी संख्या में पॉलिसीहोल्डर्स पॉलिसी खरीदने के कुछ समय बाद उसका प्रीमियम चुकाना बंद कर देते हैं। ऐसे लोगों को अब काफी फायदा होगा। शुरुआती सालों में पॉलिसी बंद करने पर ज्यादा फायदा होगा। बाद में भी पॉलिसी बंद कराने पर फायदा होगा लेकिन यह शुरुआती सालों के मुकाबले कम होगा।"

स्पेशल सरेंडर वैल्यू का निर्धारण फॉर्मूला के आधार पर

IRDAI ने कहा है कि स्पेशल सरेंडर वैल्यू (SSV) कम से कम पेड-अप सम अश्योर्ड और पेड-अप फ्यूचर बेनेफिट्स के बराबर होना चाहिए। पेड-अप वैल्यू के कैलकुलेशन के लिए एक फॉर्मूला है। चुकाए गए प्रीमियम की संख्या को सम एश्योर्ड से गुणा किया जाता है। फिर जो संख्या आती है उसमें चुकाए गए प्रीमियम अमाउंट से डिवाइड किया जाता है।

लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों ने प्रस्ताव का विरोध किया था

बीमा नियामक का यह कदम एक तरफ जहां पॉलिसीहोल्डर्स के हित में है वही दूसरी तरफ यह लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के लिए नुकसानदेह है। लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों ने आईआरडीएआई के प्रस्ताव में कई बदलाव करने की सिफारिश की थी। लेकिन, बीमा नियामक ने उन्हें मानने से इनकार कर दिया। अब आईआरडीएआई ने जिस प्रस्ताव को मंजूरी दी है उसके मुताबिक अगर किसी पॉलिसीहोल्डर ने एक साल में 10,000 रुपये का प्रीमियम चुकाया है तो लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को पॉलिसी सरेंडर करने पर 78 फीसदी पैसा पॉलिसीहोल्डर को वापस करना होगा।

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