अब गोल्ड या सिल्वर ETF और फंड ऑफ फंड्स के इनवेस्टर्स को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) का फायदा नहीं मिलेगा। उन्हें इंडेक्सेशन का लाभ भी नहीं मिलेगा। उन्हें अप्रैल से मार्जिनल टैक्स रेट से टैक्स चुकाना होगा। इस बदलाव की वजह फाइनेंस बिल 2023 का एक प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि म्यूचुअल फंड्स की ऐसी स्कीमें जो शेयरों में 35 फीसदी से कम निवेश करती हैं, उनसे होने वाले कैपिटल गेंस पर इनवेस्टर्स के टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि उन्होंने स्कीम में निवेश कब किया था।
क्या पुराने निवेश पर भी लागू होगा नया नियम?
आपके लिए यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह बदलाव 31 मार्च के बाद होने वाले इनवेस्टमेंट पर लागू होगा। 31 मार्च और इससे पहले हुए निवेश को इंडेक्सेशन और एलटीसीजी टैक्स बेनेफिट्स मिलता रहेगा।
सोने और चांदी में निवेश के क्या विकल्प हैं?
म्यूचुअल फंड्स के अलावा इन कमोडिटीज में निवेश करने के दूसरे रास्ते भी हैं। इनमें कुछ डिजिटल और फिजिकल तरीके शामिल हैं। आइए हम यह देखते हैं कि गोल्ड या सिल्वर फंड्स के रिटर्न पर टैक्स का क्या असर पड़ेगा। हम यह भी देखेंगे कि सोने और चांदी में इनवेस्टमेंट के लिए सबसे सही रास्ता क्या है।
इंडिया का पहला गोल्ड फंड Nippon India Exchange-Traded Fund Gold BeES था। यह मार्च 2007 में लॉन्च हुआ था। यह एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) के लिहाज से कमोडिटी से जुड़ा सबसे बड़ा फंड है। फरवरी के अंत में इसका एयूएम 7,200 करोड़ रुपये था।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार के गोल्ड फंड्स को मिलने वाले टैक्स बेनेफिट्स को खत्म कर देने से इनमें इनवेस्टर्स की दिलचस्पी घटेगी। रिटेल इनवेस्टर्स फिजिकल गोल्ड में इनवेस्ट करना पसंद करेंगे। सेंट्रिसिटी वेल्थटेक के फाउंडिंग मेंबर विनायक मैगोत्रा ने कहा, "सरकार के नए नियम का गोल्ड ईटीएफ पर कितना असर पड़ेगा, यह कई बातों से तय होगा, क्योंकि फिजिकल गोल्ड के साथ स्टोरेज और इंश्योरेंस कॉस्ट सहित कई तरह की दिक्कतें बनी हुई हैं।"
एक्सपर्ट्स का कहना है कि डेट टैक्ससेशन में बदलाव के बाद सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) का अट्रैक्शन बढ़ रहा है। सरकार ने एसजीबी को 2015 में लॉन्च किया था। इसमें कम से कम 1 ग्राम गोल्ड में इनवेस्ट करने की सुविधा उपलब्ध है। एसजीबी में निवेश 8 साल में मैच्योर हो जाता है। पांचवें साल से बायबैक की सुविधा मिलने लगती है।
फिनोवेट के को-फाउंडर नेहल मोटा ने कहा, "गोल्ड फंड्स के लिए टैक्स के नियम बदल जाने के बाद इनवेस्टर्स के पास SGB में निवेश करने का विकल्प है। इसमें सालाना 2.5 फीसदी इंटरेस्ट मिलता है। इसका पेमेंट हर छमाही होता है। अगर इनवेस्टर्स एसजीबी में 8 साल तक अपना निवेश बनाए रखता है तो उसे कैपिटल गेंस पर किसी तरह का टैक्स नहीं देना पड़ता है।" लेकिन, इनवेस्टर्स का पैसा पांच साल के लिए लॉक हो जाता है। इसलिए इसमें लिक्विडिटी कम है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि गोल्ड ईटीएफ लिक्विडिटी के मामले में बेहतर है। फिजिकल गोल्ड के मुकाबले इसमें निवेश करना आसान है। इसमें निवेश सुरक्षित भी है। निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर विक्रम धवन ने कहा, "गोल्ड ईटीएफ सेबी के रेगुलेशन के तहत आता है। इसलिए यह काफी सुरक्षित है।"