भारत के रियल एस्टेट मार्केट में बड़ा बदलाव आया है। अब लग्जरी होम्स सिर्फ आवास की जगह नहीं, बल्कि एक स्टेटस, लाइफस्टाइल और लंबी अवधि की संपत्ति के रूप में उभर रहे हैं। देश में धनवान वर्ग की बढ़ती संख्या और बढ़ती संपत्ति ने इन घरों की मांग को दोगुना कर दिया है। महामारी के बाद घर कार्यस्थल, मनोरंजन और आराम का केंद्र बन गया है, जिससे लग्जरी होम्स की महत्तवता और बढ़ गई है।
बढ़ती मांग और बिक्री के आंकड़े
रिपोर्ट के मुताबिक, 1.5 करोड़ रुपए से अधिक कीमत वाले लग्जरी घरों की बिक्री में तेजी आई है। 5 करोड़ से ऊपर की कीमत वाले घरों की बिक्री में 2024 में 80% की वृद्धि देखी गई। दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहरों में ये बिक्री अब कुल रेसिडेंशियल बिक्री का 5% से बढ़कर 3% से ऊपर हो गई है।
आधुनिक भारतीय निवेशक अब सिर्फ मकान खरीदने की सोच नहीं रखते, बल्कि अनुभव, प्राइवेसी, डिजाइन और आधुनिक तकनीक को महत्व देते हैं। घरेलू और विदेशों में बसे धनी लोग गुणवत्ता, ब्रांड और स्थान के लिए प्रीमियम देने को तैयार हैं। लग्जरी घर स्थिर संपत्ति माने जाते हैं, जो वित्तीय बाजार की अस्थिरता से बचाव करते हैं।
सरकारी नीतियों का समर्थन और विकास
रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट (RERA) और विदेशी निवेश नियमों से बाजार में पारदर्शिता बढ़ी है। यूनियन बजट में आवास योजनाओं के प्रति समर्थन भी प्रदर्शन में दिखाई दे रहा है। टेक्नोलॉजी और डिजिटलाइजेशन ने भी रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेशकों और ग्राहकों का विश्वास बढ़ाया है।
लग्जरी हाउसिंग में स्थिर मांग और विकास की उम्मीद है। खरीददार अब निजी वातावरण, हरित भवन और स्मार्ट होम टेक्नोलॉजी जैसी खूबियों की तलाश कर रहे हैं। निवेश के लिहाज से भी लग्जरी होम्स अब सुरक्षित और दीर्घकालिक विकल्प होते जा रहे हैं, जो भारत के आर्थिक विकास का नया चेहरा हैं।