Magic of Compounding: 5 लाख का बेस तैयार होने में लगते हैं 8 साल, फिर आपका पैसा बुलेट की रफ्तार से बढ़ता है

Magic of Compounding: अगर आपके पास धैर्य और अनुशासन है तो फिर आपको बड़ा फंड तैयार करने से कोई रोक नहीं सकता। जो इनवेस्टर्स रेगुलर इनवेस्ट करते हैं वे कंपाउंडिंग के लिए पहले बड़ा बेस तैयार करते हैं। बाद में कंपाउंडिंग का मैजिक काम करता है

अपडेटेड Sep 17, 2025 पर 4:02 PM
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आप जितनी जल्द इनवेस्ट करना शुरू करेंगे आपके फंड को बढ़ने का उतना ज्यादा मौका मिलेगा।

अगर आप इनवेस्टमेंट से बड़ा फंड तैयार करना चाहते हैं तो आपको कंपाउंडिंग के मैजिक को समझना होगा। कंपाउंडिंग सीधी लाइन में नहीं चलता है। समय के साथ इसकी रफ्तार बदलती है। फंड्सइंडिया ने अपनी नई रिपोर्ट में एक दिलचस्प जानकारी दी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर आप हर महीने 30,000 रुपये का निवेश 12 फीसदी अुमानित रिटर्न के साथ करते हैं तो 8 साल 3 महीने में आपके लिए 50 लाख का फंड तैयार हो जाता है। लेकिन, आपके फंड के 4.5 करोड़ रुपये से 5 करोड़ होने में सिर्फ 10 महीने का समय लगता है। यहां तक कि आपके फंड के 4 करोड़ से 4.5 करोड़ रुपये होने में सिर्फ 11 महीने का समय लगता है।

50 लाख का पहला फंड आपके मंथली कंट्रिब्यूशन से तैयार होता है

शुरुआत में 50 लाख का फंड तैयार होने में सबसे ज्यादा हाथ आपके मंथली कंट्रिब्यूशन का होता है। बाद में आपके फंड के बढ़ने में फंड पर मिलने वाले रिटर्न का ज्यादा हाथ होता है। इसे हम एक कैलकुलेशन से समझ सकते हैं। आपके पहले 50 लाख के फंड में आपके कंट्रिब्यूशन की हिस्सेदारी 59 फीसदी (29.5 लाख रुपये) और इनवेस्टमेंट पर रिटर्न की हिस्सेदारी 41 फीसदी (20.5 लाख रुपये) होती है। दूसरा 50 लाख यानी आपके पैसे के 50 लाख रुपये से 1 करोड़ बनने में यह अनुपात बदल जाता है। इसमें रिटर्न की हिस्सेदारी 71 फीसदी (35.5) और आपके नए कंट्रिब्यूशन की हिस्सेदारी 29 फीसदी (14.5 लाख रुपये) होती है।


बाद में आपके पैसे के बढ़ने में इनवेस्टमेंट पर रिटर्न का ज्यादा हाथ

4.5 करोड़ से 5 करोड़ का फंड बनने में आपके नए कंट्रिब्यूशन की हिस्सेदारी सिर्फ 6 फीसदी (3 लाख रुपये) होती है, जबकि 94 फीसदी पैसा (47 लाख) रिटर्न से आता है। यह कंपाउंडिंग के मैजिक का नतीजा है। इसमें एक बार बेस तैयार हो जाने पर रिटर्न से आपका पैसा बढ़ता जाता है। कुछ ही सालों में आपके लिए बड़ा फंड तैयार हो जाता है। कंपाउंडिंग का फायदा तभी मिलता है, जब आप पैसे को बढ़ने के लिए समय देते हैं। बेस तैयार होने में आपके शुरुआती कंट्रिब्यूशन का बड़ा हाथ होता है। उसके बाद पैसा रिटर्न की बदौलत बढ़ता जाता है।

मंथली 30000 रुपये के कंट्रिब्यूशन से 8 साल 3 महीने में 50 लाख का फंड

हर महीने 30,000 रुपये के आपके कंट्रिब्यूशन से 50 लाख रुपये का पहला बेस तैयार होने में 8 साल 3 महीने का समय लगता है। एक बार बेस तैयार हो जाने के बाद उस पर मिलने वाले रिटर्न से आपका पैसा तेजी से बढ़ता है। यही वजह है कि बाद का 50 लाख सिर्फ कुछ महीनों में आ जाता है। इसका मतलब है कि शुरुआत में पैसा धीरे-धीरे बढ़ता है। बाद में इसकी रफ्तार बढ़ती है। आखिर में फंड बढ़ने की रफ्तार काफी तेज हो जाती है। इस रफ्तार का अंदाजा आप नहीं लगा सकते।

compounding

शुरुआत में पैसे बढ़ने की सुस्त रफ्तार से इनवेस्टर्स हो जाते हैं निराश

इस उदाहरण से एक बात यह साफ हो जाती है कि लोग इनवेस्टमेंट से क्यों बड़ा फंड तैयार नहीं कर पाते। इसकी वजह यह है कि ज्यादातर इनवेस्टर्स शुरुआत में पैसे बढ़ने की रफ्तार से निराश हो जाते हैं। कुछ महीनों या साल बाद वे निवेश करना बंद कर देते हैं। इससे यह भी पता चलता है कि बड़ा फंड तैयार करने के लिए धैर्य काफी जरूरी है।

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जितनी जल्द शुरुआत करेंगे फंड को बढ़ने का उतना ज्यादा समय मिलेगा

अगर आपके पास धैर्य और अनुशासन है तो फिर आपको बड़ा फंड तैयार करने से कोई रोक नहीं सकता। जो इनवेस्टर्स रेगुलर इनवेस्ट करते हैं वे कंपाउंडिंग के लिए पहले बड़ा बेस तैयार करते हैं। बाद में कंपाउंडिंग का मैजिक काम करता है। इस उदाहरण से यह पता चलता है कि आप जितनी जल्द इनवेस्ट करना शुरू करेंगे आपके फंड को बढ़ने का उतना ज्यादा मौका मिलेगा।

Rakesh Ranjan

Rakesh Ranjan

First Published: Sep 17, 2025 3:42 PM

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