प्रॉपर्टी से जुड़े अधिकारों पर पर्सनल लॉ और परंपरा का काफी ज्यादा असर पड़ता है। इस वजह से कई लोग प्रॉपर्टी पर अपने अधिकार को लेकर उलझन में रहते हैं। नाना की प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी को लेकर काफी ज्यादा उलझन की स्थिति है। क्या कोई व्यक्ति नाना की प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी का दावा कर सकता है? इस सवाल का जवाब कई बातों पर निर्भर करता है। इनमें प्रॉपर्टी किस तरह की है, प्रॉपर्टी का स्ट्रक्चर क्या है और उस पर कौन से पर्सनल लॉन लागू होते हैं, यह बहुत मायने रखता है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
प्रॉपर्टी दो तरह की होती है
सबसे पहले प्रॉपर्टी की किस्म की बात करते हैं। जो प्रॉपर्टी (Property) बंटवारे के बगैर चार पीढ़ियों से मेल लाइनेज में ट्रांसफर हो रही है, उसे एनसेस्टरल प्रॉपर्टी (Ancestral Property) या पुश्तैनी संपत्ति कहा जाता है। अगर कोई व्यक्ति अपनी कमाई से कोई प्रॉपर्टी खरीदता है या उसे गिफ्ट या किसी दूसरे तरह से हासिल करता है, उसे सेल्फ-एक्वायर्ड प्रॉपर्टी कहा जाता है। इनहेरिटेंस लॉ में दोनों तरह की प्रॉपर्टी के लिए अलग-अलग नियम हैं।
अगर आप हिंदू सक्सेशन एक्ट, 1956 के तहत आते हैं तो नाना की प्रॉपर्टी में आपका दावा इस बात पर निर्भर करता है कि प्रॉपर्टी एनसेस्टरल है या सेल्फ-एक्वायर्ड है।
1. सेल्फ-एक्वायर्ड प्रॉप्रटी
आपके नाना का अपनी सेल्फ-एक्वायर्ड प्रॉपर्टी पर पूरा हक है। वह इस प्रॉपर्टी या इसका हिस्सा किसी को वसीयत या गिफ्ट डीड के जरिए दे सकते हैं। अगर वसीयत बनाए बगैर आपके नाना का देहांत हो जाता है तो प्रॉपर्टी हिंदू सक्सेशन एक्ट के मुताबिक कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच बांट दी जाती है। इस मामले में कानूनी उत्तराधिकारियों में निम्निलिखित शामिल हैं:
पहली वरीयता: नाना की प्रॉपर्टी में पहली वरीयता उनके बच्चों (आपकी मां और उनके भाई-बहन) और आपकी नानी को मिलेगी।
दूसरी वरीयता: दूसरी वरीयता नाती-पोतों को मिलेगी, अगर बच्चों का निधन हो गया होगा तब।
अगर प्रॉपर्टी पुश्तैनी है तो इसके मालिकाना हक का ट्रांसफर सर्वाइवरशिप राइट्स के तहत होता है। हिंदू लॉ के तहत नाती-पोतों का दावा तब प्रॉपर्टी पर हो सकता है जब उनकी मांग को प्रॉपर्टी विरासत में मिली है या पुश्तैनी प्रॉपर्टी पर उनका हक है।
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आप निम्नलिखित स्थितियों में अपने नाना की प्रॉपर्टी में हिस्से का दावा कर सकते हैं:
आपकी मां को विरासत में हिस्सेदारी मिली हो: अगर आपकी मां को विरासत में प्रॉपर्टी या उसका हिस्सा मिला है तो उन्हें (मां) इस प्रॉपर्टी का मालिकाना हक आपको ट्रांसफर करने का हक है। अगर आपक नाम वसीयत में शामिल है तो उस प्रॉपर्टी में आपका हक होगा।