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नाना की प्रॉपर्टी में क्या आप हिस्सेदारी के लिए दावा कर सकते हैं? जानिए क्या कहता है कानून

प्रॉपर्टी को लेकर व्यक्ति के अधिकार पर पर्सनल लॉ और परंपरा का काफी ज्यादा असर पड़ता है। इंडिया में हिंदू लॉ के प्रावधान उन लोगों पर लागू होते हैं जो हिंदू हैं। इसी तरह मुस्लिम लॉ के प्रावधान उन लोगों पर लागू होते हैं जो मुस्लिम हैं। प्रॉपर्टी के मामले में भी पर्सनल लॉ के प्रावधान लागू होते हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Dec 09, 2024 पर 5:07 PM
नाना की प्रॉपर्टी में क्या आप हिस्सेदारी के लिए दावा कर सकते हैं? जानिए क्या कहता है कानून
अगर कोई व्यक्ति अपनी कमाई से कोई प्रॉपर्टी खरीदता है या उसे गिफ्ट या किसी दूसरे तरह से हासिल करता है, उसे सेल्फ-एक्वायर्ड प्रॉपर्टी कहा जाता है।

प्रॉपर्टी से जुड़े अधिकारों पर पर्सनल लॉ और परंपरा का काफी ज्यादा असर पड़ता है। इस वजह से कई लोग प्रॉपर्टी पर अपने अधिकार को लेकर उलझन में रहते हैं। नाना की प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी को लेकर काफी ज्यादा उलझन की स्थिति है। क्या कोई व्यक्ति नाना की प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी का दावा कर सकता है? इस सवाल का जवाब कई बातों पर निर्भर करता है। इनमें प्रॉपर्टी किस तरह की है, प्रॉपर्टी का स्ट्रक्चर क्या है और उस पर कौन से पर्सनल लॉन लागू होते हैं, यह बहुत मायने रखता है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

प्रॉपर्टी दो तरह की होती है

सबसे पहले प्रॉपर्टी की किस्म की बात करते हैं। जो प्रॉपर्टी (Property) बंटवारे के बगैर चार पीढ़ियों से मेल लाइनेज में ट्रांसफर हो रही है, उसे एनसेस्टरल प्रॉपर्टी (Ancestral Property) या पुश्तैनी संपत्ति कहा जाता है। अगर कोई व्यक्ति अपनी कमाई से कोई प्रॉपर्टी खरीदता है या उसे गिफ्ट या किसी दूसरे तरह से हासिल करता है, उसे सेल्फ-एक्वायर्ड प्रॉपर्टी कहा जाता है। इनहेरिटेंस लॉ में दोनों तरह की प्रॉपर्टी के लिए अलग-अलग नियम हैं।

हिंदू लॉ के तहत अधिकार

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