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Maternity Leave: मैटरनिटी लीव के समय कब-कितनी मिलती है छुट्टी? बेसिक या पूरी सैलरी, बैंक अकाउंट में कितना आता है पैसा

Maternity Leave Salary: मां बनना हर एक महिला के लिए अलग अहसास है। नोएडा में एक बड़ी कंपनी में काम करने वाली राधिका गोयल पहली बार मां बनी। मां बनने की खुशी के साथ कई सवाल राधिका के मन में आने लगे। उनका पहला सवाल यही था कि उनकी कंपनी उन्हें कितने महीने की मैटरनिटी लीव देगी

अपडेटेड Nov 22, 2024 पर 3:56 PM
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Maternity Leave: भारत में कितने महीने की मैटरनिटी लीव मिलेगी?

Maternity Leave Salary: मां बनना हर एक महिला के लिए अलग अहसास है। नोएडा में एक बड़ी कंपनी में काम करने वाली राधिका गोयल पहली बार मां बनी। मां बनने की खुशी के साथ कई सवाल राधिका के मन में आने लगे। उनका पहला सवाल यही था कि उनकी कंपनी उन्हें कितने महीने की मैटरनिटी लीव देगी? दूसरा, मैटरनिटी लीव के दौरान कितनी सैलरी बैंक अकाउंट में आएगी? यहां आपको बता रहे हैं कि मैटरनिटी लीव के दौरान ज्यादतर कंपनी आपको क्या-क्या फायदे देती है और क्या नहीं देती है?

मैटरनिटी लीव में क्या फायदे मिलते हैं?

अगर आप नौकरी करते हैं, तो पहला सवाल यही आता है कि भारत में कितने महीने की मैटरनिटी लीव मिलेगी? दूसरा मेटेरनिटी लीव के दौरान कितनी सैलरी मिलेगी? कई महिलाएं इस बात से अनजान होती हैं कि उन्हें कितना वेतन मिलेगा? महिलाओं को अधिकतम कितने दिन की छुट्टी मिलेगी? कितने बच्चों के लिए यह फायदा मिलता है? मैटरनिटी लीव मैटरनिटी लाभ अधिनियम 1961 (The Maternity Benefits Act 1961) और मैटरनिटी लाभ (रिवाइज) अधिनियम 2016 से लागू है।


कितने महीने की मिलती है मैटरनिटी लीव?

भारत में पूरे छह महीने की मैटरनिटी लीव मिलती है। ये छह महीने की छुट्टी सैलरी के साथ मिलती है। लेकिन, क्या आपको ये पता है कि मैटरनिटी लीव के दौरान सैलरी का कौनसा पार्ट मिलता है कौनसा नहीं मिलता है।

क्या मैटरनिटी लीव के दौरान पूरा वेतन मिलता है?

मैटरनिटी फायदों के अधिनियम के अनुसार मैटरनिटी लीव पर जाने वाली महिला को पूरे वेतन का हक है। अधिनियम की धारा 5 कहती है कि यह पेमेंट महिला के औसत डेली सैलरी पर आधारित होती है। जो छुट्टी से पहले तीन महीने के औसत वेतन के आधार पर तय की जाती है। इसका मतलब है कि महिला को वेतन के सभी पार्ट जैसे बेसिक, हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और अन्य भत्तों सहित पूरा वेतन मिलेगा। हालांकि, कई कंपनियां सिर्फ बेसिके पे ही देती है।

मैटरनिटी लीव के फायदे महिला कर्मचारी को कब मिलते हैं?

मैटरनिटी लीव का फायदा पाने के लिए महिला को अपनी कंपनी में डिलीवरी से पहले के 12 महीनों में कम से कम 80 दिन काम करना अनिवार्य है। यदि महिला नई नौकरी में शामिल हुई है और 80 दिनों की अनिवार्यता पूरी नहीं करती है, तो वह लीव के लिए पात्र नहीं होगी। हालांकि, अगर प्रेगनेंसी के सेकेंड ट्राइमेस्टर से पहले वह नौकरी शुरू करती है, तो 80 दिन की पात्रता पूरी होने की संभावना बन सकती है।

कौनसी प्रेगनेंसी में कितनी मिलेती है मैटरनिटी लीव?

पहले और दूसरे बच्चे के लिए महिला को 26 सप्ताह (6 महीने) की पेड लीव मिलता है।

तीसरे बच्चे के लिए यह लीव घटकर 12 सप्ताह (3 महीने) हो जाती है।

किसी जटिलता या शिशु की समस्या की स्थिति में, महिला मेडिकल डॉक्यूमेंट के साथ एक्स्ट्रा छुट्टी के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

गर्भपात या अन्य मामलों में छुट्टी

अधिनियम गर्भपात या मेडिकल टर्मिनेशन के मामलों में भी 6 सप्ताह का अनिवार्य लीव देता है। इसके अलावा स्वास्थ्य संबंधी कारणों से छुट्टी बढ़ाने का प्रावधान है, लेकिन यह नियोक्ता और कर्मचारी के बीच आपसी सहमति पर निर्भर करता है।

गोद लेने के मामलों में छुट्टी

यदि कोई महिला तीन महीने से छोटे बच्चे को गोद लेती है या वह कमीशनिंग मदर (सरोगेसी के जरिए) है, तो उसे बच्चे को सौंपे जाने की तारीख से 12 सप्ताह की मैटरनिटी लीव मिलेगी।

कब शुरू कर सकते हैं मैटरनिटी लीव?

महिला अपने प्रसव की अनुमानित तिथि से 8 सप्ताह पहले मैटरनिटी लीव शुरू कर सकती है। बाकी बचा हुआ लीव वह डिलीवरी के बाद ले सकती है। जिन महिलाओं के पास दो या अधिक बच्चे हैं, उनके लिए यह पीरियड 6 सप्ताह पहले शुरू होती है। मैटरनिटी अधिनियम के तहत 50 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले संस्थानों को क्रेच की सुविधा उपलब्ध कराना अनिवार्य है। यह सुविधा सभी महिलाओं के लिए है, चाहे वह सरकारी हो या प्राइवेट सेक्टर में काम करती हों।

 

MoneyControl News

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First Published: Nov 22, 2024 3:42 PM

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