पहले रिटायरमेंट को करियर का फुल स्टॉप माना जाता था। अब प्रोफेशनल्स के बीच मल्टी-रिटायरमेंट का चलन बढ़ रहा है। इसकी बड़ी वजह यह है कि पैसे कमाने, वेल्थ बनाने और खुश रहने को लेकर लोगों का नजरिया बदल गया है। एचएसबीसी के क्वालिटी ऑफ लाइफ सर्वे से इस बारे में दिलचस्प जानकारियां मिली हैं। इस सर्वे में दुनियाभर के 10,797 इनवेस्टर्स को शामिल किया गया। इससे 21 से 69 साल के इंडिया के लोग भी शामिल थे।
मिनी रिटायरमेंट से जिंदगी में बढ़ता है आनंद
इस सर्वे में शामिल करीब 85 फीसदी भारतीय यह मानते हैं कि Mini Retirement से उनकी लाइफ की क्वालिटी बढ़ जाती है। मिनी रिटायरमेंट का मतलब ऐसे करियर ब्रेक से है, जिसे प्रोफेशनल खुद प्लान करता है। यह ब्रेक कुछ महीनों से लेकर कुछ सालों तक का हो सकता है। इस ब्रेक के दौरान व्यक्ति अपने शौक और हॉबीज पर फोकस करता है। इसमें ट्रैवल, फैमिली टाइम और स्किल डेवलपमेटं शामिल हैं। मिनी रिटायरमेंट के बाद व्यक्ति को जीवन में पॉजिटिव बदलाव महसूस होता है।
मिनी रिटायरमेंट 3 से 12 महीने का हो सकता है
मल्टी रिटायरमेंट का मतलब पूरी जिंदगी में कई छोटे-छोटे ऐसे ब्रेक लेने से है। इससे व्यक्ति को अपनी प्राथमिकताएं तय करने और अपनी इच्छाएं पूरी करने का मौका मिलता है। इंडिया में मल्टी रिटायरमेंट का चलन तेजी से बढ़ रहा है। सर्वे में शामिल करीब 48 फीसदी लोग कम से कम एक मिनी रिटायरमेंट लेना चाहते हैं। 44 फीसदी का मानना है कि मिनी रिटायरमेंट ब्रेक का पीरियड 3 से 12 महीने होना चाहिए। यह रिटायरमेंट को लेकर दशकों से चली आ रही सोच में बदलाव का संकेत है।
करियर और पर्सनल लाइफ को लेकर बदल रही सोच
एचएसबीसी इंडिया में इंटरनेशनल वेल्थ एंड प्रीमियर बैंकिंग के हेड संदीप बत्रा ने कहा कि मल्टी रिटायरमेंट से यह पता चलता है कि करियर और व्यक्तिगत जिंदगी को लेकर लोगों की सोच किस तरह से बदल रही है। लेकिन, इस बदलाव के लिए व्यक्ति की इनवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी का एनालिसिस जरूरी है। हर छह से सात साल पर एक मिनी रिटायरमेंट के साथ लाइफ के गोल पूरे करने के ठोस प्लान होने चाहिए। इसके लिए केयरफुल प्लानिंग जरूरी है।
मिनी रिटायरमेंट के लिए जरूरी है ठोस प्लानिंग
सर्वे के नतीजों के मुताबिक, करीब 61 फीसदी लोगों ने बताया कि वह हर मिनी रिटायरमेंट पर 1,00,000 डॉलर या ज्यादा खर्च करना चाहते हैं। 39 फीसदी लोगों का मानना था कि उनकी कॉस्ट इस अमाउंट से कम होगी। मिनी रिटायरमेंट के दौरान परिवार या पेरेंट्स से आर्थिक मदद, पार्ट टाइम या फ्रीलांस वर्क पैसे के मुख्य स्रोत होते हैं। इंडिया में युवाओं की मिनी रिटायरमेंट में ज्यादा दिलचस्पी दिख रही है। 64 फीसदी Gen Z और 58 फीसदी मिलेनियल्स मिनी रिटायरमेंट प्लान करना चाहते हैं। बत्रा ने कहा कि मल्टीपल करियर ब्रेक के लिए एग्रेसिव इनवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी जरूरी है। मल्टी रिटायरमेंट के रास्ते में कई चुनौतियां हैं। इनमें फाइनेंशियल सिक्योरिटी सबसे अहम है।