क्या आपके पास कंपनी की तरफ से ऑफर की गई हेल्थ पॉलिसी है? अगर हां तो उसका कवरेज अमाउंट कितना है? दरअसल प्रूडेंट इंश्योरेंस ब्रोकिंग की एक स्टडी से दिलचस्प जानकारियां मिली हैं। स्टडी के मुताबिक, इंडिया में एंप्लॉयीज और उनकी फैमिली के लिए 5 लाख रुपये कवरेज अमाउंट और 50,000 रुपये मैटरनिटी बेनेफिट वाली ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस सबसे कॉमन है। 40 फीसदी से कम कंपनियों ने अपने एंप्लॉयीज 4 लाख से कम कवर अमाउंट वाली पॉलिसी दी हैं। 5 लाख रुपये से ज्यादा कवर की पॉलिसी ऑफर करने वाली कंपनियों की संख्या काफी कम है।
स्टडी में 10 लाख एंप्लॉयीज शामिल
प्रूडेंट इंश्योरेंस ब्रोकर्स के मुताबिक, इस स्टडी में 14 सेक्टर की 3,100 कंपनियों के 10 लाख एंप्लॉयीज को शामिल किया गया। करीब 57 फीसदी कंपनियां एंप्लॉयीज के पेरेंट्स को भी कवरेज ऑफर करती हैं। यह बेस पॉलिसी के तहत होता है या वॉलेंटरी बेनेफिट पैकेज के तहत होता है। वाइस प्रेसिडेंट सुरिंदर भगत ने कहा, "ऑफिस में इनक्लूसिविटी के मकसद से अब दिव्यांग भाई-बहन और एलजीबीटी पार्टनर्स को भी कवरेज में शामिल किया जा रहा है।"
ज्यादातर पॉलिसी में मैटरनिटी कवरेज की 50,000 की सीमा
इस स्टडी के मुताबिक, इंडिया में 95 फीसदी से ज्यादा कंपनियां एंप्लॉयीज या उनकी पत्नी को मैटरनिटी बेनेफिट ऑफर करती हैं। नॉमर्ल और सी-सेक्शन डिलीवरी के लिए मैटरनिटी कवरेज की सीमा 50,000 रुपये है। भगत ने कहा, "कुछ ऐसे सेक्टर हैं, जिनमें सी-सेक्शन का औसत कवरेज 70,000 रुपये है। इनमें बीएफएसआई, ई-कॉमर्स, ऐडटेक, रिटेल, इंजीनियरिंग, पावर और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे सेक्टर शामिल हैं।"
बेस पॉलिसी में मातापिता भी शामिल
आम तौर पर कंपनियां एंप्लॉयीज के मातापिता या सास-ससुर को फैमिली की परिभाषा के तहत रखती है। यह इसके बावजूद की पिछले कुछ सालों में बुजुर्गों के इलाज की कॉस्ट बढ़ी है। भगत ने कहा कि फैमिली की आम परिभाषा में एंप्लॉयी, उसकी पत्नी/पति और बच्चे आते हैं। ये सभी बेस प्लान कवरेज का हिस्सा होते हैं। लेकिन, कुछ खास सेक्टर जैसे ई-कॉमर्स, मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चरिंग, फैसिलिटी मैनेजमेंट बेस प्लान में पेरेंट्स को शामिल नहीं करते हैं। कुल क्लेम में पेरेंट्स की हिस्सेदारी करीब 60 फीसदी है।
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सिर्फ कंपनी की पॉलिसी पर निर्भरता ठीक नहीं
कई एंप्लॉयीज सिर्फ कंपनी की तरफ से ऑफर की गई हेल्थ पॉलिसी पर निर्भर करते हैं। यह एक बड़ी गलती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि एंप्लॉयी के पास खुद की भी हेल्थ पॉलिसी होनी चाहिए। इसके अलावा उसे अपने पेरेंट्स के लिए भी अलग से हेल्थ पॉलिसी खरीद लेना चाहिए। इसकी वजह यह है कि आजकल एंप्लॉयर बदलने के साथ पॉलिसी बदल जाती है।