गिरावट के बीच कहां निवेश करने पर मिलेगा शानदार मुनाफा? जानिए एक्सपर्ट्स के जवाब

मल्टी एसेट एलोकेशन फंड मार्केट की स्थितियों के हिसाब से एसेट्स में निवेश करता है। मल्टी-एसेट फंड के लिए इक्विटी, डेट और गोल्ड में कम से कम 10 फीसदी निवेश बनाए रखना अनिवार्य है। इसके अलावा फंड मैनेजर के पास ग्लोबल इक्विटी, एक्सचेंज ट्रेडेड कमोडिटी डेरिवेटिव्स (ईटीसीडी), आरईआईटी और इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट में निवेश का भी विकल्प होता है

अपडेटेड Nov 21, 2024 पर 10:00 AM
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मल्टी-एसेट एलोकेशन फंडों का तीन साल में सालाना रिटर्न 21 फीसदी से लेकर 26 फीसदी तक रहा है।

स्टॉक मार्केट में फिलहाल हालात बदलने की उम्मीद नहीं दिख रही। निवेशक शेयरों में निवेश करने से डर रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बाजार में तेजी लौटने में थोड़ा समय लग सकता है। ऐसे में निवेशकों के सामने बड़ा सवाल यह है कि उन्हें कहां निवेश करना चाहिए? एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी मल्टी-एसेट फंड में निवेश करना फायदेमंद रहेगा। मल्टी-एसेट फंड की खासियत यह है कि यह मार्केट की स्थितियों के मुताबिक अलग-अलग एसेट्स में निवेश करता है।

मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड का मतलब

मल्टी-एसेट फंड (Multi-Asset Allocation Fund) के लिए इक्विटी, डेट और गोल्ड में कम से कम 10 फीसदी निवेश बनाए रखना अनिवार्य है। इसके अलावा फंड मैनेजर के पास ग्लोबल इक्विटी, एक्सचेंज ट्रेडेड कमोडिटी डेरिवेटिव्स (ईटीसीडी), आरईआईटी और इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट में निवेश का भी विकल्प होता है। फंड मैनेजर वैल्यूएशन और अर्निंग्स ग्रोथ के आधार पर यह तय करता है कि उसे कितना पैसा शेयरों में और कितना पैसा दूसरे एसेट्स में डालना है।


मार्केट की स्थितियों के हिसाब से निवेश

वेंचुरा सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, 25 मल्टी-एसेट फंडों में से 9 का कम से कम 60 फीसदी निवेश शेयरों में था। इनमें आदित्य बिड़ल सनलाइफ, एक्सिस, बजाज फिनसर्व, बड़ौदा बीएनपी पारिबा, डीएसपी, मोतीलाल ओसवाल, निप्पॉन इंडिया और श्रीराम के फंड शामिल हैं। इससे पता चलता है कि मार्केट के खराब सेंटिमेंट को देखते हुए फंडों ने इक्विटी में निवेश घटाने का फैसला लिया होगा। शेयरों में कम निवेश का मतलब है कि मार्केट में गिरावट बढ़ने पर उनके पोर्टफोलियो पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

किसी एक एसेट में पोर्टफोलियो का ज्यादा निवेश नहीं

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी मार्केट की जो स्थिति है, उसमें पोर्टफोलियो का 50 फीसदी हिस्सा ही शेयरों में निवेश करना ठीक है। बाकी पैसे का निवेश फिक्स्ड रिटर्न इंस्ट्रूमेंट्स, डेट फंड, गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ और ग्लोबल फंडों में किया जा सकता है। मल्टी-एसेट फंड का इनवेस्टमेंट एप्रोच बाजार की स्थितियों के हिसाब से बदलता रहता है। इससे बाजार में गिरावट आने पर ऐसे फंडों का एवरेज रिटर्न प्योर इक्विटी फंडों के मुकाबले ज्यादा होता है।

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तीन साल में सालाना 26 फीसदी तक रिटर्न

मार्केट में करीब दो दर्ज मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड्स हैं। इनमें Quant Multi Asset Fund, UTI Multi Asset Allocation Fund, ICICI Prudential Multi Asset Fund और Nippon India Multi Asset Allocation Fund शामिल है। तीन साल में इन फंडों का सालाना रिटर्न 21 फीसदी से लेकर 26 फीसदी तक रहा है। मल्टी एसेट फंड के निवेशकों को स्टॉक मार्केट्स में गिरावट आने पर चिंता करने की जरूरत नहीं रहती है।

MoneyControl News

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First Published: Nov 21, 2024 9:53 AM

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