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Mutual Fund inflows: म्यूचुअल फंड में घट रहा निवेश! अगस्त में 21% गिरा नेट इक्विटी इनफ्लो

Mutual Fund inflows: अगस्त 2025 में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का नेट इक्विटी इनफ्लो 21% घटकर ₹33,430 करोड़ रहा। यह लगातार 54वां महीना है जब इक्विटी फ्लो पॉजिटिव रहे, लेकिन नई स्कीमों और डेट कैटेगरी में तेज गिरावट दर्ज हुई।

अपडेटेड Sep 10, 2025 पर 3:55 PM
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अगस्त 2025 में कुल 23 स्कीमें लॉन्च हुईं, सभी ओपन-एंडेड और अलग-अलग कैटेगरी में।

Mutual Fund inflows:  अगस्त में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के ट्रेंड्स दिखाते हैं कि नेट इक्विटी इनफ्लो 21% गिरकर ₹33,430 करोड़ पर आ गया। इसका मतलब है कि अगस्त 2025 में जितना नया पैसा निवेशकों ने शेयरों में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड्स में डाला, वह जुलाई की तुलना में 21% कम था। जुलाई में यह ₹42,702.35 करोड़ और जून में ₹23,587 करोड़ था। ये आंकड़े AMFI ने 10 सितंबर को जारी किए।

यह लगातार 54वां महीना है जब इक्विटी फ्लो पॉजिटिव रहे, जो निवेशकों की लगातार मजबूत दिलचस्पी को दिखाते है। इक्विटी में मार्क-टू-मार्केट (MTM) गेन से सपोर्ट मिलने के बावजूद म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) मामूली गिरकर ₹75.18 लाख करोड़ रहा, जो जुलाई में ₹75.35 लाख करोड़ और जून में ₹74.41 लाख करोड़ था।

कुल 23 स्कीमें लॉन्च


अगस्त 2025 में कुल 23 स्कीमें लॉन्च हुईं, सभी ओपन-एंडेड और अलग-अलग कैटेगरी में। इनसे ₹2,859 करोड़ जुटाए गए। इसकी तुलना में जुलाई 2025 में 30 नई स्कीमों के जरिए ₹30,416 करोड़ जुटाए गए थे।

डेट कैटेगरी में ओपन-एंडेड फंड्स ने अगस्त में ₹7,980 करोड़ का नेट आउटफ्लो दर्ज किया, जो जुलाई के ₹1,06,801 करोड़ से काफी कम रहा। हाइब्रिड फंड्स का आंकड़ा भी घटकर अगस्त में ₹15,293 करोड़ पर आ गया, जबकि जुलाई 2025 में यह ₹20,879 करोड़ था।

म्यूचुअल फंड क्या होते हैं?

म्यूचुअल फंड एक ऐसा जरिया है, जहां कई लोगों का पैसा मिलाकर एक बड़ा फंड बनाया जाता है। इस फंड को एक्सपर्ट फंड मैनेजर संभालते हैं और पैसा शेयर, बॉन्ड या दूसरी जगहों पर लगाते हैं। इसका फायदा यह है कि छोटे-छोटे निवेशक भी आसानी से बड़ा और बंटा हुआ (डायवर्सिफाइड) निवेश कर पाते हैं।

सीधे शब्दों में कहें तो अगर किसी के पास शेयर मार्केट को समझने या समय देने की क्षमता नहीं है, तो वह म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश कर सकता है। इसमें रिस्क कम हो जाता है, क्योंकि पैसा एक ही जगह नहीं बल्कि अलग-अलग कंपनियों और सेक्टरों में लगाया जाता है।

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