नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) रिटायरमेंट प्लानिंग के लिहाज से बेस्ट ऑप्शन बन गया है। आपके नौकरी बदलने या विदेश चले जाने पर भी आपका एनपीएस अकाउंट आपके साथ बना रहता है। यूनिक पर्मानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (प्रान) इसकी वजह है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
नौकरी बदलने पर भी अकाउंट एक्टिव रहता है
जब कोई सब्सक्राइबर नौकरी बदलता है तो भी उसका NPS अकाउंट एक्टिव रहता है। वाइज फिनसर्क के ग्रुप सीईओ अजय कुमार यादव ने कहा, "चूंकि प्रान यूनिक है, जिससे यह हमेशा वैलिड बना रहता है। सब्सक्राइबर को नया अकाउंट खोलने की जरूरत नहीं पड़ती है।" नौकरी बदलने पर अगर नया एंप्लॉयर कॉर्पोरेट एनपीएस की सुविधा ऑफर करता है तो आपको सिर्फ अपने मौजूदा प्रान को लिंक करना होगा। आप चाहें तो ई-एनपीएस पोर्टल या अपने बैंक के जरिए खुद कंट्रिब्यूट कर सकते हैं।
इनकम बढ़ने पर कंट्रिब्यूशन बढ़ाने की सुविधा
नौकरी बदलने का असर सब्सक्राइबर के एनपीएस कॉर्पस पर नहीं पड़ता है। सब्सक्राइबर का पैसा उसकी तरफ से चुने गए फंड मैनेजर के साथ बना रहता है। उसके एसेट ऐलोकेशन में भी किसी तरह का बदलाव नहीं होता है। यादव ने बताया, "अगर नई नौकरी में आपकी सैलरी बढ़ जाती है तो आप अपना वॉलेंटरी कंट्रिब्यूशन बढ़ा सकते हैं।" इससे आपको अपने फाइनेंशियल गोल्स को हासिल करने में आसानी होगी।
विदेश शिफ्ट होने पर भी जारी रख सकते हैं कंट्रिब्यूशन
यादव ने कहा, "अगर आप विदेश चले जाते हैं तो भी आप बतौर NRI अपने एनपीएस अकाउंट में कंट्रिब्यूशन जारी रख सकते हैं।" इसके लिए आपके पास NRE या NRO अकाउंट होना जरूरी है। कंट्रिब्यूशन और क्रेडिटिंग सिर्फ रुपये में हो सकती है। आपको अपने पासपोर्ट, विदेश के एड्रेस प्रूफ और FATCA/CRS डेक्लेरेशन के साथ केवायसी अपडेट करना होगा। अगर आप स्थायी रूप से विदेश में बस जाते हैं तो 60 साल के होने तक अकाउंट को जारी रख सकते हैं। उसके बाद एनपीएस का पैसा अपने बैंक अकाउंट में विड्रॉ कर सकते हैं।
उम्र 60 साल होने पर एनपीएस मैच्योर हो जाता है
एनपीएस आपके 60 साल का होने पर मैच्योर कर जाता है। एनपीएस के फंड का 60 फीसदी आपको एकमुश्त मिल जाता है। यह टैक्स-फ्री होता है। बाकी 40 फीसदी फंड से एन्युटी खरीदना पड़ता है। अगर सब्सक्राइबर 60 साल के होने से पहले एनपीएस से पैसे निकालता है तो वह 20 फीसदी पैसा एकमुश्त निकाल सकता है। बाकी 80 फीसदी का इस्तेमाल एन्युटी खरीदने के लिए करना पड़ता है।
एनपीएस अकाउंट पूरी तरह से पोर्टेबल है
यादव ने कहा कि एनपीएस सबसे आसान, सस्ता और व्यवस्थित रिटायरमेंट प्रोडक्ट है। इसे रेजिडेंट्स और एनआरआई दोनों एक्सेस कर सकते हैं। पोर्टेबल होने के चलते नौकरी बदलने पर भी किसी तरह की दिक्कत नहीं आती है। सब्सक्राइबर देश के किसी हिस्से में ट्रांसफर होने के बाद भी इस स्कीम को आसानी से जारी रख सकता है। आप कह सकते हैं कि करियर के आपके ट्रैवल में यह आपके साथ-साथ चलता है।