NPS New Features: जानिए अब एनपीएस आपकी रिटायरमेंट प्लानिंग का जरूरी हिस्सा क्यों होना चाहिए

एनपीएस सबसे कम कॉस्ट वाला रिटायरमेंट प्लान है। टियर 1 इक्विटी ऑप्शन के लिए इसका सालाना एक्सपेंस रेशियो करीब 10 बेसिस प्वाइंट्स है। इसमें सालाना मिनिमम कंट्रिब्यूशन सिर्फ 1,000 रुपये है। हाल में किए गए कुछ अहम बदलावों से एनपीएस का अट्रैक्शन बढ़ा है

अपडेटेड Dec 19, 2025 पर 10:53 PM
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एनपीएस के करीब 2.1 करोड़ सब्सक्राइबर्स हैं।

नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के आज करीब 2.1 करोड़ सब्सक्राइबर्स हैं। इसका अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 16 लाख करोड़ रुपये है। भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में सब्सक्राइबर्स की यह संख्या ज्यादा नहीं कही जाएगी। हालांकि, पिछले सालों में एनपीएस के रेगुलेटर पीएफआरडी ने इस स्कीम को अट्रैक्टिव बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं।

एनपीएस की कॉस्ट काफी कम

National Pension System सबसे कम कॉस्ट वाला रिटायरमेंट प्लान है। टियर 1 इक्विटी ऑप्शन के लिए इसका सालाना एक्सपेंस रेशियो करीब 10 बेसिस प्वाइंट्स है। इसमें सालाना मिनिमम कंट्रिब्यूशन सिर्फ 1,000 रुपये है। इसके बावजूद इसका कुल सब्सक्राइबर्स बेस देश की आबादी के 2 फीसदी से भी कम है।


रिटर्न का शानदार ट्रैक रिकॉर्ड

ऐसा नहीं है कि NPS का प्रदर्शन रिटर्न के लिहाज से खराब है। टियर 1 इक्विटी स्पेस में 10 एसेट मैनेजर्स हैं। इनका तीन सालों का सालाना रिटर्न 12.5 से 16.5 फीसदी के बीच है। छह फंड मैनेजर्स का 10 साल का रिटर्न सालाना 12.5 से 14.5 फीसदी के बीच है। लंबी अवधि में इस रिटर्न को अच्छा कहा जाएगा।

पहले प्लान में कुछ खामियां थीं

इसके बावजूद एनपीएस के डिस्ट्रिब्यूशन वॉल्यूम की ग्रोथ सुस्त है। कम कमीशन के बावजूद कम लिक्विडिटी जैसी कुछ कमियां इसकी ग्रोथ के रास्ते में बाधक हैं। रिटायरमेंट पर एनपीएस में जमा कुल पैसे के 40 फीसदी हिस्से का इस्तेमाल एन्युटी खरीदने के लिए करना पड़ता है। इस वजह से भी कई लोग इस प्लान में दिलचस्पी नहीं दिखाते। एक बड़ी कमी यह है कि एकमुश्त 60 फीसदी विड्रॉल टैक्स-फ्री है, लेकिन एन्युटी से होने वाली इनकम टैक्स के दायरे में आती है।

म्यूचुअल फंड्स की स्कीम्स से मुकाबला

एनपीएस का मुकाबले म्यूचुअल फंड्स की स्कीमों से है। लिक्विडिटी, फ्लेक्सिबिलिटी और टैक्स के मामले में म्यूचुअल फंड्स एनपीएस से आगे निकल जाते हैं। एक्टिव इनकम के लॉस की भरपाई के लिए सिस्टमैटिक विड्रॉल प्लान का इस्तेमाल अपनी जरूरत के हिसाब से इनवेस्टर कर सकता है। लेकिन, कॉस्ट के मामले में एनपीएस आगे निकल जाता है। इसका सालाना एक्सपेंस म्यूचुअल फंड्स की स्कीम्स से कम है।

अब प्लान की ज्यादातर कमियां दूर हुईं 

हाल में किए गए कुछ अहम बदलावों से एनपीएस का अट्रैक्शन बढ़ा है। पहला, एग्जिट के लिए 60 साल की उम्र तक इंतजार करने की जरूरत नहीं रह गई है। सब्स्क्राइबर 15 साल के बाद एनपीएस से एग्जिट कर सकता है। अगर आपके एनपीएस फंड में 8 लाख रुपये तक जमा हैं, तो आप पूरा पैसा निकाल सकते हैं। पहले इसकी सीमा 2 लाख रुपये थी। अगर आपका कॉर्पस 12 लाख से ज्यादा का है तो आप 80 फीसदी पैसे निकाल सकते हैं। पहले 60 फीसदी विड्रॉल की इजाजत थी। अब बाकी 20 फीसदी का इस्तेमाल एन्युटी खरीदने के लिए करना होगा।

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रिटायरमेंट प्लान में शामिल करने में समझदारी

अब सब्सक्राइबर 85 साल की उम्र तक एनपीएस में निवेश बनाए रख सकता है। पहले इसकी सीमा 75 साल थी। इसका मतलब है कि आप 10 साल बाद एनपीएस से पैसे निकालना शुरू कर सकते हैं। इससे आपके पैसे को बढ़ने (कंपाउंडिंग) के लिए ज्यादा समय मिल जाएगा। एनपीएस की दूसरी खासियत यह है कि इसमें कम से कम 15 साल तक निवेश जरूरी है। किसी रिटायरमेंट प्लान का रिटर्न तभी ज्यादा होता है, जब प्लान में निवेश के पैसे को बढ़ने के लिए ज्यादा वक्त मिलता है।

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