अब टी स्टॉल से लेकर लग्जरी ब्रांड्स तक का पेमेंट डिजिटल तरीके से हो रहा है। एक तरफ डिजिटल पेमेंट्स (Digital Payments) काफी सुविधाजनक है तो दूसरी तरफ यह थोड़ा रिस्की है। साइबर क्रिमिनल्स फ्रॉड्स के लिए एडवान्स टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने लगे हैं। डिजिटल पेमेंट के लिए OTP जरूरी है। इस One Time Password का इस्तेमाल सिर्फ एक बार किया जा सकता है। यह कुछ मिनट्स के लिए वैलिड होता है। यह डिजिटल पेमेंट की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है। इसे पासवर्ड से ज्यादा सेक्योर माना जाता है। ओटीपी जेनरेट करने के लिए कॉम्पलेक्ट एल्गोरिद्म का इस्तेमाल होता है।
एक साल में मामलों में कई गुना वृद्धि
आज ओटीपी से जुड़े फ्रॉड्स और इसे इंटरसेप्ट करने के मामले आम हो गए हैं। RBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कार्ड्स और इंटरनेट सेगमेंट से जुड़े फ्रॉड्स के मामलों की संख्या इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में बढ़कर 12,069 हो गई। ये मामले करीब 630 करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन से जुड़े हैं। एक साल पहले की समान अवधि में ऐसे मामलों की संख्या 2,321 थी, जबकि ट्रांजेक्शन की वैल्यू 87 करोड़ रुपये थी।
फिशिंग का इस्तेमाल कर रहे साइबर क्रिमिनल
साइबर क्रिमिनल्स फ्रॉड्स के लिए फिशिंग और सोशल इंजीनियरिंग सहित कई तरह के तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। उनका मकसद सिक्योरिटी के उपायों में सेंध लगाना होता है। फिशिंग के तहत यूजर को सही दिखने वाले फर्जी ईमेल, फोन कॉल और एसएमएस के जरिए शिकार बनाया जाता है। उन्हें ओटीपी, बैंक अकाउंट की डिटेल और PIN जैसी संवेदनशील जानकारियां शेयर करने के लिए कहा जाता है।
जरूरी टिप्स का ध्यान रखने पर नहीं बनेंगे शिकार
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल बढ़ने से फ्रॉड करना आसान हो गया है। फ्रॉड करने वाले इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। सवाल है कि इससे बचने का रास्ता क्या है? अगर आप समझ लें कि ओटीपी और दूसरे डिजिटल ऑथिटिकेंशन टूल कैसे काम करते हैं तो आपके लिए ऐसे फ्रॉड का शिकार बनने से बचना आसान हो जाएगा।
बगैर ट्रांजेक्शन के ओटीपी आने पर हो जाए सावधान
अगर आपसे ओटीपी या व्यक्तिगत जानकारियां ईमेल या फोन कॉल के जरिए शेयर करने को कहा जाता है तो आपको सावधान हो जाने की जरूरत है। आज कई ई-कॉमर्स वेबसाइट्स सही व्यक्ति तक डिलीवरी पहुंचाने के लिए ओटीपी का इस्तेमाल करती हैं। ऐसे मामलों में डिलीवरी पर्सन की आइडेंटिटी को वेरिफाय करना जरूरी है। ऐसा करना आसान है, क्योंकि ईकॉमर्स कंपनियों एसएमएस के जरिए डिलवरी एजेंट के नाम और फोन नंबर की जानकारियां ग्राहकों को भेजती है।
संदेह होने पर तुरंत अपने बैंक अकाउंट को ट्रैक करें
यह याद रखें कि ओटीपी तभी आता है जब आप कोई ट्रांजेक्शन करते हैं। अगर आपने किसी ट्रांजेक्शन का प्रोसेस इनिशिएट नहीं किया है तो ओटीपी आने पर आपको सावधान हो जाने की जरूरत है। इसका मतलब है कि आपकी संवेदनशील जानकारियां का इस्तेमाल कोई दूसरा व्यक्ति कर रहा है। ऐसा होने पर आपको तुरंत अपने अकाउंट को ट्रैक करने की जरूरत है। इस बारे में आपको अपने बैंक को भी बताना चाहिए। मुमकिन हो तो ऑनलाइन अकाउंट्स के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करें।
बैंक और एनबीएफसी में अपने मोबाइल नंबर और एड्रेस को करें अपडेट
अपने मोबाइल नंबर और एड्रेस को अपडेट करना जरूरी है। इससे अहम जानकारियां जैसे ओटीपी, ईमेल आदि को किसी दूसरे व्यक्ति के पास जाने से रोका जा सकता है। फ्रॉड करने वाले अक्सर मालवेयर-इनफेस्टेड लिंक का इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए कैश प्राइज या डिस्काउंट का लालच दिया जाता है। ऐसे प्राइज या डिस्काउंट के ऑफर से हमेशा सावधान रहें।
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