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मामूली जरूरत पर क्या आप भी पर्सनल लोन लेते रहते हैं? जानिए इसके क्या-क्या नुकसान हैं

पर्सनल लोन आपको तभी लेना चाहिए, जब आपके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है। फिर लोन लेने के बाद आपको उसकी EMI चुकाने का पूरा ध्यान रखना होगा। आपका टारगेट उस लोन को तय अवधि में चुकाने का होना चाहिए। बैंक या एनबीएफसी पर्सनल लोन फिक्स्ड पीरियड के लिए देते हैं

अपडेटेड Dec 23, 2024 पर 11:34 AM
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लोन की EMI के पेमेंट पर डिफॉल्ट करने से सबसे पहला नुकसान यह है कि आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता है।

कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है, जब हमें अचानक पैसे की जरूरत पड़ जाती है। हमें दोस्त-रिश्तेदार से पैसे मांगने की जरूरत पड़ती है। कई लोग रिश्तेदार और दोस्त से पैसे नहीं मांगना चाहते। ऐसे लोगों के लिए पर्सनल लोन आसान विकल्प होता है। पिछले कुछ सालों में फिनटेक की वजह से लोन एप्रूव होने में समय नहीं लगता है। लोन का पैसा आपके सेविंग्स अकाउंट में तुरंत आ जाता है। इसलिए कई लोग मामूली जरूरत पर भी पर्सनल लोन लेते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसा करना ठीक नहीं है। इसके कई नुकसान है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

पर्सनल लोन लेने के बाद इन बातों का रखें ध्यान

पर्सनल लोन (Personal Loan) आपको तभी लेना चाहिए, जब आपके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है। फिर लोन लेने के बाद आपको उसकी EMI चुकाने का पूरा ध्यान रखना होगा। आपका टारगेट उस लोन को तय अवधि में चुकाने का होना चाहिए। बैंक या एनबीएफसी पर्सनल लोन फिक्स्ड पीरियड के लिए देते हैं। यह 6 महीना, एक साल या ज्यादा साल हो सकता है। EMI की पेमेंट तय तारीख पर होनी चाहिए। EMI की पेमेंट तय तारीख पर नहीं होने पर न सिर्फ आपके क्रेडिट स्कोर पर खराब असर पड़ता है बल्कि इसके बड़े नुकसान आपको होते हैं।


लोन की EMI क्यों चुकाना जरूरी है?

बैंकों और एनबीएफसी के लिए पर्सनल लोन की रिकवरी के नियम तय हैं। अगर कोई व्यक्ति पर्सनल लोन का पैसा वापस नहीं करता है तो बैंक और एनबीएफसी के पास कानूनी रास्ते के इस्तमाल करने का हक होता है। अगर कोई व्यक्ति तय तारीख पर लोन की अपनी EMI नहीं चुकाता है तो उसे डिफॉल्ट कहा जाता है। हालांकि, EMI नहीं चुकाने की कई वजहें हो सकती हैं। कई बार अचानक नौकरी चली जाने, अचानक गंभीर रूप से बीमार पड़ने या किसी हादसे का शिकार होने पर EMI का पेमेंट नहीं हो पाता है।

EMI नहीं चुकाने की वजह क्या है?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर किसी ऐसे वजह से ग्राहक EMI पेमेंट पर डिफॉल्ट कर रहा है, जिस पर उसका नियंत्रण नहीं है तो वह बैंक या एनबीएफसी से इस बारे में बात कर सकता है। बैंक और NBFC ग्राहक की बातें सुनने के बाद उसकी मदद करते हैं। बैंक ग्राहक को लोन चुकाने का ज्यादा वक्त दे सकता है। बैंक EMI की किस्त घटा सकता है। ऐसे कई विकल्प बैंक और एनबीएफसी को देते हैं, जिसका इस्तेमाल कर वह आसानी से बैंक का पैसा चुका सकता है। लेकिन, अगर ग्राहक बैंक या एनबीएफसी को कुछ बताए बगैर EMI चुकाना बंद कर देता है तो इससे उसे काफी नुकसान उठाना पड़ता है।

EMI नहीं चुकाने के क्या-क्या नुकसान?

लोन की EMI के पेमेंट पर डिफॉल्ट करने से सबसे पहला नुकसान यह है कि आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता है। प्रत्येक ईएमआई के पेमेंट पर डिफॉल्ट या पेमेंट में देरी की वजह से आपका क्रेडिट स्कोर 50-100 प्वाइंट्स घट जाता है। दूसरा, EMI नहीं चुकाने पर आप पर कर्ज का बोझ बढ़ता जाता है। बैंक और एनबीएफसी पेमेंट में देरी पर इंटरेस्ट लगाते हैं। तीसरा, बैंक और एनबीएफसी लोन की वसूली के लिए कानूनी रास्ते का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे ग्राहक के लिए काफी परेशानी पैदा हो सकती है।

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