आजकल पर्सनल लोन की EMI का बोझ कई परिवारों पर भारी पड़ रहा है, लेकिन एक स्मार्ट कदम इसे हल्का कर सकता है रिफाइनेंसिंग। पुराने हाई-इंटरेस्ट लोन को नए कम ब्याज वाले लोन से बदलना न सिर्फ मासिक किस्त कम करता है, बल्कि कुल ब्याज खर्च भी घटाता है। फिनटेक प्लेटफॉर्म्स की तेज प्रोसेसिंग और बैंकिंग कॉम्पिटिशन के चलते 2025 में यह ऑप्शन पहले से ज्यादा आकर्षक हो गया है। अगर आपका क्रेडिट स्कोर सुधरा है या इनकम बढ़ी है, तो यह मौका हाथ से न जाने दें।
रिफाइनेंसिंग कैसे काम करती है?
सबसे पहले पुराने लोन का बैलेंस चेक करें और नए लेंडर की दरें तुलना करें जैसे 15% से 11% पर शिफ्ट। नया लोन लेकर पुराना क्लोज करें, बाकी रकम नई टेन्योर पर EMI में बांटें। फायदे? EMI 20-30% तक गिर सकती है, टेन्योर बढ़ाकर कैश फ्लो आसान। 2 लाख का लोन 15% पर 3 साल का था, रिफाइनेंस पर 12% और 5 साल टेन्योर से EMI आधी हो जाएगी। लेकिन कुल ब्याज बचत कैलकुलेटर से जांचें।
- कम ब्याज: मार्केट रेट गिरे तो 2-3% सेविंग, लाखों की बचत लॉन्ग टर्म में।
- छोटी EMI: टेन्योर बढ़ाएं, मंथली प्रेशर कम।
- डेब्ट मर्ज: कई लोन एक में जोड़ें, ट्रैकिंग आसान।
- बेहतर टर्म्स: फ्लेक्सिबल पेमेंट, कम प्रोसेसिंग फीस वाले लेंडर चुनें।
क्रेडिट स्कोर 750+ वालों को बेस्ट डील मिलती है। समय पर पेमेंट से स्कोर और चमकेगा।
लोन खत्म होने वाला हो या सिर्फ मामूली फायदा तो व्यर्थ। बार-बार स्विच से क्रेडिट इंक्वायरी बढ़ेगी, स्कोर गिरेगा। अनसिक्योर्ड लोन में ओवर-बॉरोइंग से बचें टेन्योर बढ़ाने से कुल ब्याज ज्यादा हो सकता है। हमेशा टोटल कॉस्ट (प्रिंसिपल + इंटरेस्ट + फीस) कैलकुलेट करें। RBI गाइडलाइंस चेक करें, फिनटेक चुनते समय रिव्यू पढ़ें।
रिफाइनेंसिंग स्मार्ट फाइनेंस मूव है, लेकिन प्लानिंग जरूरी। अगर EMI दबाव में हैं, आज ही चेक करें आर्थिक आजादी का रास्ता खुल सकता है।