पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) लंबी अवधि के निवेश के लिए लंबे समय से लोगों की पहली पसंद रहा है। कई लोग रिटायरमेंट प्लानिंग में पीपीएफ को शामिल करते हैं। इसकी वजह यह है कि इससे 15 साल में एक बड़ा फंड तैयार हो जाता है। पीपीएफ इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत आता है। इसका मतलब है कि इसमें निवेश पर टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। लेकिन, यह सुविधा सिर्फ इनकम टैक्स की पुरानी रीजीम में उपलब्ध है। ऐसे में सवाल है कि क्या इनकम टैक्स की नई रीजीम का इस्तेमाल करने वाले टैक्सपेयर्स को पीपीएफ में इनवेस्ट करना चाहिए?
सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन का फायदा नहीं
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनकम टैक्स की नई रीजीम का इस्तेमाल करने वाले टैक्सपेयर्स भी PPF में इनवेस्ट कर सकते हैं। Public Provident Fund की कई खास बातें हैं। इसमें निवेश करने पर 15 साल में बड़ा फंड तैयार हो जाता है। इस पैसे का इस्तेमाल आप अपने बच्चों के हायर एजुकेशन या शादी-ब्याह के लिए कर सकते हैं। चूंकि इनकम टैक्स की नई रीजीम में सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन की इजाजत नहीं है, जिससे पीपीएफ में किए गए निवेश पर टैक्सपेयर डिडक्शन क्लेम नहीं कर सकता है। इससे पीपीएफ का आकर्षण कम नहीं हो जाता है।
रिटर्न पर स्टॉक मार्केट के उतारचढ़ाव का असर नहीं
पीपीएफ खासकर उन इनवेस्टर्स के लिए काफी अट्रैक्टिव है, जो निवेश में रिस्क नहीं लेना चाहते। पीपीएफ के रिटर्न पर शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव का असर नहीं पड़ता है। इनवेस्टर को पता होता है कि हर साल एक फिक्स्ड अमाउंट का निवेश करने पर 15 साल बाद उसे कितने पैसे मिलेंगे। सरकार हर साल पीपीएफ के इंटरेस्ट रेट को रिव्यू करती है। अभी पीपीएफ का इंटरेस्ट रेट सालाना 7.1 फीसदी है। इंटरेस्ट हर साल 31 मार्च को इनवेस्टर के पीपीएफ अकाउंट में क्रेडिट हो जाता है।
टैक्स के नियमों की वजह से पीपीएफ का आकर्षण बढ़ जाता है
पीपीएफ का आकर्षण इसके टैक्स के नियमों की वजह से और बढ़ जाता है। यह EEE की कैटेगरी में आता है। इसका मतलब है कि इसमें आप जो इनवेस्ट करते हैं, उस पर कोई टैक्स नहीं लगता है। हर साल मिलने वाले इंटरेस्ट पर टैक्स नहीं लगता है। 15 साल बाद मैच्योरिटी अमाउंट पर भी टैक्स नहीं लगता है। इस स्कीम को सरकार का सपोर्ट हासिल है, जिससे इसमें निवेश करना पूरी तरह सुरक्षित है।
15 साल में बड़ा फंड तैयार हो जाता है
अगर आप इस स्कीम में सालाना 60,000 रुपये इनवेस्ट करते हैं तो 15 साल बाद 16,27,284 रुपये का फंड तैयार हो जाता है। इस पैसे का इस्तेमाल बच्चों के हायर एजुकेशन सहित दूसरे जरूरी खर्चों के लिए किया जा सकता है। कई लोग रिटायरमेंट प्लानिंग में पीपीएफ को शामिल करते हैं। इससे डायवर्सिफिकेशन में मदद मिलती है।