फ्लैट देने में बिल्डर ने की देरी, लेकिन बायर ने भरा जुर्माना, आखिर क्यों RERA ने दोनों पर लगाया फाइन

Property: ज्यादातर लोग यह सोचते हैं कि अगर बिल्डर घर देने में देरी करता है, तो वे उस पर जुर्माना लगा सकते हैं। लेकिन कई बार कानून की गलत समझ खरीदार को भी मुसीबत में डाल सकती है

अपडेटेड Oct 28, 2025 पर 12:55 PM
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Property: कई बार कानून की गलत समझ खरीदार को भी मुसीबत में डाल सकती है।

Property: ज्यादातर लोग यह सोचते हैं कि अगर बिल्डर घर देने में देरी करता है, तो वे उस पर जुर्माना लगा सकते हैं। लेकिन कई बार कानून की गलत समझ खरीदार को भी मुसीबत में डाल सकती है। मुंबई में हुआ एक ऐसा ही मामला हाल ही में सामने आया, जिसमें RERA ने खरीदार और बिल्डर दोनों पर जुर्माना लगाया। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट यानी RERA आने के बाद भी घर खरीदारों और बिल्डरों के बीच विवाद खत्म नहीं हो पा रहे हैं।

क्या है मामला?

साल 2010 में मुंबई के कुर्ला-अंधेरी इलाके में एक बिल्डर ने हाउसिंग प्रोजेक्ट शुरू किया। इस प्रोजेक्ट में आईटी इंजीनियर राम कुमार ने डी-विंग के फ्लैट नंबर 401 कुल एरिया 836 वर्ग फीट की बुकिंग की थी। बिल्डर ने वादा किया था कि वह 31 दिसंबर 2017 तक फ्लैट का कब्जा दे देगा। इसके लिए कुल कीमत 1.66 करोड़ रुपये तय हुई थी, जिसमें से राम कुमार ने 1.19 करोड़ रुपये का पेमेंट कर दिया था। बाकी रकम कब्जा मिलने पर देनी थी।


कब्जे में देरी और विवाद

समझौते के मुताबिक बिल्डर को 2017 के अंत तक फ्लैट सौंपना था, लेकिन ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट (OC) उसे 14 जुलाई 2020 को मिला। अगले दिन बिल्डर ने खरीदार को बताया और 65.76 लाख रुपये की डिमांड लेटर भेजा। वहीं, खरीदार ने बिल्डर पर देरी से कब्जा देने का आरोप लगाते हुए ब्याज के रूप में हर्जाना मांगा। मामला बढ़कर महारेरा (MahaRERA) के पास पहुंच गया।

RERA ने दोनों को दोषी ठहराया

MahaRERA ने जांच में पाया कि बिल्डर ने कब्जा देने में देरी की, जो कि RERA की धारा 18 का उल्लंघन है। लेकिन खरीदार ने भी तय समय पर पूरा अमाउंट नहीं दिया था। इसलिए उसे भी पेमेंट देरी से करने का दंड देना होगा। यानी, दोनों ने अपने-अपने समझौते की शर्तें तोड़ीं। इसी कारण दोनों बिल्डर और बायर दोनों को जुर्माना लगाना होगा।

RERA का आदेश क्या है?

MahaRERA ने आदेश दिया कि खरीदार तुरंत बाकी रकम ब्याज सहित जमा करे। वहीं बिल्डर को देरी के लिए हर्जाना अदा करना होगा। बिल्डर ने इस आदेश को चुनौती दी, लेकिन RERA अपीलीय ट्रिब्यूनल ने भी 17 अक्टूबर 2025 को खरीदार के पक्ष में फैसला सुनाया।

किसे कितना पेमेंट करना होगा

RERA के आदेश के मुताबिक दोनों पक्षों को लाखों रुपये का ब्याज देना होगा। SBI की मौजूदा MCLR दर 8.1% के अनुसार, बिल्डर को खरीदार को 24.22 लाख रुपये ब्याज के रूप में देने होंगे। राम कुमार ने जो 1.19 करोड़ रुपये दो साल छह महीने पहले दिए थे, उस पर यह ब्याज बनता है।

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