फ्लैट में देरी पर मिला मुआवजा कैपिटल गेन नहीं, इंटरेस्ट इनकम माना जाएगा- ITAT का बड़ा फैसला

Property: मुंबई के एक कपल को प्रॉपर्टी पर मिले मुआवजे की पर इनकम टैक्स विभाग की तरफ से लगे गलत टैक्स से राहत मिली है। इनकम टैक्स अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) का हालिया फैसला देशभर के होमबायर्स के लिए राहत लेकर आया है

अपडेटेड Nov 07, 2025 पर 10:24 AM
Story continues below Advertisement
Property: मुंबई के एक कपल को प्रॉपर्टी पर मिले मुआवजे की पर इनकम टैक्स विभाग की तरफ से लगे गलत टैक्स से राहत मिली है।

Property: मुंबई के एक कपल को प्रॉपर्टी पर मिले मुआवजे की पर इनकम टैक्स विभाग की तरफ से लगे गलत टैक्स से राहत मिली है। इनकम टैक्स अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) का हालिया फैसला देशभर के होमबायर्स के लिए राहत लेकर आया है। ITAT के मुताबिक अगर किसी बिल्डर ने फ्लैट देने में देरी की है और उसके बदले खरीदार को मुआवजा दिया गया है, तो उस रकम को कैपिटल गेन केटेगरी के तहत टैक्स नहीं लगाया जा सकता। अदालत ने साफ कहा कि यह रकम प्रॉपर्टी की सेल या ट्रांसफर से जुड़ी नहीं है, बल्कि यह देरी का ब्याज जैसा पेमेंट है, इसलिए इसे इंटरेस्ट इनकम की तौर पर गिना जाएगा।

क्या है मामला?

यह मामला मुंबई के एक कपल से जुड़ा है, जिन्होंने अपनी जमीन बिल्डर को दी थी और बदले में उन्हें एक फ्लैट मिलना था। समझौते में यह शर्त भी थी कि अगर बिल्डर तय समय पर फ्लैट नहीं देता, तो उसे जुर्माना यानी मुआवजा देना होगा। बिल्डर ने समय पर फ्लैट नहीं सौंपा, जिसके बाद महिला को 1.85 करोड़ रुपये का मुआवजा मिला।


महिला ने अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में इस रकम को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के रूप में दिखाया, लेकिन इनकम टैक्स विभाग ने इस पर आपत्ति जताई। विभाग ने कहा कि यह रकम प्रॉपर्टी के ट्रांसफर से जुड़ी है, इसलिए इस पर Section 50C के तहत टैक्स लगाया जाना चाहिए। विभाग ने प्रॉपर्टी की स्टांप वैल्यू 3.51 करोड़ रुपये मानकर दोबारा कैपिटल गेन की कैलकुलेशन की और टैक्स का नोटिस भेजा।

ITAT का फैसला

महिला ने इस आदेश को चुनौती दी। ITAT ने सुनवाई के बाद कहा कि Section 50C केवल तभी लागू होता है जब जमीन या बिल्डिंग का ट्रांसफर हुआ हो। इस मामले में ऐसा नहीं हुआ, बल्कि बिल्डर ने सिर्फ देरी के लिए मुआवजा दिया। इसलिए, यह रकम सेल से हुई आमदनी नहीं बल्कि ब्याज जैसी कंपनसेशन मानी जाएगी।

ITAT ने कहा कि इनकम टैक्स अधिकारी और अपीलीय आयुक्त ने अपने अधिकार से आगे बढ़कर गलत आकलन किया था। साथ ही यह भी बताया गया कि महिला के पति के मामले में इसी तरह का फैसला पहले ही हो चुका था, जिसमें कहा गया था कि Section 50C लागू नहीं होता क्योंकि जमीन का स्वामित्व ट्रांसफर नहीं हुआ था। विभाग ने उस फैसले को भी चुनौती नहीं दी थी।

टैक्स एक्सपर्ट्स ने इस फैसले का स्वागत किया है। टैक्स कंसल्टेंट मनीष गर्ग के अनुसार Section 50C केवल तभी लागू होता है जब प्रॉपर्टी की सेल या ट्रांसफर हो। इस मामले में बिल्डर ने सिर्फ देरी के लिए पेमेंट किया है, जो ब्याज की तरह है, न कि सेल अमाउंट है।

टैक्स रिटर्न में कैसे दिखाएं यह रकम

ऐसे मामलों में टैक्स एक्सपर्ट का कहना है कि इस तरह के मुआवजे को इंटरेस्ट इनकम के तौर पर देखना चाहिए।न कि कैपिटल गेन के रूप में। इसे ITR-2 या ITR-3 फॉर्म में Other Sources या Interest Income सेक्शन के तहत दर्ज किया जा सकता है। अगर यह रकम 50,000 रुपये से अधिक है, तो बिल्डर के काटे गए TDS यानी Tax Deducted at Source की जानकारी बी देनी जरूरी है।

क्या पड़ेगा इस फैसले का असर 

यह फैसला उन सभी खरीदारों के लिए राहत लेकर आया है जिन्हें बिल्डर से देरी के बदले मुआवजा मिलता है और वे यह नहीं जानते कि इस रकम को इनकम टैक्स रिटर्न में कैसे दिखाएं। ITAT ने साफ कर दिया है कि ऐसी रकम को इंटरेस्ट इनकम माना जाएगा, न कि प्रॉपर्टी की सेल से हुई इनकम।

Gold Price Today: सोने की गिरावट थमी, 4 दिन बाद लौटी तेजी; अब इतना हो गया भाव

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।