Amrapali projects: सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली परियोजनाओं से सरकारी निर्माण कंपनी एनबीसीसी (NBCC) को 15,000 करोड़ रुपये जुटाने का रास्ता साफ कर दिया है। शीर्ष अदालत ने नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों को आम्रपाली की सात परियोजनाओं में और फ्लैटों के निर्माण की योजनाओं को मंजूरी दे दी। इनकी बिक्री से वित्तीय संकट के कारण अटकी परियोजनाओं लिए पर्याप्त राशि प्राप्त हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश से नोएडा और ग्रेटर नोएडा में आम्रपाली की विभिन्न आवासीय परियोजनाओं में खाली जमीन पर करीब 8,000 से अधिक अतिरिक्त फ्लैटों का निर्माण का रास्ता साफ हो गया।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (29 अगस्त) को मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी कंपनी एनबीसीसी को आम्रपाली परियोजनाओं में अतिरिक्त फ्लैट विकसित करके 15,000 करोड़ रुपये जुटाने का रास्ता साफ कर दिया है। इस फंड का इस्तेमाल 16,000 मौजूदा घर खरीदारों को घर देने के लिए भी किया जाएगा, जिनका निर्माण फंड की कमी के कारण अटका हुआ था।
एनबीसीसी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को 484.92 करोड़ रुपये और नोएडा प्राधिकरण को 258.24 करोड़ रुपये खरीद योग्य फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) के लिए 18 फीसदी जीएसटी सहित देगी। पिछले कुछ दिनों से आम्रपाली के फंसे परियोजनाओं को तैयार कर रही एनबीसीसी अतिरिक्त फ्लैटों का निर्माण की कवायद कर रही थी ताकि इसे धन की कमी को दूर किया जा सके।
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने एनबीसीसी, नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों के अधिकारियों और घर खरीदारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों की संयुक्त बैठक के मिनटों को मंजूरी देते हुए आदेश पारित किए। यह बैठक 26 अगस्त को अटॉर्नी जनरल (एजी) आर वेंकटरमणि के आवास पर हुई थी। वेंकटरमणि अदालत द्वारा नियुक्त रिसीवर हैं, जिन्हें आम्रपाली की रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने का काम सौंपा गया है।
दरअसल, धोखाधड़ी के मामले में आम्रपाली को 2017 में दिवालिया घोषित कर दिया गया था। इसके बाद उसकी 24 परियोजनाएं अधूरी रह गई थीं। इससे हजारों घर खरीदार मुश्किल में पड़ गए थे। 24 प्रोजेक्ट स्थलों में से सात स्थलों पर अप्रयुक्त भूमि विकास के लिए उपलब्ध थी जिनमें ग्रेटर नोएडा में सेंचुरियन पार्क, गोल्फ होम्स, लीजर पार्क, लीजर वैली और ड्रीम वैली, और नोएडा में सिलिकॉन फेज-2 शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों को निर्देश दिया कि वे एनबीसीसी द्वारा अपेक्षित परियोजना-वार एनओसी प्रदान किए जाने के 30 दिनों के भीतर भवन योजनाओं को मंजूरी दें। इसके अलावा, शीर्ष न्यायालय ने राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण को आवेदन प्रस्तुत करने के दो महीने के भीतर पर्यावरण मंजूरी देने का निर्देश दिया।