Property: देश में आबादी दिनों दिन बढ़ती जा रही है। लोगों को रहने के घर कम पड़ रहे हैं। ऐसे में लोग रहने के लिए खेतों की ओर भाग रहे हैं। ऐसे बहुत सी जगहें हैं। जहां पहले खेती होती थी। आज वहां चमचमाती गगनचुंबी इमारतें खड़ी हैं। खेती का आकार दिनों दिन सिकडुता जा रहा है। बड़े शहरों में अब जगह बहुत कम बची है। ऐसे में लोग छोटे शहरों की ओर रूख कर रहे हैं। वहां भी खेती की जमीन खरीदकर घर बना रहे हैं। अगर आप भी खेती की जमीन पर घर बना रहे हैं तो सावधान हो जाएं। घर बनाने से पहले एक बार नियम कानून जरूर पढ़ लें। कहीं ऐसा न हो कि बाद में घर गिराना पड़े।
खेती की जमीन पर मकान बनाना इतना आसान नहीं है। जितना आपको लगता है। खेती की जमीन पर पूरी तरह से मालिकाना हक होने के बावजूद भी आप रहने के लिए घर नहीं बना सकते हैं। जब तक आपको सरकार से अनुमति नहीं मिलती है। इसके लिए कुछ नियम हैं।
किसे कहते हैं खेती योग्य भूमि
जिस भूमि पर फसलों का उत्पादन किया जा सकता है। वो सब खेती योग्य भूमि में आती है। इनमें हर साल फसल उगाई जाती है। इसके अलावा कृषि भूमि को आम तौर पर उस भूमि क्षेत्र के हिस्से के रूप में परिभाषित किया गया है जो भूमि स्थायी चरागाहों, फसलों और कृषि आदि के इस्तेमाल के लिए उपयोगी की जाती है। कृषि योग्य जमीन पर घर बनाने की अनुमति नहीं है। अगर आप खेती योग्य जमीन में घर बनाते हैं तो खरीदार को जमीन का कनवर्जन कराना होता है। उसके बाद ही खेती की जमीन पर घर बनवा सकते हैं। कनवर्जन का नियम कुछ ही राज्यों में हैं। जब खेती भूमि को आवास में बदला जाता है तो कुछ अन्य शुल्क का भुगतान करना होता है।
कनवर्जन के लिए इन डॉक्यूमेंट्स की होती है जरूरत
इसके लिए भूमि के मालिक का पहचान पत्र होना जरूरी है। इसके साथ ही मालिकाना हक, किरायेदारी और फसलों का रिकॉर्ड भी जरूरी है। सेल डीड और म्यूटेशन डीड, गिफ्ट पार्टिशन डीड अगर जमीन गिफ्ट में मिली हो तो होना चाहिए। म्यूनिसिपल काउंसिल या ग्राम पंचायत से NOC की जरूरत पड़ती है। सर्वे मैप, लैंड यूटिलाइजेशन प्लान, लैंड रेवेन्यू की रसीद भी मांगी जाती है। जमीन पर कोई बकाया या मुकदमा नहीं होना चाहिए।