Luxury vs Affordable flats: अगर आप भी बड़े शहरों में घरों की तलाश में हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है। बहुत से लोग अभी तक भ्रम में रहते हैं कि आखिर लग्जरी फ्लैट और अफोर्डेबल फ्लैट में क्या अंतर है। सस्ते घर महंगे घरों से कैसे अलग होते हैं। इनकी क्या खासियत होती है? मेट्रो शहरों में घरों की मारा-मारी बनी रहती है। इनके दाम आसमान चूम रहे होते हैं। ऐसे में घर खरीदना किसी सपने से कम नहीं होता है। अगर आप घर खरीद रहे हैं तो पहले से ही यह जान लें कि फ्लैट और अपार्टमेंट के बारे में भी जानकारी हासिल कर लें।
बता दें कि साल 2023 में लग्जरी अपार्टमेंट की डिमांड में 2022 के मुकाबले 112 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। रियल एस्टेट से जुड़े एक्सपर्ट्स का कहना है कि लोगों के पास खर्च करने लायक पैसा अब ज्यादा है। लिहाजा वो महंगे रियल एस्टेट में निवेश कर रहे हैं।
जनिए अफोर्डेबल हाउसिंग की परिभाषा
अफोर्डेबल हाउसिंग का मतलब उन सस्ते मकानों से है, जो निम्न और निम्न मध्यम वर्ग के घर की जरूरतों को पूरा कर सकें। अफोर्डेबल हाउसिंग उन विकासशील देशों में एक अहम मुद्दा है। जहां के अधिकांश लोग बाजार की कीमतों यानी मार्केट प्राइस पर घर खरीदने में सक्षम नहीं हैं। किसी भी व्यक्ति की क्षमता निर्धारित करने में उसके पास खर्च करने या बचत के लिए कितनी पूंजी या आय है। यह बेहद अहम फैक्टर है। लिहाजा अफोर्डेबल यानी किफायती आवास की बढ़ती हुई मांग को पूरा करना सरकार की बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है। भारत सरकार ने किफायती आवास की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके लिए सरकार ने कुछ डेवलपर्स के साथ मिलकर आवास इकाइयों के विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) की है।
अफोर्डेबल फ्लैट्स आमतौर पर छोटे बनाए जाते हैं। इनमें सेफ्टी तुलनात्मक रूप से कम होती है। वहीं लग्जरी फ्लैट्स में कई तरह की प्रीमियम सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। लग्जरी या महंगे अपार्टमेंट्स में सेंट्रल एसी और सर्दियों के लिए सेंट्रल हीटिंग की सुविधाएं मिलती हैं। जो लोग हमेशा से सेंट्रलाइज कूलिंग और हीटिंग वाले घरों में रहे हैं। वो ऐसी सुविधाओं के बगैर नहीं रह सकते हैं। लिहाजा इनसे ज्यादा पैसा वसूला जाता है।