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डेवलपर्स को बड़ी राहत, अब सरकारी या सिविक एजेंसियों की जमीन पर फ्लैट बेचने के लिए नहीं लगेगी NOC

अप्रैल में विभाग की तरफ से पंजीकरण अधिनियम के अनुच्छेद 18(A)(1)(B) में संशोधन के बाद भ्रम की स्थिति पैदा हो गई थी। संपत्ति पंजीकरण के विशेषज्ञ हितेश ठक्कर ने बताया कि संशोधन अस्पष्ट था और अधिकारियों ने इसकी व्याख्या इस तरह से की थी कि उनकी संपत्ति पर बने हर एक फ्लैट की बिक्री और ट्रांसफर के लिए MHADA, SRA, MIDC और CIDCO से NOC लेना जरूरी हो गया

अपडेटेड Jul 26, 2025 पर 10:33 PM
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डेवलपर्स को बड़ी राहत, अब सरकारी या सिविक एजेंसियों की जमीन पर फ्लैट बेचने के लिए नहीं लगेगी NOC

स्टाम्प एंड रजिस्ट्रेशन विभाग ने एक सर्कुलर जारी किया है, जिससे उन डेवलपर्स को राहत मिली है, जो अलग-अलग सरकारी या सिविक एजेंसियों की जमीन पर बनाए गए फ्लैट या रिडेवलप प्रॉपर्टी को बेचना चाहते हैं। गुरुवार को जारी एक स्पष्टीकरण में, विभाग ने कहा कि बिल्डरों को महाराष्ट्र आवास क्षेत्र एवं विकास प्राधिकरण (MHADA), नगर एवं औद्योगिक विकास निगम (CIDCO), महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (MIDC) या नगर पालिकाओं जैसी एजेंसियों की जमीन पर बने फ्लैटों को बेचने या ट्रांसफर करने के लिए उनसे नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) की जरूरत नहीं है। यह स्पष्टीकरण स्टाम्प एंड रजिस्ट्रेशन डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल धर्मदेव मेनकर की ओर से जारी किया गया।

अप्रैल में विभाग की तरफ से पंजीकरण अधिनियम के अनुच्छेद 18(A)(1)(B) में संशोधन के बाद भ्रम की स्थिति पैदा हो गई थी। संपत्ति पंजीकरण के विशेषज्ञ हितेश ठक्कर ने बताया कि संशोधन अस्पष्ट था और अधिकारियों ने इसकी व्याख्या इस तरह से की थी कि उनकी संपत्ति पर बने हर एक फ्लैट की बिक्री और ट्रांसफर के लिए MHADA, SRA, MIDC और CIDCO से NOC लेना जरूरी हो गया।

उन्होंने कहा, "इससे प्रक्रियागत और बाकी देरी हुई, जिसके चलते ऐसी प्रॉपर्टी में 70% की गिरावट आई। कुछ खरीदारों ने स्टाम्प ड्यूटी की वापसी की भी मांग की क्योंकि समय पर NOC लेना संभव नहीं था।"


हालांकि, 24 जुलाई के सर्कुलर में साफ गया है कि रजिस्ट्रेशन अधिनियम की धारा 18 (A)(1)(B) के प्रावधान नगरपालिकाओं, स्थानीय स्व-सरकारी निकायों और MHADA, CIDCO और MIDC जैसे प्राधिकरणों की ओर से लीज पर ली गई जमीन पर प्राइवेट डेवलपर्स की ओर से बनाई बिल्डिंग में रेजिडेंस और/या नॉन-रेजिडेंस यूनिट की सेल या रिसेल पर लागू नहीं होंगे।

स्पष्टीकरण में कहा गया है कि हालांकि, वे ऐसी प्रॉपर्टी के संबंध में संगठन या कंपनी के हित में जमीन और कंस्ट्रक्शन के रूप में अंतिम खरीद विलेख / असाइनमेंट विलेख के रूप में दस्तावेजों पर लागू होंगे।

स्टाम्प एंड रजिस्ट्रेशन विभाग के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल राजू धोटे ने कहा कि राज्य के राजस्व विभाग और विधि एवं न्यायपालिका विभाग से परामर्श के बाद स्पष्टीकरण जारी किया गया है।

उन्होंने स्टेट स्टाम्प एंड रजिस्ट्रेशन इंस्पेक्टर जनरल रवींद्र बिनवाडे को भी देरी और राजस्व हानि के बारे में सूचित किया था।

राज्य के वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "लड़की बहन और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के कारण राज्य की वित्तीय स्थिति तनावपूर्ण है। अधिकांश राजस्व शहरी क्षेत्रों से आता है और हमने महसूस किया कि शहरी क्षेत्रों में स्टाम्प और पंजीकरण से हमारा राजस्व गिर रहा है।"

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