Rent Agreement: वैसे तो भारत में हर इंसान का सपना अपने घर का होता है, लेकिन सभी की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं होती कि वो घर ले पाए या बनवा सके। इसलिए देश में रेंट पर घर या फ्लैट लेने की परंपरा तेजी से बढ़ रही है। वहीं बहुत से लोगों को रोजगार के लिए एक शहर से दूसरे शहर जाना पड़ता है। ऐसे में वो किराए से रहने के लिए घर की तलाश में रहते हैं। ऐसे में अगर आपने अपना मकान किराये पर दिया या किराए पर मकान लिया है तो रेंट एग्रीमेंट जरूर बनवाते होंगे। लेकिन जिस वकील से रेंट एग्रीमेंट बनवाते हैं वह उसे 11 महीने का ही बनवाया जाता है।
अगरआप एग्रीमेंट नहीं बनवाते हैं तो आगे जाकर परेशानी में पड़ सकते हैं। इस एग्रीमेंट में किरायेदार और मकान मालिक की शर्तें लिखी होती हैं, जो दोनों पार्टी को सहमति होने के बाद हस्ताक्षर करनी होती है। रेंट एग्रीमेंट में किराया बढ़ाने, रिपेयर, सिक्योरिटी डिपॉजिट, मेंटेनेंस और अन्य भुगतान की जानकारी लिखी होती है।
रेंट एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन जरूरी
अगर 11 महीने से ज्यादा समय के लिए किरायेदार को संपत्ति देना है तो ऐसी स्थिति में प्रॉपर्टीज को रजिस्टर कराना होगा। 11 महीने से कम के एग्रीमेंट में रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं पड़ती है। रेंट/लीज एग्रीमेंट को ड्राफ्ट कर उसे नजदीकी सब रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर कराना जरूरी हता है। रेंटल एग्रीमेंट को रजिस्टर करने से कई फायदे होते हैं। कानूनी रूप से भविष्य में अगर किसी तरह का कोई विवाद होता है तो दोनों पक्षों को इस एग्रीमेंट से अधिकारों की रक्षा होती है। वहीं आमतौर पर मकान मालिक 11 महीने का ही एगीमेंट बनवाते हैं। इसके बाद इसे फिर से विस्तार कर दिया जाता है।
देश के कुछ शहरों और राज्यों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा मुहैया कराई गई है। महाराष्ट्र में आप ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इसके लिए, लोग/मकान मालिकों को ई फिलिंग वेबसाइट (https://efilingigr.maharashtra.gov.in/ereg/) पर जाकर प्रोफाइल बनानी होगी। प्रोफाइल बनाने के बाद मालिक को प्रॉपर्टी की पूरी जानकारी देनी होती है। इसमें यूजर का गांव, तहसील, प्रॉपर्टी कमर्शियल है या रेजिडेंशियल जैसी तमाम जानकारी दर्ज करनी होती है।
रेंटल एग्रीमेंट बनाने के बाद रजिस्ट्रेशन के लिए प्रॉपर्टी के मालिक और किराएदार दोनों के बीच दो गवाह लगते हैं। इसके लिए रजिस्टर ऑफिस में खुद जाना पड़ता है।