भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार, 1 अक्टूबर को प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। मौजूदा घरेलू और वैश्विक परिस्थितियों पर गौर करते हुए RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने इसमें कोई बदलाव नहीं किया। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने एमपीसी के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा, कि समिति ने आम सहमति से रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का फैसला किया है। साथ ही मौद्रिक नीति रुख को न्यूट्रल पर ही बरकरार रखा गया है। इसका मतलब है कि केंद्रीय बैंक आर्थिक स्थिति के हिसाब से पॉलिसी रेट में एडजस्टमेंट को लेकर फ्लेक्सिबल बना रहेगा।
रेपो रेट में कटौती न किए जाने के चलते ग्राहकों को लोन EMI में राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। रेपो वह रेट है, जिस पर कमर्शियल बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये RBI से कर्ज लेते हैं। इसके जस का तस रहने से होम लोन, व्हीकल लोन समेत अन्य खुदरा लोन्स पर ब्याज में बदलाव होने की संभावना नहीं है।
रेपो रेट का लोन रेट और FD रेट से क्या है कनेक्शन
रेपो रेट घटने पर बैंकों के लिए RBI से कर्ज लेना सस्ता हो जाता है। इसका फायदा ग्राहकों को पहुंचाने के लिए लोन की ब्याज दर सस्ती की जाती हैं। रेपो रेट से लिंक्ड लोन की दरें तो घटती ही हैं, साथ ही कई बैंक MCLR यानि कि मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट्स में भी कटौती करते हैं। वहीं जब RBI रेपो रेट बढ़ाता है तो बैंकों के लिए कर्ज महंगा हो जाता है। ऐसे में वे भी ग्राहकों के लिए लोन रेट बढ़ा देते हैं।
अब बात करते हैं फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की। इसका सीन लोन से उल्टा रहता है। रेपो रेट घटने और बैंकों को RBI से सस्ता कर्ज मिलने पर बैंकों में लिक्विडिटी बढ़ जाती है। ऐसे में FD पर ज्यादा ब्याज की पेशकश करके ग्राहकों से ज्यादा जमा पाकर लिक्विडिटी बढ़ाने की जरूरत नहीं रह जाती है। इसलिए कुछ बैंक रेपो रेट कम होने पर FD पर ब्याज में कटौती कर देते हैं। वहीं जब रेपो रेट बढ़ती है, बैंकों के लिए कर्ज महंगा हो जाता है तो लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए वह FD पर ब्याज बढ़ा देते हैं, ताकि ग्राहक उनके पास ज्यादा मात्रा में पैसा जमा करें।
लगातार दूसरी बार रेपो रेट जस की तस
यह लगातार दूसरी बार है, जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इससे पहले, केंद्रीय बैंक इस साल फरवरी से जून तक रेपो रेट में 1 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। इस साल जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट में 0.5 प्रतिशत की कटौती की गई थी। वहीं फरवरी और अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट में 0.25-0.25 प्रतिशत की कमी की गई थी।
RBI ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP ग्रोथ रेट के अनुमान को बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है, जबकि पहले इसके 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। वहीं खुदरा महंगाई के अनुमान को घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया, जबकि पहले इसके 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।