Gold buying in festival: कहीं गैरकानूनी सोने का गहना तो नहीं खरीद रहे आप? ऐसे करें पता
Gold buying in festival: त्योहारी सीजन में सोना खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन नकली या गैरकानूनी सोने से नुकसान हो सकता है। जानिए सही जौहरी चुनने से लेकर हॉलमार्क, कीमत की समझ और डिजिटल गोल्ड तक, खरीदारी से पहले किन बातों का ध्यान रखें।
सोने की कीमत सिर्फ उसके वजन पर नहीं, बल्कि शुद्धता (Purity) और कैरेट के हिसाब से तय होती है।
Gold buying in festival: भारत के लोगों का सोने के साथ रिश्ता काफी पुराना है, जो समय के साथ और भी मजबूत होता जा रहा है। बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद सोना लगभग भारतीय घरों में पाया जाता है। यह परिवार की आर्थिक स्थिति भी बन चुका है। यह शादी जैसे खास मौकों पर दुल्हनों का सिंगार बनता है। अक्षय तृतीया, दिवाली, धनतेरस जैसे त्योहारों में रौनक बढ़ाता है।
लेकिन, सोने की वैल्यू तभी रहेगी, जो एकदम खरा रहे। अगर सोना मिलावटी या नकली हुआ, तो आपको भारी नुकसान हो सकता है। इसलिए, सोने की खरीदारी करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
सही गोल्ड रिटेलर चुनना जरूरी
अब उपभोक्ताओं की सबसे बड़ी चिंता है कि वे ऐसा रिटेलर चुनें जो भरोसेमंद और जिम्मेदार हो। साथ ही, ईमानदारी से सोना खरीदता-बेचता हो। कई बार ग्राहक जानकारी न होने पर ऐसे रिटेलर से सोना खरीद लेते हैं, जो फर्जीवाड़ा करते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि उनका पैसा और लंबी अवधि की कमाई दोनों खो जाती हैं।
इसलिए सबसे पहले आप ऐसा रिटेलर चुनें, जो भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा हॉलमार्क सोने के गहने बेचता हो। उसकी बाजार में साख हो। अगर आपका कोई परिवार जानकार जौहरी
कागजी प्रक्रिया और हॉलमार्क स्टैम्प
सोने के जेवरात खरीदते समय जौहरी की विश्वसनीयता बहुत जरूरी है। भरोसेमंद जौहरी आपको इनवॉइस, गारंटी कार्ड और असे रिपोर्ट (Assay Report) देते हैं, जिससे सोने की शुद्धता का पता चलता है।
इनवॉइस में खरीदारी के अलग-अलग हिस्सों की डिटेल होना चाहिए। जैसे कि उस दिन का सोने का भाव, बनाने का शुल्क, वेस्टेज और टैक्स। यह भी कन्फर्म कर लेना चाहिए कि रिटेलर की स्पष्ट रिटर्न या बायबैक पॉलिसी हो। साथ ही, आफ्टर-सेल्स सर्विस उपलब्ध हो।
स्टोर छोड़ने से पहले यह जांचें कि ज्वेलरी पर हॉलमार्क स्टैम्प है या नहीं। इससे आपको बेहतर रीसेल प्राइस और बीमा कवरेज मिलेगा। साथ ही, अपने रिटेलर से यह भी पूछें कि वह सोने की शुद्धता की जांच के लिए राष्ट्रीय स्तर की स्वीकृत लैब का इस्तेमाल कर रहा है।
गैरकानूनी सोने से बनाए लंबी दूरी
जब आप सोना खरीदते हैं, खासकर इतनी बड़ी रकम का और लंबी अवधि के निवेश के लिए, तो यह बहुत जरूरी है कि जो सोना आप ले रहे हैं वह सही और कानूनी तरीके से आया हो। रिटेलर ने इसे वैध तरीके से सोर्स किया हो और सही तरीके से बनाया हो।
आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सोना कालेधन या तस्करी से आया हुआ या किसी अवैध तरीके से जमा किया गया न हो। कई बार कुछ दुकानदार पुराने या अवैध सोने को पिघलाकर नया गहना बना देते हैं, जिससे ग्राहक को धोखा हो सकता है। इससे कानूनी मुश्किल में फंसने का खतरा भी रहता है।
अगर आप असे रिपोर्ट, इनवॉइस, सोर्स, सप्लायर को ध्यान से जांचेंगे, तो नकली या गैरकानूनी सोना खरीदने से बच जाएंगे। अगर कोई गड़बड़ जौहरी है, तो वह ऐसी डिटेल देने से बचेगा। ऐसे में उसकी दुकान से गहने न खरीदें, भले ही वहां खरीदारी कुछ सस्ती पड़ रही हो।
सोने की कीमत को ऐसे परखें
सोने की कीमत सिर्फ उसके वजन पर नहीं, बल्कि शुद्धता (Purity) और कैरेट के हिसाब से तय होती है। जितना शुद्ध सोना, उतनी ज्यादा कीमत। इसलिए अपने सोने की खरीदारी से पहले यह समझना जरूरी है कि आप किस प्रकार का सोना ले रहे हैं और उसकी कीमत कैसे बनती है।
18K सोना: इसमें लगभग तीन-चौथाई सोना होता है और बाकी धातुएं मिश्रित होती हैं। यह हल्का और जटिल डिजाइन में बनाया जाता है। 18K ज्वेलरी आधुनिक और स्टाइलिश होती है।
22K सोना: इसमें 91.6% शुद्ध सोना होता है। यह पारंपरिक और शादी जैसे बड़े अवसरों के लिए सबसे पसंदीदा है।
24K सोना: यह लगभग पूरी तरह शुद्ध होता है। लेकिन ज्वेलरी बनाने के लिए आदर्श नहीं है क्योंकि यह बहुत मुलायम होता है, लेकिन सिक्कों या लंबे समय तक निवेश के लिए सबसे अच्छा है।
धातुओं का मिश्रण ज्वेलरी की टिकाऊपन, डिजाइन और लंबी अवधि में मूल्य को प्रभावित करता है। इसलिए रिटेलर से पूरी जानकारी लें कि सोना किस कैरेट का है, उसमें किस प्रकार का मिश्रण है और कीमत कैसे तय हुई। इससे आप बेहतर फैसला ले सकते हैं।
डिजिटल गोल्ड भी अच्छा विकल्प
भारत में सोना खरीदना सिर्फ त्योहार या शादी जैसी खुशी के मौके तक सीमित नहीं है। अब इसे लंबी अवधि के निवेश और सुरक्षा के साधन के रूप में भी देखा जा रहा है। सोने की कीमत समय के साथ स्थिर रहती है और लंबी अवधि में यह अच्छी रिटर्न देता है। यही कारण है कि भारतीय निवेशकों की सूची में सोना हमेशा ऊपर रहता है।
कई माता-पिता इसे अपने बच्चों के लिए विरासत के रूप में रखते हैं। वहीं, युवा जोड़े और परिवार अब इसे डिजिटल गोल्ड के रूप में खरीदना पसंद कर रहे हैं। क्योंकि यह भौतिक सोने की तरह सुरक्षित है और आसानी से निवेश के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
ऐसे खरीदें डिजिटल गोल्ड
रिटेलर की रीसेल और बायबैक पॉलिसी के बारे में पता करें। इससे पता चलेगा कि आप डिजिटल गोल्ड को कभी भी असल सोने में या कैश में बदल सकते हैं, और उस समय आपको कितने रुपये मिलेंगे।
डिजिटल गोल्ड पर अगर ब्याज या किसी तरह का अतिरिक्त रिटर्न मिल रहा, तो उसकी जानकारी भी ले लेनी चाहिए। कई बार यह अतिरिक्त कमाई का जरिया भी बन जाता है।
यह भी पता करें कि आपका सोना किसके पास सुरक्षित (कस्टोडियन) रखा जाएगा। फिजिकल गोल्ड आमतौर पर बैंक या लॉकर में सुरक्षित रहते हैं। वहीं, डिजिटल गोल्ड प्लेटफॉर्म पर इसे लाइसेंस प्राप्त कस्टोडियन के पास रखते हैं।
सोना खरीदते समय यह चेक करें कि आपके पास सभी जरूरी प्रमाणपत्र (Certificates) हैं या नहीं। डिजिटल गोल्ड में भी आपको हॉलमार्किंग की तरह खरीद का डिजिटल सर्टिफिकेट मिलना चाहिए। इससे साबित होगा कि वह सोना आपके नाम पर सुरक्षित है।
डिजिटल गोल्ड रिडेम्प्शन की शर्तें और चार्ज हर प्लेटफॉर्म पर अलग-अलग होते हैं, इसलिए इन्हें पहले से समझ लेना बहुत जरूरी है। इससे आपको अपना सोना बेचते समय किसी तरह की समस्या नहीं होगी।