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RBI ने रेपो रेट नहीं घटाया, फिर भी आप घटा सकते हैं अपने होम लोन की EMI

होम लोन के ग्राहक आरबीआई की अगस्त की मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट घटने की उम्मीद कर रहे थ। लेकिन, आरबीआई ने रेपो रेट में इस बार किसी तरह का बदलाव नहीं किया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके बावजूद होम लोन के ग्राहक अपनी EMI कम कर सकते हैं

अपडेटेड Aug 06, 2025 पर 1:15 PM
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अगर बैंक आपको 0.75 फीसदी या इससे ज्यादा का डिस्काउंट इंटरेस्ट रेट में दे रहा है तभी होम लोन ट्रांसफर कराने का फायदा है।

आरबीआई ने 6 अगस्त को मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट में कमी नहीं की। इससे होम लोन के ग्राहकों को थोड़ी निराशा हुई। हालांकि, इस साल केंद्रीय बैंक रेपो रेट में 100 बेसिस प्वाइंट्स यानी 1 फीसदी की कमी कर चुका है। इससे होम लोन के ग्राहकों को काफी राहत मिली है। उनकी EMI में कमी आई है। लेकिन, होम लोन ले चुके लोग अपनी ईएमआई में और कमी आने की उम्मीद कर रहे हैं।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि रेपो रेट (Repo Rate) में कमी नहीं होने के बावजूद होम लोन के ग्राहक अपनी EMI में कमी के लिए कोशिश कर सकते हैं।

इनटर्नल बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प


सबसे पहले होम लोन के ग्राहकों को अपने उस बैंक से बात करने की कोशिश करना चाहिए, जहां उनका होम लोन पहले से है। 'इनटर्नल बैलेंस ट्रांसफर' या कनवर्जन सबसे आसान तरीका है। इसमें ज्यादा पेपरवर्क नहीं होता। प्रॉपर्टी की रीवैल्यूएशन की जरूरत नहीं पड़ती और प्रोसेसिंग जल्द होता है। लेकिन, इस पर कुछ कॉस्ट आती है। बैंक या एनबीएफसी आम तौर पर एक स्विच फीस लेते हैं। यह बाकी लोन अमाउंट का 0.25 से 0.5 फीसदी हो सकती है। कुछ बैंक फ्लैट प्रोसेसिंग फीस लेते हैं।

दूसरे बैंक में बैलेंस ट्रांसफर करने का विकल्प

दूसरा विकल्प रीफाइनेंसिंग या पूरे बैलेंस को किसी नए बैंक में ट्रांसफर करने का है। आम तौर पर नया बैंक ग्राहक को कम इंटरेस्ट रेट्स पर लोन ट्रांसफर कराने की सुविधा देते हैं। लेकिन, इसमें थोड़ा पेपरवर्क शामिल है। नए सिरे से डॉक्युमेंट्स देने होते हैं। लीगल और टेक्निकल चेक होता है। प्रॉपर्टी की रीवैल्यूएशन होती है। साथ ही अतिरिक्त चार्ज भी चुकाना होता है। कई लोग बार-बार पेपरवर्क नहीं करना चाहते।

इंटरेस्ट ज्यादा कम होने पर ही नए बैंक में ट्रांसफर कराने में फायदा

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर आपके होम लोन का इंटरेस्ट रेट सिर्फ 0.25-0.5 फीसदी कम होता है तो फिर उसे नए बैंक में ट्रांसफर कराने का कोई फायदा नहीं है। अगर आपका मौजूदा बैंक (जहां पहले से आपका होम लोन है) सही कनवर्जन फीस लेकर इंटरेस्ट रेट घटाने को तैयार हो जाता है तो उस बैंक के साथ ही अपने होम लोन को बनाए रखना फायदेमंद है। इसकी बड़ी वजह यह है कि लोन के बाद के सालों में EMI में ज्यादा हिस्सा प्रिंसिपल का होता है।

शुरुआती सालों में EMI में ज्यादा हिस्सा इंटरेस्ट का

अगर बैंक आपको 0.75 फीसदी या इससे ज्यादा का डिस्काउंट इंटरेस्ट रेट में दे रहा है तभी होम लोन ट्रांसफर कराने का फायदा है। खासकर तब जब आपके लोन की अवधि अभी आधा बाकी है। हम फौजी एनिशिएटिव के सीईओ और सर्टिफायड फाइनेंशियल प्लैनर संजीव गोविला ने कहा, "लोन के शुरुआती कुछ सालों में ईएमआई में ज्यादा हिस्सा इंटरेस्ट का होता है। ऐसे में अगर इंटरेस्ट रेट घटता है तो लोन की पूरी अवधि में लाखों रुपये की बचत हो सकती है।"

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हाइब्रिड स्ट्रेटेजी का कर सकते हैं इस्तेमाल

अगर बैंक होम लोन के बैलेंस को ट्रांसफर करने को तैयार हो जाता है तो ग्राहक के सामने दो विकल्प होते हैं। पहला, वह अपनी EMI के अमाउंट में कमी करा सकता है। दूसरा, वह लोन की अवधि कम करा सकता है। EMI अमाउंट कम होने से ग्राहक के हाथ में पैसे बचते हैं। इस पैसे का इस्तेमाल वह दूसरी जरूरतों के लिए कर सकता है। हालांकि, EMI की अवधि घटने से लोन जल्द खत्म हो जाता है। कुछ ग्राहक हाइब्रिड स्ट्रेटेजी अपनाते हैं। वे ईएमआई में थोड़ा कमी कराते हैं और साथ ही लोन की अवधि में भी कमी कराते हैं।

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