RBI MPC के कल आए फैसले में एक लंबे समय बाद निति दरों में कटौती की खुशखबरी मिली है। भारतीय रिजर्व बैंक ने 5 साल में पहली बार अपनी मुख्य नीति दर जिसे रेपो रेट कहते हैं, घटा दी है। RBI MPC के कल 7 फरवरी को आए अंतिम फैसले में रेपो रेट को 0.25 फीसदी घटाकर 6.25 फीसदी करने का फैसला लिया गया है। इससे अब आम लोगों को कर्ज देने वालं कमर्शियल बैंक भी लोन पर ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं। आरबीआई के इस फैसले से लोगों को कम ब्याज दर पर सस्ता लोन मिल सकेगा और देश के सुस्त पड़ी ग्रोथ पटरी पर आ सकेगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिन लोगों ने फ्लोटिंग रेट पर कमर्शियल बैंकों से कर्ज ले रखा है,उन ग्राहकों की लोन ईएमआई भी आने वाले समय में घटने की उम्मीद है। हालांकि,यह भी ध्यान में रहना चाहिए कि जिन्होंने पहले से फिक्स्ड रेट पर कर्ज ले रखा है उनकी ईएमआई में कोई बदलाव नहीं होगा।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि रेपो रेट (Repo Rate) में हुई इस कटौती से आम जनता को राहत मिलेगी। बाजार में नकदी बढ़ेगी। आइए जानते हैं कि क्या है रेपो रेट (Repo Rate) और इसमें बदलाव क्यों माना जाता है अहम। RBI द्वारा तय किया गया रेपो रेट (Repo Rate) एक बेहद अहम फाइनेंनशियल टूल है। एक तरह से रेपो रेट की मदद से ही देश की इकोनॉमी को कंट्रोल किया जाता है। रेपो रेट (Repo Rate) वह ब्याज दर होती है, जिस पर कॉमर्शियल बैंक RBI से छोटी अवधि के लिए कर्ज लेते हैं। जब RBI रेपो रेट (Repo Rate) घटाता है, तो बैंक को कम ब्याज पर पैसा मिलता है। इससे बैंक अपने कस्टमर्स को सस्ते लोन दे सकते हैं। इसके उलट,रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ने पर लोन महंगा हो जाता है,जिससे मांग घटती है और महंगाई पर लगाम लगती है।
आरबीआई की तरफ से हुई रेपो रेट में कटौती के बाद SBI के MD अश्विनी कुमार तिवारी ने भी कहा है कि उनकी तरफ से भी ब्याज दरों में जल्दी ही कटौती होगी। SBI की ओर से जल्द दरें घटाई जाएंगी। रेपो से जुड़े लोन की EMI कम होगी। अब कर्ज सस्ता किया जाएगा। RBI ने सिस्टम में नकदी बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं। इससे मिडिल क्लास को राहत मिलेगी। ये इकोनॉमी के लिए बेहतर फैसला है। मिडिल क्लास को अतिरिक्त पैसा मिलने से राहत मिलेगी। खपत बढ़ने से डिमांड क्षमता भी बढ़ेगी। घरेलू खपत बढ़ाने के लिए ये सराहनीय कदम है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बैंकों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को रेपो रेट घटने को फायदों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में कुछ समय लग सकता है। उपभोक्ताओं तक इसका फायदा पहुंचा इस बात पर निर्भर करेगा कि बैंकों पॉलिसी और रेट साइकल कैसी है। आरबीआई के इस फैसले से रियल एस्टेट सेक्टर को फायद मिलेगा। लोग घर खरीदने और प्रॉपर्टी में निवेश करने के लिए आकर्षित होंगे। उम्मीद है कि इसके चलते जीडीपी में भी वित्त वर्ष 2025-26अवधि में बढ़त होगी।
इसे समझने के लिए मान लेते हैं कि किसी ने किसी कमर्शियल बैंक से 8.75 फीसदी की फ्लोटिंग रेट पर 30 साल के लिए 50 लाख रुपये का होम लोन लिया है। ऐसे में इस लोन पर लोन लेने वाले की EMI 39,335 रुपये रही होगी। रेट कट के बाद अब ब्याज दर घटकर 8.50 फीसदी पर आ सकती है, जिससे लोन लेने वाले की मंथली ईएमआई घटकर 38,446 रुपये पर आ जाएगी। वहीं,लोन लेने वाले ने ये अगर ये लोन 9.55 फीसदी ब्याज दर पर लिया हुआ है तो उस पर लागू ब्याज दर घटकर 9.30 फीसदी हो जाने पर ईएमआई भी 42,225 रुपये से घटकर 41,315 रुपये हो जाएगी।