भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में चेक क्लियरिंग की नई रियल-टाइम सिस्टम शुरू किया है। ताकि, चेक का पेमेंट अब 1-2 दिन की जगह कुछ ही घंटों में हो सके। लेकिन शुरुआत में ही इस सिस्टम में कई तकनीकी और ट्रेनिंग से जुड़ी दिक्कतें सामने आई हैं, जिसकी वजह से ग्राहकों को परेशानी हो रही है।
पहले जहां चेक दिन के अंत में एक साथ प्रोसेस होते थे, अब यह प्रणाली दिनभर लगातार क्लियरिंग की सुविधा देती है। यानी अगर कोई चेक सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे के बीच जमा किया जाता है, तो बैंक उसे तुरंत स्कैन कर केंद्रीय सिस्टम को भेज देगा और बैंक के बीच निपटान हर घंटे होगा। पेमेंट करने वाले बैंक को शाम 7 बजे तक वैरिफिकेशन करनी होती है, नहीं करने पर चेक अपने आप पास माना जाता है।
लेकिन बैंक स्टाफ को नए प्रोसेस की पूरी ट्रेनिंग न होने के कारण कई जगह चेक स्कैन करने, इमेज क्वालिटी और नंबर सही से पढ़ने में दिक्कतें आ रही हैं। कई बार स्कैन की गई चेक इमेज साफ न होने के कारण रिजेक्ट हो जाती हैं, जिससे ग्राहकों को पुरानी तरह से ही देर से पेमेंट मिल रहा है। एक प्राइवेट बैंक अधिकारी ने बताया कि सिस्टम इंटीग्रेशन, नंबर की रीडिंग और डेटा ट्रांसफर में दिक्कतें आ रही हैं, जिसकी वजह से काम धीमा पड़ गया है।
मुंबई की एक एनबीएफसी कंपनी ने बताया कि उन्होंने शनिवार को करीब 20 करोड़ रुपये के चेक जमा किए, लेकिन गुरुवार तक भी पेमेंट उनके अकाउंट में नहीं आया। जबकि ग्राहकों के खाते से पैसा कट चुका है। बैंक से संपर्क करने पर उन्हें भी साफ जवाब नहीं मिला कि पैसा कहां अटका है।
इस बीच, आरबीआई ने बुधवार को चेक क्लियरिंग का समय रात 11 बजे तक बढ़ा दिया, ताकि अटके हुए ट्रांजेक्शन निपटाए जा सकें। आमतौर पर बैंक की कटऑफ टाइमिंग शाम 7 बजे होती है।
हालांकि, यह समस्या बहुत बड़े पैमाने पर नहीं दिख रही है क्योंकि अब ज्यादातर लोग ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम जैसे NEFT, RTGS और खासकर UPI का इस्तेमाल करते हैं। RBI के आंकड़ों के अनुसार 2019 में जहां हर महीने करीब 450 मिलियन चेक क्लियर होते थे, अब यह संख्या घटकर 200-300 मिलियन रह गई है।
फिर भी, जिन ग्राहकों को दिक्कत हुई है, उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। कई यूजर्स ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि उनके चेक तीन-चार दिन से क्लियर नहीं हुए हैं और बैंक अधिकारी सिर्फ सिस्टम इश्यू बताकर इंतजार करने को कह रहे हैं।
पब्लिक सेक्टर बैंक के अधिकारियों ने माना कि यह नई प्रक्रिया की शुरुआती दिक्कतें हैं और उम्मीद है कि अगले एक-दो हफ्तों में सिस्टम पूरी तरह तरीके से चलने लगेगा। कुल मिलाकर आरबीआई की यह नई पहल देश के बैंकिंग सिस्टम को बेहतर करने में मदद करेगी।