देश के 43 ग्रामीण बैंकों के ग्राहकों के लिए बड़ी खबर! 1 मई से 15 बैंकों का होगा विलय, क्या आपका है अकाउंट?
Regional Rural Bank: 1 मई से ग्रामीण बैंकों की संख्या 43 से घटकर 28 हो जाएगी। सरकार ने वन स्टेट-वन RRB नीति को हरी झंडी दे दी है। ये 1 मई 2025 से लागू होगा। क्या आप भी देश के इन 43 रीजनल बैंकों को ग्राहक हैं, तो आपके लिए ये जानना जरूरी है कि ग्राहकों पर इसका क्या असर होगा
Regional Rural Bank: 1 मई से ग्रामीण बैंकों की संख्या 43 से घटकर 28 हो जाएगी।
Regional Rural Bank: 1 मई से ग्रामीण बैंकों की संख्या 43 से घटकर 28 हो जाएगी। सरकार ने वन स्टेट-वन RRB नीति को हरी झंडी दे दी है। ये 1 मई 2025 से लागू होगा। क्या आप भी देश के इन 43 रीजनल बैंकों को ग्राहक हैं, तो आपके लिए ये जानना जरूरी है कि ग्राहकों पर इसका क्या असर होगा। ये सभी बैंक आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान के हैं।
रीजनल बैंकों की सर्विस होगी बेहतर
देशभर के ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सर्विस को बेहतर और किफायती बनाने के लिए केंद्र सरकार ने इसके तहत 11 राज्यों में कार्यरत 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (Regional Rural Banks - RRBs) को मर्ज कर दिया जाएगा। इस बड़े फैसले के बाद 1 मई 2025 से देश में आरआरबी की संख्या 43 से घटकर 28 रह जाएगी। इसका मकसद बैंकों के ऑपरेशन को बेहतर बनाना है।
किन राज्यों में होगा विलय?
नोटिफिकेशन के मुताबिक आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान में अब हर राज्य में केवल एक RRB बैंक रहेगा। हर एक राज्य में मौजूद सभी आरआरबी का इंटिग्रेट कर एक मजबूत बैंक बनाया जाएगा। वह अपने राज्य के ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सर्विस देने का काम करेगा।
कैसे होगा विलय?
1. आंध्र प्रदेश में चार आरआरबी बैंक चैतन्य गोदावरी ग्रामीण बैंक, आंध्र प्रगति ग्रामीण बैंक, सप्तगिरि ग्रामीण बैंक और आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक को मिलाकर आंध्र प्रदेश ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा। इसका हेड ऑफिस अमरावती में रहेगा और स्पॉन्सर बैंक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया होगा।
2. उत्तर प्रदेश में बड़ौदा यूपी बैंक, आर्यावर्त बैंक और प्रथम यूपी ग्रामीण बैंक को मिलाकर उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा, जिसका हेड ऑफिस लखनऊ में रहेगा। स्पॉन्सर बैंक बड़ौदा बैंक होगा।
3. पश्चिम बंगाल में बंगिया ग्रामीण विकास बैंक, पश्चिम बंग ग्रामीण बैंक और उत्तर बंग क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक का विलय कर पश्चिम बंगाल ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा।
4. बिहार में दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक का विलय कर बिहार ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा। स्पॉन्सर पंजाब नेशनल बैंक रहेगा।
5. गुजरात में बड़ौदा गुजरात ग्रामीण बैंक और सौराष्ट्र ग्रामीण बैंक को मिलाकर गुजरात ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा।
6. जम्मू-कश्मीर में जे एंड के ग्रामीण बैंक और एल्लाक्वई देहाती बैंक का विलय कर जम्मू-कश्मीर ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा। हेड ऑफिस जम्मू में रहेगा।
7. इसी तरह कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान में भी दो-दो आरआरबी का विलय कर एक-एक नया आरआरबी बनाया जाएगा।
कैसे होंगे नये RRB बैंक
आरआरबी की अधिकृत पूंजी 2,000 करोड़ रुपये होगी। नए बैंकों का मैनेजमेंट और ऑपरेशन अधिक कुशल होगा, जिससे ग्राहकों को बेहतर सर्विस मिलेंगी।
इससे पहले भी 3 बार हुआ है बदलाव
यह क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के इंटीग्रेशन का चौथा चरण है।
पहले चरण (2006-2010) में आरआरबी की संख्या 196 से घटाकर 82 कर दी गई थी।
दूसरे चरण (2013-2015) में 82 से 56 कर दी गई।
तीसरे चरण में 56 से घटाकर 43 कर दी गई थी। अब चौथे चरण के बाद 28 आरआरबी रह जाएंगे।
आरआरबी की मौजूदा स्थिति
आज की तारीख में देश में 43 आरआरबी 26 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 22,069 शाखाओं के जरिए सर्विस दे रहे हैं। 700 जिलों में फैले इन बैंकों की 92 प्रतिशत शाखाएं ग्रामीण और सेमी अर्बन इलाकों में हैं।
आरआरबी का फाइनेंशियल प्रदर्शन
फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में आरआरबी ने अब तक का सबसे ज्यादा इंटिग्रेटेड मुनाफा 7,571 करोड़ रुपये अर्जित किया। 31 मार्च 2024 तक इन बैंकों का CRAR 14.2 प्रतिशत रही, जो अब तक का उच्चतम स्तर है। साथ ही सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (GNPA) अनुपात 6.1 प्रतिशत रहा, जो पिछले 10 सालों में सबसे कम है।
पूंजी निवेश की बड़ी पहल
सरकार ने 2021-22 में आरआरबी को बेहतर करने के लिए 5,445 करोड़ रुपये की पूंजी निवेश की योजना बनाई थी, ताकि इन बैंकों को बढ़ने के लिए आवश्यक पूंजी मिल सके। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना 1976 के आरआरबी अधिनियम के तहत हुई थी। इनका मकसद ग्रामीण इलाकों में छोटे किसानों, मजदूरों और कारीगरों को लोन और अन्य फाइनेंशियल सर्विस देना है। रिवाइज्ड अधिनियम 2015 के बाद अब आरआरबी अन्य सोर्स से भी पूंजी जुटा सकते हैं। केंद्र सरकार की इन बैंकों में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि 35 प्रतिशत स्पॉन्सर बैंकों और 15 प्रतिशत राज्य सरकारों के पास है।