Furniture Rent vs Buy: फर्नीचर खरीदें या किराये पर लें? नौकरीपेशा और छात्रों के लिए कौन-सा विकल्प बेहतर

Furniture Rent vs Buy: शहर में किराये के मकान में रहने वाले कई प्रोफेशनल्स और स्टूडेंट्स के सामने उलझन रहती है कि फर्नीचर को भी रेंट पर लें या उसे खरीदना ज्यादा सही रहेगा। जानिए कब फर्नीचर किराये पर लेना कितना सस्ता और स्मार्ट है, और कब खरीदना ज्यादा फायदेमंद रहेगा। समझिए EMI बनाम रेंट का असली गणित।

अपडेटेड Jul 10, 2025 पर 7:48 PM
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फर्नीचर किराए पर लेना शॉर्ट टर्म के लिए सुविधाजनक और बजट-फ्रेंडली हो सकता है।

Furniture Rent vs Buy: तेजी से बदलती शहरी जीवनशैली और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की सुविधा ने फर्नीचर किराए पर लेने के चलन को काफी बढ़ा दिया है। खासतौर पर युवा प्रोफेशनल्स और छात्रों के बीच यह विकल्प तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। लेकिन क्या किराए पर लेना वाकई खरीदने से बेहतर है? आइए समझते हैं फायदे, जोखिम और सही फैसला लेने का तरीका।

किराए पर कैसे ले सकते हैं फर्नीचर?

Furlenco, Rentomojo और Cityfurnish जैसे ऑनलाइन रेंटल प्लेटफॉर्म्स सोफा, बेड, डाइनिंग सेट से लेकर फ्रिज और वॉशिंग मशीन जैसे अप्लायंसेज भी किराए पर उपलब्ध कराते हैं। अधिकतर मामलों में होम डिलीवरी और इंस्टॉलेशन मुफ्त या मामूली चार्ज में होती है। कई कंपनियां डैमेज कवर के लिए इंश्योरेंस भी ऑफर करती हैं।


किसके लिए रहता है बेस्ट?

अगर आप किसी शहर में कुछ समय के लिए रह रहे हैं, तो फर्नीचर किराए पर लेना एक प्रैक्टिकल विकल्प बन सकता है। जैसे कि जैसे ट्रांसफर, पढ़ाई या कॉन्ट्रैक्ट जॉब कर रहे लोगों के लिए।

ग्राहक पैकेज चुन सकते हैं, जो एक कमरे या पूरे घर के फर्नीचर को कवर करते हैं। किराया तय अवधि के लिए होता है। आमतौर पर 3 महीने से लेकर 1 साल तक। साथ ही, आपकी सुविधानुसार रिन्यू या रिटर्न की सुविधा भी मिलती है।

किराए के फर्नीचर की चुनौतियां

  • एडवांस सिक्योरिटी डिपॉजिट।
  • देरी से भुगतान पर पेनल्टी।
  • डैमेज की स्थिति में चार्ज।
  • जल्द टर्मिनेशन पर एक माह का रेंट देना पड़ सकता है।

फर्नीचर खरीदना के क्या फायदे हैं?

अगर आप किसी शहर में 2-3 साल से ज्यादा समय तक रुकने की योजना बना रहे हैं, तो फर्नीचर खरीदना अधिक आर्थिक रूप से समझदारी भरा फैसला हो सकता है।

नो-कॉस्ट EMI स्कीम्स के चलते अब फर्नीचर खरीदना पहले जितना भारी बोझ नहीं रहा। अगर आप ₹45,000 का डाइनिंग सेट ₹3,750 की मासिक EMI पर 12 महीनों में खरीदते हैं, तो कुल लागत वही रहेगी। दो साल बाद इसकी सेकेंड हैंड कीमत ₹15,000 तक भी हो सकती है, जिससे आपकी असल लागत ₹30,000 रह जाती है।

वहीं, अगर आप वही फर्नीचर किराए पर ₹1,500/माह की दर से 24 महीनों तक इस्तेमाल करते हैं, तो ₹36,000 खर्च होंगे। इसमें वह सामान भी आपका नहीं रह जाएगा।

किसके लिए कौन-सा विकल्प?

इस सवाल का जवाब आपकी सहूलियत पर टिका है। अगर आपको किसी शहर में लंबे वक्त तक नहीं टिकना है, तो किराये पर फर्नीचर लेना बेहतर हो सकता है। यह उन लोगों के लिए बेहतर है, जो बार-बार शहर बदलते हैं, लाइफस्टाइल में तेजी से बदलाव चाहते हैं, या शुरुआती करियर स्टेज में हैं।

वहीं, फर्नीचर की खरीदारी उनके लिए सही है, जो स्थिरता चाहते हैं। अगर आप किसी शहर में 2-3 साल से ज्यादा किसी जगह रुकने की सोच रहे हैं, तो फर्नीचर खरीदने के बारे में सोच सकते हैं। यह फर्नीचर किराये पर लेने की तुलना में आपके लिए अधिक फायदेमंद रहेगा।

आपको क्या करना चाहिए?

फर्नीचर किराए पर लेना शॉर्ट टर्म के लिए सुविधाजनक और बजट-फ्रेंडली हो सकता है, लेकिन अगर आप किसी शहर में लंबे समय तक रहने वाले हैं, तो खरीदना ज्यादा सही रहेगा। खासतौर पर जब EMI और रेंट की रकम लगभग बराबर हो। हालांकि, आखिरी फैसला लेने से पहले आपकी शहर में रुकने की अवधि, बजट और जीवनशैली की प्राथमिकता पर गौर करना जरूरी है।

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