Retirement Planning: रिटायरमेंट के लिए कितना चाहिए फंड, कहां लगाएं पैसा? जानिए एक्सपर्ट से
Retirement Planning: रिटायरमेंट के बाद करीब 25 साल तक बिना सैलरी के जीने के लिए मजबूत फंड जरूरी है। एक्सपर्ट से जानिए कि रिटायरमेंट के लिए कितना फंड बनाना होगा और इसके लिए किन स्कीमों में निवेश किया जा सकता है।
भारत में रिटायरमेंट फंड तैयार करने के कई विकल्प मौजूद हैं।
Retirement Planning: आज की तारीख में युवाओं का हाथ जल्दी पैसा आ रहा है। निवेश के आसान विकल्प भी उपलब्ध हैं। लेकिन, बड़ी संख्या में भारतीय युवा अब भी रिटायरमेंट प्लानिंग को टालते जा रहे हैं। प्राइम वेल्थ फिनसर्व (Prime Wealth Finserv) के को-फाउंडर और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर चक्रवर्ती वी (Chakravarthy V) और चक्रवर्धन कुप्पला (Chakravardhan Kuppala) कहते हैं कि यह लापरवाही आगे चलकर बड़ी फाइनेंशियल परेशानी का कारण बन सकती है।
चक्रवर्ती का कहना है, "अगर आप 60 की उम्र में रिटायर होते हैं और 85 तक जीते हैं, तो 25 साल बिना सैलरी के गुजारने होंगे। सवाल ये नहीं है कि आप कितने साल जिएंगे, बल्कि ये है कि आपका पैसा कितने साल चलेगा।"
बढ़ती उम्र और खर्च
दोनों एक्सपर्ट के मुताबिक, रिटायरमेंट को लोग दूर का लक्ष्य मानकर पहले घर, बच्चों की पढ़ाई या दूसरे खर्चों को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन शहरी भारत में जीवन प्रत्याशा (life expectancy) बढ़ रही है और संयुक्त परिवार जैसी पारंपरिक सपोर्ट सिस्टम अब पहले जैसे भरोसेमंद नहीं रहे।
साथ ही हेल्थकेयर खर्च भी सामान्य महंगाई से तेज बढ़ता है और ये खर्च उस वक्त चरम पर होता है जब आपकी रेगुलर इनकम बंद हो जाती है। ऐसे में जिनके पास कोई फॉर्मल पेंशन नहीं है, उनके लिए रिटायरमेंट के लिए एक मजबूत फंड बनाना बहुत जरूरी हो जाता है।
कितना पैसा काफी होगा?
चक्रवर्ती और कुप्पला सलाह देते हैं कि 30 की उम्र में ही लोग सोचें कि रिटायरमेंट के बाद कैसी जिंदगी चाहिए। उदाहरण के तौर पर, अगर आज आपके घर का मासिक खर्च ₹60,000 है, तो 6–7% वार्षिक महंगाई मानें तो यही खर्च 25 साल में ₹1.5–2 लाख तक पहुंच सकता है।
ऐसी स्थिति में कम से कम ₹4 से ₹6 करोड़ का रिटायरमेंट फंड जरूरी हो सकता है, ताकि 20–25 साल का समय आराम से निकाला जा सके। इसके लिए EPF, PPF, म्यूचुअल फंड और रियल एस्टेट जैसे मौजूदा निवेश की समीक्षा कर फंड गैप का अनुमान लगाना चाहिए।
वे कहते हैं कि ₹15,000–20,000 की SIP से शुरुआत कर, धीरे-धीरे इसे बढ़ाने से जरूरी फंड तैयार किया जा सकता है। साथ ही रिटायरमेंट के बाद पैसे को किस तरह निकाला जाएगा, इसका भी प्लान बनाना जरूरी है।
कौन-कौन से विकल्प उपलब्ध हैं?
भारत में रिटायरमेंट फंड तैयार करने के कई विकल्प मौजूद हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि आप अपनी सुविधा के हिसाब से इनमें से किसी में पैसा लगा सकते हैं। या फिर निवेश का हिस्सा सभी अच्छी स्कीमों में बांट सकते हैं।
PPF (पब्लिक प्रोविडेंट फंड): सरकारी गारंटी और टैक्स फ्री रिटर्न के साथ सुरक्षित विकल्प, खासकर कंजर्वेटिव निवेशकों के लिए।
EPF (एम्प्लॉयीज प्रोविडेंट फंड): सैलरी पाने वालों के लिए लगातार बचत का जरिया, जिसमें एम्प्लॉयर का योगदान भी शामिल होता है।
NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम): लो कॉस्ट, फ्लेक्सिबल असेट अलोकेशन और टैक्स बेनिफिट के साथ एक लंबी अवधि का प्लान।
SIP के जरिए इक्विटी म्यूचुअल फंड: लंबी अवधि में बेहतरीन ग्रोथ देने वाला विकल्प, जो अब रिटायरमेंट प्लानिंग में अहम भूमिका निभा रहा है।
SIP बन गया है नई आदत
चक्रवर्धन कुप्पला कहते हैं कि अब SIP को लोग एक मासिक कमिटमेंट की तरह अपनाने लगे हैं, जैसे किराया या EMI। मार्च 2025 में मिड-कैप और स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड में ₹7,000 करोड़ से ज्यादा का नेट इनफ्लो देखा गया, जिससे ये समझ आता है कि इन सेगमेंट की वोलैटिलिटी के बावजूद लोगों का भारत की लॉन्ग टर्म ग्रोथ में भरोसा बना हुआ है। SIP को लेकर प्रतिबद्धता लोगों को लॉन्ग टर्म में अच्छा पैसा बनाकर दे सकती है।
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