Retirement Planning: एनपीएस क्यों आपकी रिटायरमेंट प्लानिंग का अनिवार्य हिस्सा होना चाहिए?

एनपीएस में आपका पैसा शेयर, कॉर्पोरेट बॉन्ड्स और सरकार के बॉन्ड्स में निवेश किया जाता है। लंबी अवधि में इनवेस्टमेंट का यह मिक्स्ड बैलेंस आपके पैसे को बढ़ाने के साथ ही स्टैबिलिटी ऑफर करता है। कम उम्र के सब्सक्राइबर इक्विटी में कंट्रिब्यूशन बढ़ा सकते हैं, जिससे कंपाउंडिंग की वजह से रिटायरमेंट तक उनके लिए बड़ा फंड तैयार हो जाता है

अपडेटेड Nov 07, 2025 पर 10:59 PM
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एनपीएस उन इनवेस्टमेंट स्कीम में से एक है, जिनकी फंड मैनेजमेंट कॉस्ट काफी कम है।

रिटायरमेंट प्लानिंग आपको नौकरी के दौरान नियमित रूप से निवेश करने और रिटायर होने पर उस निवेश के पैसे का इस्तेमाल करने का मौका देता है। रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए एनपीएस लोगों की पहली पंसद बन गया है। नौकरी के दौरान आप इसमें नियमित रूप से कंट्रिब्यूट करते हैं। रिटायरमेंट पर आपको एनपीएस में तैयार फंड का एक बड़ा हिस्सा एकमुश्त मिल जाता है। बाकी का इस्तेमाल आपको एन्युटी खरीदने के लिए करना पड़ता है, जिससे आपको हर महीने पेंशन मिलती है।

कई एसेट क्लास में निवेश का मौका

NPS में आपका पैसा शेयर, कॉर्पोरेट बॉन्ड्स और सरकार के बॉन्ड्स में निवेश किया जाता है। लंबी अवधि में इनवेस्टमेंट का यह मिक्स्ड बैलेंस आपके पैसे को बढ़ाने के साथ ही स्टैबिलिटी ऑफर करता है। कम उम्र के सब्सक्राइबर इक्विटी में कंट्रिब्यूशन बढ़ा सकते हैं, जिससे कंपाउंडिंग की वजह से रिटायरमेंट तक उनके लिए बड़ा फंड तैयार हो जाता है। जो सब्सक्राइबर रिटायरमेंट के करीब हैं, वे डेट में कंट्रिब्यूशन बढ़ा सकते हैं।


फंड मैनेजमेंट कॉस्ट काफी कम 

एनपीएस उन इनवेस्टमेंट स्कीम में से एक है, जिनकी फंड मैनेजमेंट कॉस्ट काफी कम है। इसका फायदा यह है कि आपके कंट्रिब्यूशन का बड़़ा हिस्सा निवेश के लिए इस्तेमाल होता है। 15-25 साल की अवधि में नियमित निवेश करने पर कंपाउंडिंग की वजह से रिटायरमेंट तक आपके लिए बड़ा फंड तैयार हो जाता है। आपको इसके लिए ज्यादा रिस्क भी नहीं लेना पड़ता है।

टैक्स के लिहाज से फायदेमंद

यह रिटायरमेंट स्कीम टैक्स के लिहाज से भी काफी अट्रैक्टिव है। इनकम टैक्स एक्ट के कई सेक्शंस में एनपीएस पर डिडक्शन की इजाजत है। एंप्लॉयर के कंट्रिब्यूशन पर भी टैक्स बेनेफिट उपलब्ध है। सब्सक्राइबर के 60 साल के होने पर 60 फीसदी पैसा एकमुश्त मिलता है, जो पूरी तरह से टैक्स-फ्री होता है। बाकी पैसे का इस्तेमाल एन्युटी खरीदने के लिए करना पड़ता है। एन्युटी से मिलने वाली पेंशन टैक्स के दायरे में आती है।

60 साल के होने पर एकमुश्त विड्रॉल

एनपीएस में सब्सक्राइबर को इनवेस्टमेंट का ऑप्शन मिलता है। वह इक्विटी और डेट के मिक्स में इनवेस्ट कर सकता है या ऑटो चॉइस को सेलेक्ट कर सकता है। ऑटो चाॉइस में सब्सक्राइबर के उम्र के हिसाब से एसेट ऐलोकेशन बदलता है। सब्सक्राइबर के पास फंड मैनेजर बदलने की सुविधा है। वह ऐलोकेशन की लिमिट में भी बदलाव कर सकता है। खास स्थितियों में 60 साल के होने से पहले पैसे निकालने की सुविधा है।

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ईपीएफ, पीपीएफ के साथ कर सकते हैं निवेश

एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेशक ईपीएफ और पीपीएफ के साथ एनपीएस में निवेश कर सकते हैं। ईपीएफ जहां फिक्स्ड रिटर्न ऑफर करता है, वही एनपीएस मार्केट लिंक्ड रिटर्न ऑफर करता है। पीपीएफ का इंटरेस्ट रेट काफी अट्रैक्टिव है, जिससे 15 साल में बगैर किसी रिस्क बड़ा फंड तैयार हो जाता है। तीनों में निवेश करने पर रिटायरमेंट बाद के खर्च की चिंता करने की जरूरत नहीं रह जाती है।

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