Secured vs unsecured loans: सेक्योर्ड और अनसेक्योर्ड लोन में क्या फर्क है, आपके लिए कौन सा लोन ज्यादा फायदेमंद है?

सेक्योर्ड लोन का मतलब ऐसे लोन से है, जिसके लिए बैंक कोलैटरल लेते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर बैंक ग्राहक की कोई संपत्ति गिरवी रखने के बाद लोन देते हैं तो उसे सेक्योर्ड लोन कहा जाता है। ग्राहक लोन लेने के लिए प्रॉपर्टी, गोल्ड या फिक्स्ड डिपॉजिट बैंक के पास गिरवी रखता है

अपडेटेड Sep 15, 2025 पर 3:56 PM
Story continues below Advertisement
पिछले कुछ सालों में खासकर फिनटेक कंपनियों के आने के बाद अनसेक्योर्ड लोन का चलन तेजी से बढ़ा है।

लोन से जुड़ी खबरों में आपने अक्सर सेक्योर्ड और अनसेक्योर्ड लोन के बारे में सुना होगा। ग्राहकों के लिए ये दोनों शब्द ज्यादा मायने नहीं रखते हैं। लेकिन, बैंकों और एनबीएफसी के लिए ये काफी अहम हैं। सेक्योर्ड और अनसेक्योर्ड लोन में क्या फर्क है? बैंकों को दोनों में से किसमें ज्यादा फायदा है? क्या इन दोनों तरह के लोन के इंटरेस्ट रेट में फर्क होता है? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।

सेक्योर्ड लोन का मतलब

Secured Loan का मतलब ऐसे लोन से है, जिसके लिए बैंक कोलैटरल (Collateral) लेते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर बैंक ग्राहक की कोई संपत्ति गिरवी रखने के बाद लोन देते हैं तो उसे सेक्योर्ड लोन कहा जाता है। ग्राहक लोन लेने के लिए प्रॉपर्टी, गोल्ड या फिक्सड डिपॉजिट बैंक के पास गिरवी रखता है। इसका मतलब है कि अगर किसी वजह से ग्राहक लोन का पैसा नहीं चुका पाता है तो बैंक या एनबीएफसी के पास गिरवी रखी उसकी संपत्ति को बेचकर अपने पैसा रिकवर करने का मौका होता है। सेक्योर्ड लोन में बैंक या एनबीएफसी के लिए रिस्क कम होता है। इसलिए इस लोन का इंटरेस्ट कम होता है। साथ ही लोन लौटाने की अवधि लंबी होती है। होम लोन, कार लोन और प्रॉपर्टी पर लिया गया लोन सेक्योर्ड लोन के उदाहरण हैं।


अनसेक्योर्ड लोन का मतलब

अनसेक्योर्ड लोन में ग्राहक को बैंक या एनबीएफसी के पास किसी तरह का कोलैटरल नहीं रखना पड़ता है। बैंक या एनबीएफसी ग्राहक की क्रेडिट रेटिंग के आधार पर अनसेक्योर्ड लोन देते हैं। ग्राहक की पेमेंट हिस्ट्री और इनकम को भी देखा जाता है। चूंकि, ऐसे लोन में बैंक और एनबीएफसी के लिए रिस्क ज्यादा होता है, जिससे इसका इंटरेस्ट रेट भी ज्यादा होता है। दूसरा, इस लोन को चुकाने के लिए ग्राहक को कम समय मिलता है। लेकिन, अनसेक्योर्ड लोन के एप्रूवल में ज्यादा समय नहीं लगता है। लोन का पैसा ग्राहक के अकाउंट में जल्द आ जाता है।

ग्राहकों के लिए कौन सा लोन फायदेमंद?

अनसेक्योर्ड लोन में अमाउंट कम होता है। बैंक ग्राहकों को छोटे अमाउंट की खरीदारी के लिए भी अनसेक्योर्ड लोन देते हैं। सवाल है कि दोनों में से कौन सा लोन लेना ग्राहक के लिए फायदेमंद है? इस सवाल का जवाब इस बात पर निर्भर करता है कि ग्राहक के लोन लेने का मकसद क्या है। अगर आपके पास एसेट्स है और आप कम इंटरेस्ट के साथ लोन के रिपेमेंट के लिए ज्यादा समय चाहते हैं तो आपके लिए सेक्योर्ड लोन लेना फायदेमंद होगा। अगर आपको जल्द लोन चाहिए और बैंक के पास गिरवी रखने के लिए आपके पास कोई संपत्ति नहीं है तो अनसेक्योर्ड लोन लेना आपके लिए ठीक रहेगा।

तेजी से बढ़ रहा अनसेक्योर्ड लोन

पिछले कुछ सालों में खासकर फिनटेक कंपनियों के आने के बाद अनसेक्योर्ड लोन का चलन तेजी से बढ़ा है। इसमें बैंकों और एनबीएफसी को रिस्क ज्यादा होता है लेकिन इंटरेस्ट रेट ज्यादा होने से इसमें उन्हें ज्यादा फायदा होता है। ग्राहकों को भी यह फायदेमंद लगता है, क्योंकि इसके लिए उन्हें कोई एसेट बैंक का एनबीएफसी के पास गिरवी नहीं रखना होता है। इसमें लोन के गारेंटर की भी जरूरत नहीं पड़ता है। अनसेक्योर्ड लोन में सिर्फ ग्राहक और बैंक के बीच एग्रीमेंट होता है।

यह भी पढ़ें: क्या मातापिता से मिली गोल्ड ज्वेलरी टैक्स के दायरे में आती है?

जरूरत पड़ने पर ही लें अनसेक्योर्ड लोन

अगर आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है तो बैंक और एनबीएफसी तुरंत लोन का आपका अप्लिकेशन एप्रूव कर देते हैं। इसमें पैसा जल्द आपके बैंक अकाउंट में आ जाता है। पर्सनल लोन और कंज्यूमर लोन अनसेक्योर्ड लोन के सबसे अच्छे उदाहरण हैं। अच्छे क्रेडिट स्कोर वाले ग्राहकों को रोजाना बैंकों और एनबीएफसी के पर्सनल लोन के ऑफर आते रहते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ग्राहकों को जरूरत पड़ने पर ही पर्सनल लोन लेना चाहिए। इसकी वजह यह है कि यह काफी महंगा होता है।

MoneyControl News

MoneyControl News

First Published: Sep 15, 2025 3:46 PM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।