सरकार ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम (एसजीबी) बंद कर दी है। गोल्ड की कीमतों में पिछले कुछ सालों में आए उछाल की वजह से सरकार के लिए इस स्कीम को जारी रखना मुश्किल हो गया था। ग्लोबल मार्केट में गोल्ड का भाव 2,800 प्रति औंस के पार हो गया है। हाल में यह 2,830 डॉलर तक पहुंच गया था। इंडिया में भी गोल्ड की कीमत 84,900 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंच गई थी। इसकी वजह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी बताई जा रही है। कमोडिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि ग्लोबल इकोनॉमी में अनिश्चितता को देखते हुए गोल्ड में तेजी जारी रहने के आसार हैं।
Sovereign Gold Bond (SGB ) स्कीम बंद हो जाने के बाद अब गोल्ड में निवेश के लिए गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) और गोल्ड म्यूचुअल फंड (Gold Mutual Fund) का विकल्प बचा है। इन दोनों में सेकेंडरी मार्केट में निवेश किया जा सकता है। जरूरत पड़ने पर आप निवेश को आसानी से बेच सकते हैं। फिजिकल गोल्ड में निवेश के मुकाबले इन दोनों विकल्प में निवेश करना आसान है, क्योंकि इनमें आपको गोल्ड की प्योरिटी की चिंता करने की जरूरत नहीं होती है।
गोल्ड ईटीएफ स्टॉक्स मार्केट्स में लिस्टेड होते हैं। इसलिए इनमें निवेश करना सुरक्षित है। इनमें लिक्विडिटी भी अच्छी होती है। गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट जरूरी है। इसके अलावा गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने पर एंट्री लोड लगता है। बेचने पर एग्जिट लोड लगता है।
गोल्ड म्यूचुअल फंड्स ओपन-एंडेड फंड्स हैं, जो गोल्ड ईटीएफ की यूनिट्स में निवेश करते हैं। हर गोल्ड म्यूचुअल फंड का एक फंड मैनेजर होता है, जो निवेश से जुड़े फैसले लेता है। गोल्ड म्यूचुअल स्कीम में यूनिट्स की नेट एसेट वैल्यू (NAV) होती है। चूंकि, गोल्ड म्यूचुअल फंड के एसेट्स का प्रबंधन फंड मैनेजर करता है, जिससे लंबी अवधि में इसका रिटर्न गोल्ड के रिटर्न से ज्यादा हो सकता है। गोल्ड म्यूचुअल फंड का एक्सपेंस रेशियो गोल्ड ईटीएफ के मुकाबले थोड़ा ज्यादा है।
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गोल्ड म्यूचुअल फंड में गोल्ड ईटीएफ के मुकाबले कम पैसे से निवेश किया जा सकता है। इससे रिटेल इनवेस्टर के लिए इसमें निवेश करना आसान है। गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट भी जरूरी नहीं है। वैल्यू रिसर्च के मुताबिक, गोल्ड म्यूचुअल फंड्स का एक साल का रिटर्न 29.45 फीसदी है।