SGB: क्या एनएसई और बीएसई में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश करना समझदारी है?

सरकार ने 23 जुलाई को पेश यूनियन बजट में सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी करने का ऐलान किया। इसके बाद गोल्ड की कीमतों में तेज गिरावट आई। इसका सीधा असर 23 जुलाई के बाद मैच्योर करने वाले सावरेन गोल्ड बॉन्ड्स पर पड़ेगा। गोल्ड की कीमतों में गिरावट से आरबीआई एसजीबी की यूनिट्स की कम कीमतें तय करेगा

अपडेटेड Aug 14, 2024 पर 5:16 PM
Story continues below Advertisement
सरकार ने एसजीबी की पहली किस्त 30 नवंबर, 2015 को जारी की थी। तब से अब तक एसजीबी की 67 किस्ते जारी की जा चुकी हैं।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) उन निवेशकों के लिए गोल्ड में निवेश का अच्छा विकल्प है, जो 8 साल तक अपना निवेश बनाए रख सकते हैं। एसजीबी का मैच्योरिटी पीरियड आठ साल है। एसजीबी पर जो इंटरेस्ट मिलता है, उस पर टैक्स लगता है। लेकिन, कैपिटल गेंस पर कोई टैक्स नहीं लगता है। लेकिन, इसके लिए एसजीबी में निवेश आठ साल तक बनाए रखना जरूरी है। इसके अलावा एसजीबी में निवेश पर सरकार की गारंटी मिलती है।]

गोल्ड की कीमतें घटने से कम हो सकता है एसजीबी निवेशकों का रिटर्न

लेकिन, सरकार की तरफ से जारी की गई 96,120 करोड़ रुपये की एसजीबी (SGB) की यूनिट्स पर यूनियन बजट में किए गए एक ऐलान का असर पड़ता दिख रहा है। सरकार ने 23 जुलाई को पेश बजट में गोल्ड (Gold) पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने का ऐलान किया। इसे 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया गया। इस ऐलान के बाद गोल्ड की कीमतों में तेज गिरावट आई थी। गोल्ड की कीमतों में गिरावट की वजह से आरबीई मैच्योर हो रही एसीजीबी यूनिट्स की कीमत कम तय करेगा। इससे एसजीबी के निवेशकों का रिटर्न घट जाएगा।


पहली किस्त 30 नवंबर, 2015 को आई थी

सरकार ने एसजीबी की पहली किस्त 30 नवंबर, 2015 को जारी की थी। तब से अब तक एसजीबी की 67 किस्ते जारी की जा चुकी हैं। आरबीआई सरकार की तरफ से एसजीबी की किस्त जारी करता है। मनीकंट्रोल के कैलकुलेशन के मुताबिक, अब तक 147 टन सोने के बराबर सरकार एसजीबी की यूनिट्स जारी कर चुकी है। इसकी वैल्यू करीब 72,274 करोड़ बैठती है। FY2023-24 में एसजीबी में निवेशकों ने कुल 27,031 करोड़ रुपये का निवेश किया।

फरवरी से जारी नहीं हुई है किस्त

इस साल फरवरी से सरकार ने एसजीबी की कोई नई किस्त जारी नहीं की है। सरकार एसजीबी की किस्त जारी करने की रफ्तार घटा सकती है या इसे बंद कर सकती है। इसकी वजह यह है कि सरकार के महंगा सौदा हो गया है। एसजीबी की पुरानी किस्तों में BSE और NSE में ट्रेडिंग होती है। लेकिन, उनमें वॉल्यूम काफी कम रहता है।

क्या बीएसई-एनएसई पर एसजीबी में निवेश करना सही है?

सवाल है कि क्या एक्सचेंजों में एसजीबी की कीमतों पर निवेश करना सही है? इसका जवाब मायवेल्थग्रोथ डॉट कॉम के हर्षद चेतनवाला ने दिया। उन्होंने कहा कि एसजीबी में निवेश लंबी अवधि के लिए करना चाहिए। गोल्ड में निवेश एसेट ऐलोकेशन के लिए करना चाहिए न कि स्पेकुलेशन के लिए। गोल्ड की कीमतों के लिहाज से एसजीबी का रिटर्न अच्छा रहा है। वॉल्यूम की वजह से इसकी कीमतों में थोड़ा उतारचढ़ाव दिखता है। एक्सचेंजों में गोल्ड बॉन्ड का वॉल्यूम मैच्योरिटी और निवेशक के मकसद की वजह कम हो सकता है। कम वॉल्यूम के बावजूद एसजीबी में निवेश करना फायदेमंद है।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।