Silver Outlook: ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने निवेशकों को चांदी की कीमतों में गिरावट आने पर खरीदारी की सलाह दी है। मोतीलाल ओसवाल की लेटेस्ट Precious Metals Quarterly रिपोर्ट के मुताबिक, चांदी की कीमत में तेजी आने के पीछे तीन बड़े कारण हैं- बढ़ती इंडस्ट्रियल डिमांड, निवेशकों का मजबूत रुझान और लगातार सप्लाई की कमी। ये तीनों फैक्टर आगे कीमतों को नए शिखर पर ले जा सकते हैं।
इंडस्ट्रियल डिमांड सबसे बड़ा फैक्टर
सिल्वर की खपत का अब करीब 60% हिस्सा इंडस्ट्रियल यूज से आता है। इसका इस्तेमाल तेजी से सोलर एनर्जी, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, 5G टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स में बढ़ रहा है। चीन इसमें अहम रोल निभा रहा है। 2025 की पहली छमाही में चीन ने 127 गीगावाट के PV मॉड्यूल्स एक्सपोर्ट किए, जिसने सिल्वर की डिमांड को और ज्यादा बढ़ाया।
निवेशकों का भरोसा भी मजबूत
सिर्फ इंडस्ट्री ही नहीं, निवेश के मोर्चे पर भी सिल्वर को सपोर्ट मिल रहा है। दुनियाभर में सिल्वर ETFs और म्यूचुअल फंड्स में रिकॉर्ड इनफ्लो देखने को मिला है। सऊदी अरब के सेंट्रल बैंक ने सिल्वर-लिंक्ड ETFs में 40 मिलियन डॉलर डाले हैं। रूस ने तीन साल में 535 मिलियन डॉलर अपने सरकारी सिल्वर रिजर्व्स के लिए अलग किए हैं। वहीं, भारत में 2025 की पहली छमाही में सिल्वर इम्पोर्ट 3,000 टन से ज्यादा पहुंच गया। इससे घरेलू बाजार में भी हलचल बढ़ी है।
लगातार चांदी की सप्लाई की कमी
मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट में कहा गया है कि सिल्वर लगातार पांचवें साल स्ट्रक्चरल सप्लाई डेफिसिट में है। यानी मांग ज्यादा है और सप्लाई उतनी नहीं हो पा रही। यही कमी कीमतों को ऊपर खींच रही है। यह फैक्टर आगे भी बरकरार रह सकता है, जिससे चांदी की कीमतों में और भी ज्यादा तेजी आ सकती है।
ग्लोबल माहौल भी कर रहा सपोर्ट
चांदी की कीमतों में तेजी की वजह सिर्फ बढ़ती मांग और सप्लाई की कमी नहीं है। जियोपॉलिटिकल तनाव, कमजोर होता अमेरिकी डॉलर और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की संभावित ब्याज दर कटौती... ये सब मिलकर सिल्वर को एक सेफ-हेवन एसेट बना रहे हैं। यही वजह है कि आम निवेशकों ने भी चांदी की खरीदारी बढ़ाई है।
मोतीलाल ओसवाल का अनुमान है कि भारत में सिल्वर अगले 12–15 महीनों में ₹1.35 लाख–₹1.50 लाख प्रति किलो तक पहुंच सकती है। वहीं, कॉमेक्स सिल्वर $45–$50 प्रति औंस के बीच ट्रेड कर सकती है। मंगलवार को चांदी का भाव (Silver Price Today) 1,30,000 रुपये प्रति किलो है। इसमें 3,000 रुपये की तेजी आई है।
रिपोर्ट साफ कहती है कि बढ़ती इंडस्ट्रियल डिमांड और निवेशकों की दिलचस्पी सिल्वर की कीमतों को लगातार सपोर्ट कर रही है। खासकर ग्रीन टेक्नोलॉजी में इस्तेमाल इसकी डिमांड को और बढ़ा रहा है, भले ही ज्वैलरी की मांग अभी कमजोर बनी हुई है।
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