Silver Rates Prediction 2026: साल 2025 में चांदी ने निवेशकों को चौंकाने वाला रिटर्न दिया है। इस साल अब तक चांदी की कीमतों में 130 फीसदी से ज्यादा की बढ़त दर्ज की गई है। MCX पर चांदी 2 लाख रुपये प्रति किलो का अहम स्तर पार कर चुकी है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी यह रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है। ऐसे में निवेशकों और ग्राहकों के मन में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या
यह तेजी 2026 में भी जारी रहेगी?
घरेलू स्पॉट मार्केट में 17 दिसंबर को मुंबई में चांदी का भाव करीब 2,08,000 रुपये प्रति किलो रहा। वहीं, वैश्विक बाजार में चांदी की कीमत 65 डॉलर प्रति औंस के आसपास पहुंच गई है, जो साल की शुरुआत में करीब 28 डॉलर थी। यानी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चांदी ने 2025 में करीब 132 फीसदी की छलांग लगाई है।
चांदी की तेजी के पीछे वजह क्या है?
एक्सपर्ट के मुताबिक, चांदी की इस ऐतिहासिक तेजी के पीछे कई कारण हैं। एक तरफ सप्लाई की कमी है, तो दूसरी ओर निवेश और इंडस्ट्रियल डिमांड मजबूत बनी हुई है। कोटक सिक्योरिटीज की कमोडिटी रिसर्च एक्सपर्ट कायनात चेनवाला के अनुसार, फिजिकल सप्लाई की तंगी, सेफ-हेवन डिमांड, सिल्वर ETF में लगातार निवेश और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों ने चांदी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
उन्होंने बताया कि सिल्वर आधारित ETF में लगातार छठे हफ्ते निवेश देखने को मिल रहा है, जिससे निवेश डिमांड मजबूत बनी हुई है। इसके अलावा खबरें हैं कि चीन 2026 से चांदी के निर्यात पर पाबंदी लगा सकता है। चूंकि, चीन के पास चांदी का स्टॉक पहले ही 10 साल के निचले स्तर पर है, ऐसे में सप्लाई पर दबाव और बढ़ सकता है।
2025 में जहां सोने की कीमतों में करीब 65 फीसदी की बढ़त हुई है, वहीं चांदी ने 120 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया है। एक्सपर्ट का मानना है कि चांदी सिर्फ सेफ-हेवन डिमांड की वजह से नहीं, बल्कि इंडस्ट्रियल जरूरतों के चलते भी मजबूत हुई है। खासतौर पर ग्रीन एनर्जी सेक्टर में चांदी की मांग तेजी से बढ़ी है।
इंडस्ट्रियल डिमांड का बड़ा रोल
Axis Securities के मुताबिक, सोलर पावर सेक्टर में चांदी की खपत 2020 के 94 मिलियन औंस से बढ़कर 2024 में करीब 244 मिलियन औंस हो गई है। अकेले सोलर सेक्टर की हिस्सेदारी अब कुल मांग का करीब 21 फीसदी हो चुकी है। इससे चांदी की मांग का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चांदी का बाजार 2021 से लगातार घाटे में चल रहा है। 2021 से 2025 के बीच करीब 70 करोड़ औंस की सप्लाई कमी दर्ज की गई है और 2026 में भी 10 करोड़ औंस से ज्यादा की कमी बने रहने का अनुमान है।
क्या 2026 से पहले गिरावट आएगी?
कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि इतनी तेज तेजी के बाद थोड़ी गिरावट या ठहराव आ सकता है। VT मार्केट के सीनियर एनालिस्ट जस्टिन खू के अनुसार चांदी फिलहाल ओवरबॉट जोन में है। हालांकि उन्होंने साफ किया कि किसी भी गिरावट को ट्रेंड के खत्म होने के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। यह एक हेल्दी करेक्शन हो सकता है, जिसके बाद कीमतें फिर ऊपर जा सकती हैं।
एक्सपर्ट का कहना है कि चांदी के मजबूत फंडामेंटल सीमित सप्लाई, बढ़ती इंडस्ट्रियल मांग और नरम मौद्रिक नीतियां 2026 में भी कीमतों को सपोर्ट कर सकती हैं। हालांकि, निवेशकों को उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहना होगा।