Small Saving Scheme Interest Rate 2025: आज स्मॉल सेविंग स्कीम का इंटरेस्ट रेट तय होगा। अक्टूबर-दिसंबर 2025 तिमाही के लिए पोस्ट ऑफिस की छोटी बचत योजनाओं (Small Savings Schemes) जैसे कि पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC), सुकन्या समृद्धि योजना (SSA) और सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम (SCSS) की ब्याज दरों की समीक्षा वित्त मंत्रालय 30 सितंबर 2025 को करेगा। माना जा रहा है कि इस बार ब्याज दरों में कटौती हो सकती है।
क्यों घट सकती हैं ब्याज दरें?
इस साल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अब तक तीन बार रेपो रेट घटाया है। फरवरी और अप्रैल की मौद्रिक नीति में 25-25 बेसिस प्वाइंट की कटौती हुई और जून में 50 बेसिस प्वाइंट की। यानी कुल मिलाकर 1% की कमी आ चुकी है। जब रेपो रेट घटता है, तो बैंक अपनी एफडी और अन्य डिपॉजिट स्कीम पर ब्याज घटा देते हैं। कई बैंकों ने तो हाई रेट वाली स्पेशल एफडी भी बंद कर दी हैं।
दूसरी ओर, सरकारी बॉन्ड यानी जी-सेक (G-Sec) की यील्ड भी गिरी है। 1 जनवरी 2025 को 10 साल के जी-सेक का यील्ड 6.779% था, जो 24 सितंबर 2025 तक घटकर 6.483% रह गया। श्यामला गोपीनाथ कमेटी की सिफारिश के हिसाब से छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें इन्हीं जी-सेक यील्ड से जुड़ी होती हैं। उदाहरण के लिए, पीपीएफ (PPF) की दर 10 साल के जी-सेक यील्ड में 25 बेसिस प्वाइंट जोड़कर तय होनी चाहिए। जून-सितंबर 2025 के औसत आंकड़े देखें तो पीपीएफ की दर 6.66% बनती है, जबकि अभी 7.1% दी जा रही है। यानी सरकार चाहे तो इसे घटा सकती है।
आखिरी बार कब बदली थीं दरें?
पोस्ट ऑफिस की स्मॉल सेविंग स्कीम्स की ब्याज दरें आखिरी बार जनवरी-मार्च 2024 तिमाही में बदली गई थीं। उस समय 3 साल की टाइम डिपॉजिट पर ब्याज 7% से बढ़ाकर 7.1% किया गया था और सुकन्या समृद्धि योजना की दर 8% से बढ़ाकर 8.2% की गई थी। बाकी योजनाओं की दरें पहले जैसी ही रखी गई थीं।
जुलाई-सितंबर 2025 तिमाही की मौजूदा ब्याज दरें
1 साल की टाइम डिपॉजिट – 6.9%
2 साल की टाइम डिपॉजिट – 7%
3 साल की टाइम डिपॉजिट – 7.1%
5 साल की टाइम डिपॉजिट – 7.5%
सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम – 8.2%
किसान विकास पत्र – 7.5% (मैच्योरिटी 115 महीने)
सुकन्या समृद्धि अकाउंट – 8.2%
छोटी बचत योजनाओं में देश के करोड़ों लोग खासकर सीनियर सिटिजंस, पेंशनर्स और मिडिल क्लास परिवार निवेश करते हैं। अगर ब्याज दरें घटती हैं, तो उनकी आय पर सीधा असर पड़ेगा। हालांकि सरकार हर बार सिर्फ फॉर्मूले के आधार पर फैसला नहीं