क्या आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) की नई किस्त आने का इंतजार कर रहे हैं? अगर हां तो आपको यह खबर निराश कर सकती है। सरकार एसजीबी की नई किस्त जारी करने में दिलचस्पी नहीं है। हालांकि, सरकार इस बार में खुलकर कुछ बताने से बच रही है। लेकिन, सूत्रों का कहना है कि एसजीबी की नई किस्त आने की उम्मीद बहुत कम है। इसकी कई वजहें हैं। गोल्ड बॉन्ड्स से मिलने वाला पैसा सरकार को दूसरे कर्ज के मुकाबले महंगा पड़ता है। दूसरा, सरकार का मानना है कि चूंकि एसजीबी को सोशल सिक्योरिटी स्कीम नहीं है, जिससे इस पर ज्यादा पैसे खर्च करने का अब ज्यादा फायदा नहीं है।
BSE और NSE में होती है एसजीबी की ट्रेडिंग
एक्सपर्ट्स का कहना है कि जो इनवेस्टर्स सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGB) की नई किस्त आने का इंतजार कर रहे हैं, वे सेकेंडरी मार्केट से इसे खरीद सकते हैं। BSE और NSE में एसजीबी की किस्तों में ट्रेडिंग होती है। एसजीबी की नई किस्त में सरकार की दिलचस्पी घटने की एक बड़ी वजह पिछले सालों में सोने की कीमतों में आई तेजी है। पिछले 10 साल से सोने की कीमत लगातार बढ़ रही है। इससे एसजीबी की मैच्योरिटी पर निवेशकों को पैसे चुकाने में सरकार को काफी खर्च करना पड़ रहा है।
अब तक एसजीबी की 67 किस्तें आ चुकी हैं
एसजीबी के रिडेम्प्शन के लिए सरकार ने FY23 में गोल्ड रिजर्व फंड में 2,424 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए थे। FY25 में यह बढ़कर 8,551 करोड़ रुपये हो गया है। यह FY23 के मुकाबले 250 फीसदी उछाल है। अब तक आरबीआई ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स की 67 किस्तें जारी की हैं। निवेशकों ने इनमें 72,274 करोड़ रुपये निवेश किए हैं। इनमें से चार किस्तें मैच्योर हो चुकी हैं। इसका मतलब है कि इन किस्तों के निवेशकों को सरकार ने पेमेंट कर दिया है।
एसजीबी स्कीम क्यों शुरू हुई थी?
सरकार ने फिजिकल गोल्ड में निवेश का विकल्प इनवेस्टर्स को देने के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स स्कीम की शुरुआत 2015 में की थी। दरअसल, लोगों के गोल्ड और गोल्ड ज्वेलरी ज्यादा खरीदने से सरकार को गोल्ड का ज्यादा इंपोर्ट करना पड़ता है। गोल्ड के इंपोर्ट का पेमेंट सरकार को डॉलर में करना पड़ता है। इसका सीधा असर देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ता है।
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SGB कितने दिन में मैच्योर हो जाते हैं?
सरकार की तरफ से आरबीआई सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स इश्यू करता है। ये बॉन्ड्स 8 साल में मैच्योर हो जाते हैं। निवेशकों को अपने इनवेस्टमेंट पर सालाना 2.5 फीसदी इंटरेस्ट मिलता है। मैच्योरिटी पर गोल्ड के मार्केट रेट के हिसाब से सरकार निवेशकों को पमेंट करती है।