Sovereign Gold Bonds: एसजीबी की 34 किस्तों के इनवेस्टर्स निकाल सकते हैं पैसा, क्या मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालने में फायदा है?

Sovereign Gold Bonds (SGB) 8 साल में मैच्योर हो जाते हैं। इसमें लॉक-इन पीरियड 5 साल होता है। इसका मतलब है कि निवेश के 5 साल बाद ही इनवेस्टर्स अपना पैसा निकाल सकता है। एसजीबी स्टॉक मार्केट्स पर लिस्टेड होते हैं। लेकिन ट्रेडिंग वॉल्यूम काफी कम होता है

अपडेटेड Apr 15, 2025 पर 3:08 PM
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एसजीबी के निवेशकों को गोल्ड की कीमतों में होने वाले इजाफा के अलावा सालाना 2.5 फीसदी इंटरेस्ट भी मिलता है।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) की 34 किस्तों के इनवेस्टर्स अपना पैसा निकाल सकते हैं। सवाल है कि क्या उन्हें अपना पैसा निकाल लेना चाहिए या मैच्योरिटी तक बनाए रखना चाहिए? भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मुताबिक इस साल अप्रैल से सितंबर के बीच एसजीबी की 34 किस्तें मैच्योर करने जा रही हैं। इनमें से कई किस्तों में इनवेस्टर्स मैच्योरिटी से पहले पैसे निकाल सकते हैं। आरबीआई मैच्योरिटी से पहले एसजीबी के निवेशकों को अपने पैसे निकालने की इजाजत देता है। वह साल में दो बार ऐसी किस्तों की लिस्ट पब्लिश करता है, जिनके इनवेस्टर्स मैच्योरिटी से पहले पैसे निकाल सकते हैं।

SGB 8 साल में मैच्योर हो जाता है

Sovereign Gold Bonds (SGB) 8 साल में मैच्योर हो जाते हैं। इसमें लॉक-इन पीरियड 5 साल होता है। इसका मतलब है कि निवेश के 5 साल बाद ही इनवेस्टर्स अपना पैसा निकाल सकता है। एसजीबी स्टॉक मार्केट्स पर लिस्टेड होते हैं। लेकिन ट्रेडिंग वॉल्यूम काफी कम होता है। इसलिए RBI एसजीबी के निवेशकों को 5 साल, 6 साल और 7 साल पूरे होने पर अपने पैसे निकालने की इजाजत देता है। RBI ने 15 अक्टूबर, 2019 की किस्त के लिए रिडेम्प्शन प्राइस का ऐलान किया है। इस किस्त के निवेशक 15 अप्रैल, 2025 को अपने पैसे निकाल सकेंगे। इस इश्यू के निवेशकों को आरबीआई ने प्रति ग्राम 3,785 रुपये के प्राइस पर एसजीबी एलॉट किया था। इस इश्यू के निवेशक प्रति ग्राम 9,069 रुपये के रेट से अपने पैसे निकाल सकेंगे।


RBI के जरिए रिडेम्प्शन पर कैपिटल गेंस से छूट

एसजीबी की खासियत यह है कि इसके निवेशकों को किसी तरह का कैपिटल गेंस टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है। दूसरा यह कि निवेश के पीरियड में सालाना इंटरेस्ट भी मिलता है। लेकिन, कैपिटल गेंस टैक्स से छूट तभी मिलती है जब आप एसजीबी से अपने पैसे निकालने के लिए RBI के विंडो का इस्तेमाल करते हैं। अगर आप स्टॉक एक्सचेंज में अपने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स बेच देते हैं तो उस पर हुए मुनाफे पर आपको कैपिटल गेंस टैक्स चुकाना होगा।

इनवेस्टमेंट पीरियड में सालाना 2.5% का इंटरेस्ट भी

ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म जिराफ के को-फाउंडर सौरव घोष ने कहा, "एसजीबी के निवेशकों को गोल्ड की कीमतों में होने वाले इजाफा के अलावा सालाना 2.5 फीसदी इंटरेस्ट भी मिलता है। जब दुनिया में उथलपुथल की स्थिति हो तो गोल्ड की कीमतों को लेकर अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन, यह तय है कि एसजीबी का रिस्क रिवॉर्ड रेशियो काफी अट्रैक्टिव बना हुआ है।" गोल्ड की कीमतों में लगातार उछाल की वजह से सरकार ने एसजीबी स्कीम रोक दी है। सरकार ने पिछले साल फरवरी के बाद से कोई नई किस्त पेश नहीं की है।

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आपको क्या करना चाहिए?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिस तरह से सोने की कीमतों में तेजी दिख रही है, उसमें एसजीबी में अपना निवेश बनाए रखने में फायदा है। अगर किसी इनवेस्टर को अभी पैसे की जरूरत नहीं है तो उसे अपना निवेश मैच्योरिटी यानी 8 साल तक बनाए रखना चाहिए। अगर पैसे की जरूरत है तो इनवेस्टर एसजीबी में अपने निवेश को मैच्योरिटी से पहले निकाल सकता है। इसके लिए आरबीआई के विंडो का इस्तेमाल करना ठीक रहेगा। जिस तरह गोल्ड की कीमतों में तेजी आई है, उससे देखते हुए निवेशकों को अपने निवेश पर शानदार रिटर्न मिलेगा।

MoneyControl News

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First Published: Apr 15, 2025 2:57 PM

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