Sovereign Gold Bonds: जल्दी रिडीम करें या मैच्योरिटी तक होल्ड करने में फायदा? जानिए एक्सपर्ट से

Sovereign Gold Bonds: 2025 में सोने की जोरदार रैली के बीच निवेशक उलझन में हैं कि Sovereign Gold Bonds को अभी रिडीम करें या मैच्योरिटी तक रखें। एक्सपर्ट्स ने बताया कि किन हालात में टैक्स-फ्री मुनाफा बुक करना बेहतर रहेगा और कब टिके रहना फायदेमंद है।

अपडेटेड Nov 02, 2025 पर 4:39 PM
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Sovereign Gold Bonds यानी SGB, निवेशकों को बिना फिजिकल गोल्ड खरीदे सोने में निवेश का मौका देते हैं।

Sovereign Gold Bonds: 2025 में सोने की जोरदार रैली ने निवेशकों को उलझन में डाल दिया है। क्या अब मुनाफा बुक करके बाहर निकलना सही है या फिर लंबे समय तक टिके रहना बेहतर रहेगा? आइए समझते हैं कि Sovereign Gold Bonds (SGBs) में निवेश करने वालों के लिए दोनों विकल्पों का क्या मतलब है।

SGB क्या हैं और कैसे काम करते हैं

Sovereign Gold Bonds यानी SGB, निवेशकों को बिना फिजिकल गोल्ड खरीदे सोने में निवेश का मौका देते हैं। ये बॉन्ड ग्राम के हिसाब से तय होते हैं और 2.5% वार्षिक ब्याज देते हैं, जो हर छह महीने में खाते में जमा होता है।


इनकी मैच्योरिटी 8 साल की होती है, लेकिन 5 साल बाद RBI के जरिए शुरुआती रिडेम्प्शन (buyback) की सुविधा मिलती है।

शुरुआती रिडेम्प्शन कब सही रहता है

RBI का buyback ऑप्शन 5 साल बाद उपलब्ध होता है और इसके जरिए निवेशक टैक्स-फ्री तरीके से बाहर निकल सकते हैं। Anand Rathi के डायरेक्टर और हेड थॉमस स्टीफन कहते हैं, 'अगर आपको पैसों की जरूरत है या सेकेंडरी मार्केट में डिस्काउंट पर बेचने से बचना है, तो शुरुआती रिडेम्प्शन बेहतर रहेगा।'

अगर आपको लगता है कि सोने की कीमतें अब स्थिर या कमजोर रह सकती हैं, तो मुनाफा लॉक करना समझदारी है। वहीं अगर आपके पोर्टफोलियो में सोने का हिस्सा हालिया तेजी के बाद बहुत बढ़ गया है, तो आंशिक रिडेम्प्शन से बैलेंस बनाया जा सकता है।

 1. गोल्ड लोन क्या है? गोल्ड लोन में आपको अपना सोना गिरवी रखकर बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन से पैसा मिलता है। आमतौर पर 75-80% तक लोन गोल्ड के वैल्यू पर दिया जाता है। लोन पूरा चुकाने के बाद सोना वापस मिल जाता है। यह सिक्योर्ड लोन है।

कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि गोल्ड की हिस्सेदारी कुल पोर्टफोलियो का करीब 15% रहनी चाहिए। Quantum AMC के CIO चिराग मेहता कहते हैं, 'अगर सोना आपके पोर्टफोलियो में बहुत बड़ा हिस्सा बन गया है, तो आंशिक या शुरुआती रिडेम्प्शन लेना बेहतर रहेगा।'

SGBs पर मिलने वाला 2.5% ब्याज टैक्सेबल होता है। अगर भविष्य में महंगाई घटती है और रियल इंटरेस्ट रेट बढ़ते हैं, तो गोल्ड की रिटर्न अन्य एसेट्स की तुलना में कम रह सकती है। Ventura के NS रामास्वामी के अनुसार, 'अगर बेहतर निवेश अवसर मिल रहे हैं या तरलता की जरूरत है, तो रिडेम्प्शन लेना सही रहेगा।'

मैच्योरिटी तक होल्ड करने के फायदे

अगर आप पूरे 8 साल तक निवेश बनाए रखते हैं, तो आपको टैक्स-फ्री पूंजीगत लाभ (capital gains) के साथ सोने की बढ़ती कीमतों का फायदा भी मिलता है। रामास्वामी कहते हैं, 'मैच्योरिटी पर टैक्स-फ्री रिटर्न और सोने की संभावित बढ़त इसे टैक्स-एफिशिएंट एग्जिट बनाती है।'

2.5% ब्याज नियमित आय देता है, जो टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल है। सोना लंबे समय तक महंगाई से बचाव का काम करता है और इसमें स्टोरेज या शुद्धता की कोई परेशानी नहीं होती। Quantum के चिराग मेहता कहते हैं, 'गोल्ड ग्लोबल इकोनॉमिक अनिश्चितताओं और डॉलर की संभावित कमजोरी के बीच एक भरोसेमंद डाइवर्सिफिकेशन एसेट बना रहेगा।'

रिडेम्प्शन और टैक्स के नियम

Ved Jain & Associates के पार्टनर अंकित जैन के मुताबिक, RBI के जरिए रिडेम्प्शन टैक्स-फ्री होता है। चाहे 5 साल बाद हो या 8 साल पर।

लेकिन अगर आप SGBs को सेकेंडरी मार्केट में बेचते हैं, तो 12 महीने से ज्यादा की होल्डिंग पर 12.5% का लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होता है। 12 महीने से कम की होल्डिंग पर शॉर्ट-टर्म गेन टैक्स आपकी इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से लगता है।

 3. गोल्ड लोन की खासियत गोल्ड लोन का फायदा यह है कि इसमें पैसों के इस्तेमाल पर कोई रोक-टोक नहीं होती। बैंक और NBFC इसे जल्दी अप्रूव कर देते हैं। आपका क्रेडिट स्कोर कमजोर हो तो भी गोल्ड लोन आसानी से मिल जाता है।

सोने की कीमतों का रुख

एक्सपर्ट्स का मानना है कि शॉर्ट-टर्म में सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है। Ventura के रामास्वामी के अनुसार, 'अक्टूबर 2025 में फेड की 25 बेसिस प्वाइंट दर कटौती से सोना बढ़ा था, लेकिन चेयरमैन पॉवेल के सख्त रुख के बाद बढ़त सीमित रही।' उन्होंने कहा, 'निकट भविष्य में वोलैटिलिटी बनी रहेगी, इसलिए गिरावट पर खरीदारी बेहतर रणनीति होगी।'

Anand Rathi के थॉमस स्टीफन कहते हैं, 'लंबी अवधि में गोल्ड की मांग मजबूत बनी रहेगी। सेंट्रल बैंकों की लगातार खरीदारी और करेंसी डाइवर्सिफिकेशन इसके मुख्य सपोर्ट फैक्टर हैं।' Quantum के चिराग मेहता का भी मानना है कि अमेरिका की आर्थिक चुनौतियों के बीच गोल्ड की मांग बनी रहेगी।

निवेश रणनीति: क्या करें और क्या नहीं

एक्सपर्ट के मुताबिक, निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो के लक्ष्य और जरूरतों को ध्यान में रखकर फैसला लेना चाहिए। अगर आपको लिक्विडिटी यानी कैश चाहिए, तो गोल्ड ETFs ज्यादा सुविधाजनक विकल्प हैं। लेकिन अगर आपका मकसद टैक्स सेविंग, स्थिर ब्याज आय और लंबी अवधि की सुरक्षा है, तो SGBs को मैच्योरिटी तक होल्ड करना समझदारी है।

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सोने के मौजूदा रिकॉर्ड स्तर के बीच RBI की आंशिक रिडेम्प्शन सुविधा से टैक्स-फ्री मुनाफा बुक करना और कुछ हिस्सेदारी बनाए रखना एक संतुलित कदम है। वहीं जो निवेशक गोल्ड में लंबे समय के लिए भरोसा रखते हैं, उनके लिए पूरे 8 साल तक निवेश बनाए रखना सबसे अच्छा विकल्प है।

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